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भोपाल मण्डी में बिक रहा रीवा, मण्डला व जबलपुर सहित कई जिलों का गेहूं



भोपाल। जिस प्रदेश की कुल आबादी के पाँच करोड़ ४४ लाख लोगों को सरकार एक रुपये किलो गेहूं और एक रुपये किलो चावल उपलब्ध कराने का दावा कर रही है उससे यह सफ नजर आता है कि प्रदेश में विकास की स्थिति क्या है। प्रदेश में गरीबों की बढ़ती संख्या के बाद भी राज्य शासन द्वारा बांटे जा रहे गेहूं और चावल की यह स्थिति है कि वह लोगों को समय पर मिल भी नहीं रहा है और उसके हक का गेहूं मण्डियों में धड़ल्ले से बिक रहा है हाल ही में करोंद मण्डी में पकड़े गये भोपाल के नागरिक आपूर्ति निगम के गोदामों से निकले गेंहू और चावल के व्यापारियों के यहां पकड़े जाने के बाद यह बात साफ हो गई कि राज्य में अन्य योजनाओं की तरह प्रदेश के नागरिकों के साथ-साथ दिव्यांग बच्चों और मदरसों में पढऩे वाले विद्यार्थियों (तुलबा) के निवालों का गेंहू और चावल भी ब्लैक मार्केटिंग की भेंट चढ़ रहा है, पता नहीं यह गोरखधंधा कबसे चल रहा है लेकिन यह जरूर है कि प्रदेश में सक्रिय मंत्रियों अधिकारियों, सत्ता के दलालों और ठेकेदारों का हाजमा शिवराज सरकार में इतना मजबूत है कि वह कुछ भी पचा जाते हैं चाहे फिर वह गुणवत्ताविहीन सड़कें बनाने का मामला हो या फिर कुपोषण के शिकार बच्चों के निवाले का मामला हो, पिछले दिनों रीवा में कुपोषित बच्चों के नाम पर भेजा जाने वाला निवाला रीवा की एक दुकान पर बिकते हुए पकड़ा गया था। इससे यह साफ जाहिर होता है कि शिवराज सकरार द्वारा जारी तमाम जनहितैषी योजनाओं के नाम पर लोग गरीबों के हकों पर डाका डालने में लगे हुए हैं तभी तो भोपाल की मण्डी में जबलपुर, रीवा, मण्डला सहित भोपाल का गेंहू चावल धड़ल्ले से बिक रहा है तो वहीं ठेठ आदिवासी जिला झाबुआ, अलीराजपुर, धार, बड़वानी, रतलाम, नीमच, मंदसौर आदि जिलों का गरीबों को मिलने वाला गेंहू महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात में धड़ल्ले से बेचा जा रहा है तभी तो झाबुआ के सहकारी समिति के लोगों के पास सबसे महंगी लग्जरी वाहन पजेरो उपलब्ध है, इन्हीं सब कारनामों के चलते इन समिति सेवकों की शान बढ़ा रही है, बात अकेले गरीबों को मिलने वाले गेहूं और चावल की नहीं है बल्कि राज्य में राजधानी से लेकर पूरे प्रदेश के जिलों में गरीबों को मिलने वाला मिट्टी के तेल से सैंकड़ों बसें, आटो, ट्रक आदि धड़ल्ले से सड़कों पर जहरीला धुंआ उड़ाते नजर आ रहे हैं। गरीबों के निवाले पर डाका डालकर उनके हक का गेहूं और चावल बेचने का सिलसिला अकेला भोपाल, जबलपुर, मण्डला या रीवा जिलों का नहीं बल्कि भिण्ड, मुरैना, शिवपुरी, दतिया, छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, शहडोल, सीधी अधिकांश जिले जो कि अन्य राज्यों की सीमा से जुड़े हुए हैं उन सभी जिले के उपभोक्ताओं के हक पर डाका डालकर उनका गेंहू व चावल अन्य प्रांतों में बेचने का गोरखधंधा भी वर्षों से चल रहा है हालांकि मुख्यमंत्री ने भोपाल मण्डी की घटना को गंभीरता से लेते हुए राज्य के सभी कमिश्नर और कलेक्टरों को यह हिदायत दी है कि भोपाल की घटना अन्य जिलों में घटित न हो, देखना अब यह है कि मुख्यमंत्री के अन्य निर्देशों की तरह यह कमिश्नर और कलेक्टर कितनी गंभीरता से लेते हैं।

सम्भार : हिन्द न्यूज सर्विस

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