रीवा शहर में एससी एसटी द्वारा बंद विफल रहा, सपाक्स ने खुलबाई दुकाने
रीवा : एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग को रोकने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश के विरोध में सोमवार को दलित संगठनों द्वारा आयोजित भारत बंद का खास असर नहीं हुआ। दलित संगठनों के कार्यकर्ता स्वामी विवेकानंद पार्क में एकत्र होकर जुलूस के रूप में शहरभर में घूमे और दुकानदारों से बाजार बंद रखने की अपील करते रहे। दूसरी तरफ सपाक्स संगठन सहित अनारक्षित वर्ग के लोग भी काफी संख्या में सड़कों पर उतर पड़े और सुको के निर्णय का स्वागत करते हुए व्यापारियों से प्रतिष्ठान खुले रखने का आग्रह करते रहे। पुलिस भी लगातार निगरानी कर रही थी। जिसके चलते अधिकांश बाजार खुले रहे।
प्रदर्शनकारियों का जुलूस समान तिराहा, शिल्पी प्लाजा से होकर पड़रा पहुंचा। इसके बाद कलेक्ट्रेट पहुंचकर राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। जिसमें मांग की गई है कि एससी-एसटी एक्ट में किए जा रहे संशोधन के निर्णय को वापस लिया जाए। एक्ट को और मजबूत बना कर पूर्व की तरह लागू किया जाए।
बंद का रहा मिलाजुला असर
शहर बंद का मिलाजुआ असर देखा गया। जरूरी सेवाएं दवा दुकान, पेट्रोल पम्प और आवागमन के साधन यथावत रहे। शैक्षणिक संस्थानों में भी कोई असर नहीं पड़ा। जबकि बाजार बंद का भी ज्यादा असर नहीं रहा। व्यापारी दुकानों का शटर खोलते बंद करते नजर आए। प्रदर्शनकारियों का जुलूस व्यापारिक प्रतिष्ठानों के पास से गुजरने पर शटर गिरा दिए और उनके निकलते ही दुकानें यथावत खुलती गईं।
नेशनल हाईवे में लगाया जाम
दोपहर लगभग 2 बजे कलेक्टर को ज्ञापन देने पहुंचे सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने उस समय आक्रोशित होकर सड़क पर जाम लगा दिया जब उन्हें कलेक्ट्रेट के अंदर लगी बाबा भीमराव अम्बेडकर के प्रतिमा स्थल तक जाने से रोक दिया गया। इससे नाराज प्रदर्शनकारी मुख्य मार्ग में बैठ गए और लगभग आधे घंटे तक आवागमन ठप रखा। बाद में कलेक्टर ने आन्दोलनकारियों में से 10-20 लोगों को ही जाने की अनुमति दी। ज्ञापन देने पहुंचे बसपा के पूर्व विधायक रामगरीब बनवासी, पूर्व विधायक विद्यावती पटेल, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष बविता साकेत सहित अन्य बसपा नेताओं ने अंदर जाकर भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
आईजी ने खुलवाया मार्ग
कलेक्ट्रेट के सामने मुख्य मार्ग में लगे जाम को वहां से गुजर रहे रीवा रेंज के आईजी उमेश जोगा ने खुलवाने का निर्देश दिया। उनके निर्देश के बाद आन्दोलनकारी यह कहते हुए सड़क से उठकर कलेक्ट्रेट गेट पर बैठ गए कि उनकी मांग प्रशासन से है। हालांकि इसी बीच पहुंचे नेताओं ने अपना आंदोलन वापस लेने की घोषणा कर दी।
जगह-जगह होती रही नोकझोक
शहर बंद कराने निकले युवा प्रदर्शनकारियों और व्यापारियों के बीच दुकान बंद करने को लेकर हल्की नोकझोंक भी हुई। कलेक्ट्रेट मार्ग में जाम के दौरान कई बार वाहन निकालने वालों के बीच विवाद जैसी स्थिति निर्मित होती रही। प्रदर्शनकारी डंडा दिखाकर दुकानें बंद कराने का प्रयास करते नजर आए। वाहन चालकों को भी रोकने का प्रयास किया। जिसके चलते विवाद की स्थिति भी निर्मित हुई। हालांकि मामला समझाइश के बाद शांत हो गया।
सपाक्स ने कोर्ट के निर्णय का किया स्वागत
बंद के दौरान सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसख्यक वर्ग अधिकारी-कर्मचारी संघ (सपाक्स) के जिलाध्यक्ष देवेन्द्र सिंह के नेतृत्व में एक सैकड़ा लोग सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए शहर की सड़कों पर उतरे। उन्होंने व्यापारियों से बंद में शामिल न होने और दुकान खोलने की अपील की। शहरभर में घूम-घूमकर सपाक्स के लोग बंद को गलत और बेबुनियाद बताते हुए कहा कि कोर्ट का निर्णय सर्वोपरि होता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय का सभी को स्वागत करना चाहिए। उनका कहना था कि ऐसे कई एक्टों में संशोधन किया गया है। जब भी एक्ट का दुरूपयोग हुआ है उसे देखते हुए सरकार और कोर्ट द्वारा संशोधन किया गया है। उसी तहत एससी-एसटी एक्ट में भी संशोधन किया गया है और यह स्वागत योग्य है।
