सदन में गूंजा शिक्षकों के लिए चेक पोस्ट लगाए जाने का मुद्दा, विपक्ष ने किया हंगामा
भोपाल। विधानसभा के शीतकालीन सत्र का पांचवा दिन भी हंगामेदार रहा। सदन में ग्वालियर जिले में शिक्षकों के चेकपोस्ट का मामला गूंजा। विपक्ष ने शिक्षकों के अपमान का आरोप लगाते हुए मामले को लेकर सरकार से जबाब मांगा। ग्वालियर में शिक्षकों की चेकपोस्ट बनाने का मामले पर सरकार की ओर से आए जवाब को लेकर विपक्ष नाराज हो गया। कांग्रेस का आरोप था कि चेकपोस्ट लगाकर सरकार शिक्षकों का अपमान कर रही है। इसके बाद असंतुष्ट विपक्ष ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर विरोध जताया।
शीतकालीन सत्र में मुखर नजर आ रहे विपक्ष सदन की कार्यवाही के पहले दिन से ही सरकार से महिला सुरक्षा और भोपाल गैंगरेप मामले को लेकर स्थगन प्रस्ताव लाने की मांग कर रहा था, लेकिन सरकार इस चर्चा से बचना चाह रही थी। विपक्ष के दो दिन के हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही शोर शराबे की भेंट चढ गई। गुरुवार को भी कांग्रेस का हंगामा जारी रहा और सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी।
गुरूवार को सदन में ग्वालियर जिले के शिक्षकों की उपस्थिति तय करने के लिए लगाए गए चैकपोस्ट का मामला गरमाया रहा। कांग्रेस ने इस आदेश को शिक्षकों का अपमान बताते हुए उसे तत्काल वापस लेने की मांग की। प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस के विधायक लाखन सिंह ने यह मामला उठाया। कांग्रेस ने इस फरमान को सरकार का तुगलकी फरमान करार दिया। जिसके बाद सरकार के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस विधायकों ने सदन से वाक आउट कर दिया। दरअसल ग्वालियर में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने शिक्षकों के लिए चैक पोस्ट व्यवस्था लागू कर दी है। इसमें शिक्षकों को बस से उतरकर स्कूल जाने से पहले विभाग के नियुक्त अधिकारी के सामने उपस्थिति दर्शाना होती है। उसके बाद वह स्कूल जाता है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि इस व्यवस्था के लागू होने के बाद शिक्षकों से 1500 रुपए वसूल कर उन्हें इस नियम से छूट दी जा रही है और पैसा न देने वाले शिक्षकों को परेशान किया जा रहा है। कांग्रेस विधायक लाखन सिंह ने कहा कि शिक्षा विभाग के अधिकारी शिक्षकों को प्रताड़ित कर पैसे खा रहे हैं, लेकिन इस सवाल को लेकर सरकार की तरफ से टालमटोल जवाब आया और विपक्ष ने विधानसभा की कार्यवाही का बहिष्कार कर विरोध जताया।
विधानसभा परिसर में मीडिया से चर्चा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि ग्वालियर अंचल में 12 चेक पोस्ट बनाए गए। एक डीपीसी अधिकारी के तुगलगी फरमान के कारण यह किया गया। सीधी बात है चेकपोस्ट के माध्यम से वो अधिकारी मास्टरों से पैसा खाता है। प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता के यह हाल है।
शीतकालीन सत्र में मुखर नजर आ रहे विपक्ष सदन की कार्यवाही के पहले दिन से ही सरकार से महिला सुरक्षा और भोपाल गैंगरेप मामले को लेकर स्थगन प्रस्ताव लाने की मांग कर रहा था, लेकिन सरकार इस चर्चा से बचना चाह रही थी। विपक्ष के दो दिन के हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही शोर शराबे की भेंट चढ गई। गुरुवार को भी कांग्रेस का हंगामा जारी रहा और सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी।
गुरूवार को सदन में ग्वालियर जिले के शिक्षकों की उपस्थिति तय करने के लिए लगाए गए चैकपोस्ट का मामला गरमाया रहा। कांग्रेस ने इस आदेश को शिक्षकों का अपमान बताते हुए उसे तत्काल वापस लेने की मांग की। प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस के विधायक लाखन सिंह ने यह मामला उठाया। कांग्रेस ने इस फरमान को सरकार का तुगलकी फरमान करार दिया। जिसके बाद सरकार के जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस विधायकों ने सदन से वाक आउट कर दिया। दरअसल ग्वालियर में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने शिक्षकों के लिए चैक पोस्ट व्यवस्था लागू कर दी है। इसमें शिक्षकों को बस से उतरकर स्कूल जाने से पहले विभाग के नियुक्त अधिकारी के सामने उपस्थिति दर्शाना होती है। उसके बाद वह स्कूल जाता है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि इस व्यवस्था के लागू होने के बाद शिक्षकों से 1500 रुपए वसूल कर उन्हें इस नियम से छूट दी जा रही है और पैसा न देने वाले शिक्षकों को परेशान किया जा रहा है। कांग्रेस विधायक लाखन सिंह ने कहा कि शिक्षा विभाग के अधिकारी शिक्षकों को प्रताड़ित कर पैसे खा रहे हैं, लेकिन इस सवाल को लेकर सरकार की तरफ से टालमटोल जवाब आया और विपक्ष ने विधानसभा की कार्यवाही का बहिष्कार कर विरोध जताया।
विधानसभा परिसर में मीडिया से चर्चा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि ग्वालियर अंचल में 12 चेक पोस्ट बनाए गए। एक डीपीसी अधिकारी के तुगलगी फरमान के कारण यह किया गया। सीधी बात है चेकपोस्ट के माध्यम से वो अधिकारी मास्टरों से पैसा खाता है। प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता के यह हाल है।

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