जबलपुर मुख्य रेलवे स्टेशन के सामने रखे भाप इंजन का बदलेगा स्थान
जबलपुर : नये
डीआरएम मनोज सिंह ने जबलपुर रेल मंडल में बहुत कुछ करने का मना बनाया है।
रेल विकास, विस्तार और यात्री व्यवस्था बनाने के साथ उन्होंने सबसे पहले
मुख्य स्टेशन के सामने 12 साल पहले अलग-थलग रखे गए भाप इंजन को शिफ्ट करने
का निर्णय लिया है। इस संबंध में इंजीनियरिंग विभाग को इंजन शिफ्टकर
सरकुलेटिंग एरिया के बीच में रखने का आदेश इंजीनियरिंग विभाग को दिया । इस
कार्य के लिए बीते दिवस विभाग अधिकारियों ने नाप-जोख करते हुए जगह का चयन
किया है। बता दें कि मुख्य स्टेशन के सामने रखा नैरोगेज इंजन क्रमांक 718
एफ सन् 1929 का बना है। पंकज नाम के इस इंजन को 1975 में आखिरी बार
ग्वालियर-शोकराज के बीच चलाया गया था। उस समय इसकी स्पीड 30 किलोमीटर
प्रतिघंटे थी और वजन 5 टन है। इस तरह के कई इंजन प्रमुख स्टेशनों और रेल
संग्राहलय में प्राचीन घरोहर के रूप में सुरक्षित रखे हुए हैं।
डीआरएम ने एमसीओ के पास 10 बंद सड़क को भी खोलने का आदेश संबंधित विभाग को दिया है। उनका कहना है कि सड़क बंद रहने से वहां अवैध पार्किंग और लोग गंदगी मचा रहे हैं। सड़क खुलने से यात्रियों को आने-जाने में सहूलियत होगी। उक्त दोनों कार्य को करने के लिए बीते दिवस इंजीनियरिंग विभाग अधिकारियों ने इंजन शिफ्ट करने के लिए स्टेशन के सामने नाप-जोख किया है।
भारतीय रेल के प्रमुख स्टेशनों के सामने आम जनता से रुबरु कराने के लिए स्टीम (भाप) इंजन रखे गए हैं। बताया जाता है कि भारत में रेल का परिचालन स्टीम इंजन से शुरु हुआ था। कई साल तक इससे ट्रेन चलती रही। बाद में डीजल और इलेक्ट्रिक इंजनों के आने पर स्टीम इंजन को बंद कर दिया गया। रेलवे ने इस इंजन को प्राचीन घरोहर माना है इसे संजोग कर रखने के लिए 35 साल पहले रेल बोर्ड ने सभी रेल जोन को आदेश दिया था। वर्ष 2003 में पमरे जोन बनने के बाद 2005 में मंडल रेल प्रशासन ने मुख्य रेलवे स्टेशन के सामने स्टीम इंजन को रखा है, उसके बाद उसक ी देखरेख और रंगरोगन करने में रेल प्रशासन ने कोई रुचि नहीं दिखाई। जिस जगह इंजन रखा है वहां साईकिल स्टेंड लगता है जिससे यात्रियों को नजदीक पहुंचकर उसे देखने में भारी परेशानी हो रही है। आस-पास लगी फुलवारी और फुहारे भी खस्ताहाल हो चुके हैं।
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