प्रदर्शनकारियों का जुलूस समान तिराहा, शिल्पी प्लाजा से होकर पड़रा पहुंचा। इसके बाद कलेक्ट्रेट पहुंचकर राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। जिसमें मांग की गई है कि एससी-एसटी एक्ट में किए जा रहे संशोधन के निर्णय को वापस लिया जाए। एक्ट को और मजबूत बना कर पूर्व की तरह लागू किया जाए।
बंद का रहा मिलाजुला असर
शहर बंद का मिलाजुआ असर देखा गया। जरूरी सेवाएं दवा दुकान, पेट्रोल पम्प और आवागमन के साधन यथावत रहे। शैक्षणिक संस्थानों में भी कोई असर नहीं पड़ा। जबकि बाजार बंद का भी ज्यादा असर नहीं रहा। व्यापारी दुकानों का शटर खोलते बंद करते नजर आए। प्रदर्शनकारियों का जुलूस व्यापारिक प्रतिष्ठानों के पास से गुजरने पर शटर गिरा दिए और उनके निकलते ही दुकानें यथावत खुलती गईं।
नेशनल हाईवे में लगाया जाम
दोपहर लगभग 2 बजे कलेक्टर को ज्ञापन देने पहुंचे सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने उस समय आक्रोशित होकर सड़क पर जाम लगा दिया जब उन्हें कलेक्ट्रेट के अंदर लगी बाबा भीमराव अम्बेडकर के प्रतिमा स्थल तक जाने से रोक दिया गया। इससे नाराज प्रदर्शनकारी मुख्य मार्ग में बैठ गए और लगभग आधे घंटे तक आवागमन ठप रखा। बाद में कलेक्टर ने आन्दोलनकारियों में से 10-20 लोगों को ही जाने की अनुमति दी। ज्ञापन देने पहुंचे बसपा के पूर्व विधायक रामगरीब बनवासी, पूर्व विधायक विद्यावती पटेल, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष बविता साकेत सहित अन्य बसपा नेताओं ने अंदर जाकर भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
आईजी ने खुलवाया मार्ग
कलेक्ट्रेट के सामने मुख्य मार्ग में लगे जाम को वहां से गुजर रहे रीवा रेंज के आईजी उमेश जोगा ने खुलवाने का निर्देश दिया। उनके निर्देश के बाद आन्दोलनकारी यह कहते हुए सड़क से उठकर कलेक्ट्रेट गेट पर बैठ गए कि उनकी मांग प्रशासन से है। हालांकि इसी बीच पहुंचे नेताओं ने अपना आंदोलन वापस लेने की घोषणा कर दी।
जगह-जगह होती रही नोकझोक
शहर बंद कराने निकले युवा प्रदर्शनकारियों और व्यापारियों के बीच दुकान बंद करने को लेकर हल्की नोकझोंक भी हुई। कलेक्ट्रेट मार्ग में जाम के दौरान कई बार वाहन निकालने वालों के बीच विवाद जैसी स्थिति निर्मित होती रही। प्रदर्शनकारी डंडा दिखाकर दुकानें बंद कराने का प्रयास करते नजर आए। वाहन चालकों को भी रोकने का प्रयास किया। जिसके चलते विवाद की स्थिति भी निर्मित हुई। हालांकि मामला समझाइश के बाद शांत हो गया।
सपाक्स ने कोर्ट के निर्णय का किया स्वागत
बंद के दौरान सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसख्यक वर्ग अधिकारी-कर्मचारी संघ (सपाक्स) के जिलाध्यक्ष देवेन्द्र सिंह के नेतृत्व में एक सैकड़ा लोग सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए शहर की सड़कों पर उतरे। उन्होंने व्यापारियों से बंद में शामिल न होने और दुकान खोलने की अपील की। शहरभर में घूम-घूमकर सपाक्स के लोग बंद को गलत और बेबुनियाद बताते हुए कहा कि कोर्ट का निर्णय सर्वोपरि होता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय का सभी को स्वागत करना चाहिए। उनका कहना था कि ऐसे कई एक्टों में संशोधन किया गया है। जब भी एक्ट का दुरूपयोग हुआ है उसे देखते हुए सरकार और कोर्ट द्वारा संशोधन किया गया है। उसी तहत एससी-एसटी एक्ट में भी संशोधन किया गया है और यह स्वागत योग्य है।
No comments
सोशल मीडिया पर सर्वाधिक लोकप्रियता प्राप्त करते हुए एमपी ऑनलाइन न्यूज़ मप्र का सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला रीजनल हिन्दी न्यूज पोर्टल बना हुआ है। अपने मजबूत नेटवर्क के अलावा मप्र के कई स्वतंत्र पत्रकार एवं जागरुक नागरिक भी एमपी ऑनलाइन न्यूज़ से सीधे जुड़े हुए हैं। एमपी ऑनलाइन न्यूज़ एक ऐसा न्यूज पोर्टल है जो अपनी ही खबरों का खंडन भी आमंत्रित करता है एवं किसी भी विषय पर सभी पक्षों को सादर आमंत्रित करते हुए प्रमुखता के साथ प्रकाशित करता है। एमपी ऑनलाइन न्यूज़ की अपनी कोई समाचार नीति नहीं है। जो भी मप्र के हित में हो, प्रकाशन हेतु स्वीकार्य है। सूचनाएँ, समाचार, आरोप, प्रत्यारोप, लेख, विचार एवं हमारे संपादक से संपर्क करने के लिए कृपया मेल करें Email- editor@mponlinenews.com/ mponlinenews2013@gmail.com