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देश की राजनीति में तीस प्रतिशत वोट की बन्धक सपाक्स का संभागीय सम्मेलन सम्पन्न, हजारो की उपस्थिति में लिया संकल्प


उज्जैन। देश में जाति व धर्म के नाम पर फैलायी गयी भ्रांति से अब लड़ने का समय आ गया है। देश की राजनीति तीस प्रतिशत वोट की बन्धक है, यह शर्मनाक है। यदि आज की स्थिति में भी सामान्य वर्ग अल्पसंख्यक व पिछडा वर्ग बिखरे रहे तो आगे स्थिति सम्भालना मुश्किल है जाति के आधार पर प्रताड़ना सहन नही की जाएगी।
यह बात शासन के नगरीय प्रशासन विभाग के अपर सचिव राजीव शर्मा ने सपाक्स के संभागीय सम्मेलन के दौरान मुख्य वक्ता के रूप में मोबाईल से उद्बोधन देते हुए कही। उन्होने कहा कि पूरे समाज को घर घर जाकर समझाना होगा कि यह संघर्ष पदोन्नित का नही,यह संर्घष 70 प्रतिशत जाति आधार पर किए गए दुव्र्यवहार का है। हमे सावधानियों से लड़ना है यह संघर्ष अन्य व अत्याचार के विरूद्व है। उन्होने कविता की पक्तियों के माध्यम से कहा कि आज नही तो कल निकलेगा,गहरा खोदो जल निकलेगा,हल निकलेगा।
सम्मेलन के मुख्य अतिथि राज्य सूचना आयुक्त हीरालाल त्रिवेदी ने संबोधित करते हुए कहा कि वर्ष 2002 में नियम बनाकर पदोन्नति में आरक्षण दिया गया। जिसने यह प्रावधान किया उसका क्या हश्र हुआ सब जानते है। हालाकि पदोन्नति में आरक्षण की मांग 1999 से 2001 तक चली लेकिन हर बार इसे उस समय बैठे हुए अधिकारियों ने टाला क्योकि वह जानते थे यह स्थिति वर्ग संघर्ष के रूप में सामने आएगी। उन्होने कहा कि 2002 के बाद से ही विभाजन की रेखा बनी है तो यह अब आगे भी रहेगी। रिश्ते कानून से नही बनते भाईचारा तभी होगा जब सब समान हो फिर त्रिवेद्वी ने कहा कि अम्बेडकर जी ने उस समय अंतिम पंक्ति के व्यक्ति की स्थिति को देखते हुए 10 वर्ष के लिए आरक्षण मांगा था। लेकिन आज इतने साल बाद भी आखिरी व्यक्ति तक लाभ नही पहुंच रहा हमे किसी भी प्रकार के वर्ण भेद,वर्ग भेद में बांटने की बात नही करते हुए अजा वर्ग को भी यह बताना होगा कि किस तरह उन्हे भी लाभ नही मिल पा रहा है। कार्यक्रम में उपस्थित सिंहस्थ प्राधिकरण अध्यक्ष दिवाकर नातू ने कहा कि किसी भी सरकार का अधिकार नही है कि वर्गभेद करे लोकतंत्र स्थापित हुआ तो संविधान बना आरक्षण की बात कही यह इस लिए कि सभी को लाभ मिले। अब 70 वर्ष बाद भी लगने लगा कि इतना सीधा बनना ठीक नही। एकता हमारी मजबूत है हम गलत नही है तो निश्चित सफलता मिलेगी। सपाक्स के प्रान्तीय अध्यक्ष के.एस.तोमर ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आरक्षण मामले में कई बार संविधान संसोधन किया गया। इसका हश्र यह हुआ कि आज कि स्थिति में छोटे पद से वरिष्ठ पद तक पहुंचने के बाद विभागों की क्या स्थिति हुयी यह समझा जा सकता है। सपाक्स की लड़ायी स्वतंत्रता की दूसरी लड़यी है। सपाक्स समाज के प्रान्तीय अध्यक्ष पी.एस.परिहार ने कहा कि सपाक्स एक विचारधारा एक संकल्प और सोंच है। एकजुटता के बाद राजनीतिक दल तोड़ने की कोशिश करेंगे। उन्होने कहा कि प्रदेश के मुखिया के नासमझी के वक्तव्य ने आज सपाक्स को एक कर दिया है। जब हमारे बीच वापस आएगे तो ये माई के लाल उन्हे भी ललकार सकेगे। मुख्यमंत्री ने मात्र शक्ति  को ललकारा है उनकी सोंच पर तरस आता है। सपाक्स की पदाधिकारी रक्षा दुबे ने कहा कि विश्व के किसी भी आन्दोलन की धुरी महिला होती है। स्वयं शिव भी शक्ति के बिना कुछ नही। सम्मेंलन में सपाक्स के प्रान्तीय सचिव राजीव खरे, स्वास्थ्य विभाग संचालक के.एल.साहू, अजय जैन, सपाक्स युवा समाज के प्रान्तीय अध्यक्ष अभिषेक सोनी सपाक्स समाज जिला अध्यक्ष मोतीलाल श्रीवास्तव, ने भी संबोधित किया । प्रारम्भ में अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अतिथि स्वागत व स्वागत भाषण सपाक्स जिला अध्यक्ष अरविन्द सिंह चंदेल ने दिया। उन्होने कहा कि सपाक्स का आशय सामान्य, अल्पसंख्यक, पिछड़ा वर्ग अधिकारी व कर्मचारी और सपाक्स समाज का आशय सामान्य, अल्प संख्यक, पिछड़ा समाज कल्याण संस्था हैं। सपाक्स किसी जाति वर्ग का विरोध नही करता बल्कि कि सरकारों की तुष्टिकरण नीतियों का विरोध करता है। सपाक्स का गठन पदोन्नति में असंवैधानिक आरक्षण एवं सामान्य,पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक समुदाय के कर्मचारियों एवं नागरिकों के हितो की रक्षा के लिए किया गया है।
इस अवसर पर सपाक्स के संरक्षक संजय मिश्रा, दीपक रत्नावत, संजय चैरसिया, ओपी विजयवर्गीय, बी एम.एस परिहार, अमितोज भार्गव, योगेश चैरसिया, संजय लालवानी आदि मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. राजीव पण्ड्या एवं श्रीमती स्मिता करजगांवकर आभार संभागीय नोडल अधिकारी अशोक दुबे ने माना।
विभिन्न समाजो के प्रतिनिधि भी रहे मौजूद
सपाक्स के संभागीय सम्मेलन में सपाक्स समाज से जुड़े विभिन्न समाजों के अध्यक्ष व उनके प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। सम्मेलन की खास बात यह रही कि उपस्थित समाजजनों ने संगठन को मजबूती देने के लिए सपाक्स से जुडकर घर घर जानकारी देने का संकल्प भी लिया वहीं सम्मेलन में आरक्षण प्रणाली को लेकर केन्द्रीय विद्यालय के 12वीं कक्षा के विद्यार्थी अक्षत निगम ने भी जानकारी दी की आरक्षण के कारण किस तरह सामान्य और आरक्षित वर्ग में आर्थिक रूप से भेदभाव किया जाता है।

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