बिना अनुमति धड़ल्ले से बज रहे हैं लाउड स्पीकर, डीजे प्रशासन मौन
राहुल तिवारी, संवाददाता एमपी ऑनलाइन न्यूज़ जवा
रीवा(जवा) : जवा बाजार सहित ग्रामीण इलाकों में इन दिनों ध्वनि प्रदूषण के मद्देनजर उच्च न्यायालय के सख्त निर्देश के बाद भी सार्वजनिक स्थलों पर बिना अनुमति खुलेआम लाउड स्पीकर,डीजे, बजाया जा रहा है। धार्मिक स्थलों के साथ प्रचार वाहनों और धार्मिक स्थलों पर तेज आवाज में बज रहे लाउडस्पीकर लोगों की परेशानी का सबब बने हुए हैं।
प्रशासन से अनुमति की औपचारिकता सिर्फ त्योहारों पर डीजे बजाने तक सीमित हैं धार्मिक स्थलों पर लाउड स्पीकर बजाने के लिए प्रशासन से लिखित अनुमति लेना चाहिए। लेकिन यह औपचारिकता कोई भी पूरा नहीं कर रहा है। ध्वनि प्रदूषण का मामला सिर्फ धार्मिक स्थलों तक ही सीमित नहीं है। शादी, विवाह से लेकर घरों में होने वाले छोटे-छोटे आयोजनों में भी तेज आवाज में डीजे व लाउड स्पीकर बजाया जाता है। इसके लिए अनुमति लेने की जहमत भी कोई नहीं उठाना चाहता है। इससे होने वाली ध्वनि प्रदूषण लोगों की परेशानी का कारण बन रहे हैं। दिनभर काम का थकान होने के बाद भी तेज आवाज में रात भर लाउडस्पीकर बजने से लोग पूरी नींद सो नहीं पाते हैं। निजी बसों, टैंपो व टैक्सी समेत प्रचार वाहन तो पूरे दिन तेज आवाज में बाजा बजाते रहते हैं। म्यूजिक सिस्टम रिपेयरिंग की दुकानों में तो दिनभर तेज आवाज में संगीत बजता रहता है। कथा, प्रवचन आदि स्थानों पर भी लाउडस्पीकर कर प्रयोग आम बात है। इसके लिए कोई अनुमति भी नहीं ली जाती है।
प्रेशर हॉर्न भी एक बड़ा कारक
ध्वनि प्रदूषण के लिए अधिकारियों और नेताओं के सरकारी व निजी वाहनों में लगे प्रेशर हॉर्न भी एक बड़ा कारक है। लेकिन इस ओर से जिम्मेदार आंखें मूंदे बैठे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं कई रोडवेज की बसों समेत कई टैक्सी वाहनों में भी इस तरह के लगे हॉर्न ध्वनि प्रदूषण को बढ़ा रहे हैं।
ध्वनि प्रदूषण के लिए अधिकारियों और नेताओं के सरकारी व निजी वाहनों में लगे प्रेशर हॉर्न भी एक बड़ा कारक है। लेकिन इस ओर से जिम्मेदार आंखें मूंदे बैठे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं कई रोडवेज की बसों समेत कई टैक्सी वाहनों में भी इस तरह के लगे हॉर्न ध्वनि प्रदूषण को बढ़ा रहे हैं।
क्या कहते हैं लोग
धार्मिक स्थलों पर निश्चित समय पर ही लाउडस्पीकर बजाया जाता है। इससे ध्वनि प्रदूषण की कोई विशेष स्थिति नहीं बनती है। अन्य कई आयोजन हैं जहां तेज ध्वनि में गीत-संगीत बजाया जाता है। इससे ध्वनि प्रदूषण होता है। वाहनों में निर्धारित मानक के अधिक का हार्न ध्वनि प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है। इन सब पर रोक लगनी चाहिए। न्यायालय का आदेश सर्वोपरि है। धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर लगाने के लिए यदि अनुमति लेना अनिवार्य है तो इस प्रक्रिया को भी पूरा करना होगा।
धार्मिक स्थलों पर निश्चित समय पर ही लाउडस्पीकर बजाया जाता है। इससे ध्वनि प्रदूषण की कोई विशेष स्थिति नहीं बनती है। अन्य कई आयोजन हैं जहां तेज ध्वनि में गीत-संगीत बजाया जाता है। इससे ध्वनि प्रदूषण होता है। वाहनों में निर्धारित मानक के अधिक का हार्न ध्वनि प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है। इन सब पर रोक लगनी चाहिए। न्यायालय का आदेश सर्वोपरि है। धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर लगाने के लिए यदि अनुमति लेना अनिवार्य है तो इस प्रक्रिया को भी पूरा करना होगा।
परीक्षाएं शुरू होने को पर ध्वनि विस्तारक यंत्राें के इस्तेमाल पर रोक नहीं
हाई स्कूल,हायर सेकंडरी की परीक्षांए सिर पर है बावजूद उसके अभी तक ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग पर रोक नहीं लगाई गई है। देर रात और कहीं कहीं पूरी रात तेज आवाज में लाउड स्पीकर से ध्वनि प्रदूषण किया जा रहा है जिससे स्कूली छात्र छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
हाई स्कूल,हायर सेकंडरी की परीक्षांए सिर पर है बावजूद उसके अभी तक ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग पर रोक नहीं लगाई गई है। देर रात और कहीं कहीं पूरी रात तेज आवाज में लाउड स्पीकर से ध्वनि प्रदूषण किया जा रहा है जिससे स्कूली छात्र छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
प्रत्येक वर्ष वार्षिक परीक्षाओं के शुरू होने से पहले प्रशासन द्वारा ध्वनि विस्तारक यंत्रों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है ताकि विद्यार्थियों की पढ़ाई में किसी तरह का व्यवधान न हो। इस प्रतिबंध के दौरान भी यदि किसी को किसी आयोजन में ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग करना होता है तो उनके लिए प्रशासन से अनुमति लेना होती है जो एक निश्चित समय अवधि के लिए दी जाती है। लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते इस बार अभी तक प्रतिबंध नहीं लगाया गया है जिसका खामियाजा विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है। हाईस्कूल हायर सेकंडरी के छात्र तथा छात्राओं का कहना है कि ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाई जाए।

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