स्वस्थ रहने का भारतीय तरीका है योग
ग्वालियर : वयस्कों और बच्चों दोनों को ही योग से फायदा होता है लेकिन बच्चे बड़ों से ज्यादा कोमल होते हैं। अगर बच्चों को बचपन से ही योग की आदत डाल दी जाए तो यह हमेशा के लिए ही उनके शरीर को स्वस्थ रखने का भारतीय तरीका है । उपरोक्त उदगार योगाचार्य दिनेश चाकणकर ने शासकीय कन्या उमावि कन्या शिंदे की छावनी में आयोजित समर कैंप में कहे। इससे पूर्व श्री चाकणकर एवं पूर्णिमा कुशवाह ने बच्चो को कॉमन योगा प्रोटोकॉल का अभ्यास कराया।
श्री चाकणकर ने कहा की बढ़ते हुए बच्चों के लिए मूवमेंट बहुत जरूरी है और योग उनके शरीर और दिमाग दोनों के विकास के लिए जांचा-परखा उपाय है। अधिकतर योगासनों की उत्पत्ति प्रकृति से ही हुई है जबकि उनमें से कुछ शेर, बिल्ली और कुत्ते जैसे पशुओं की नकल करते प्रतीत होते हैं। कुछ योगासन पर्यावरण के कुछ जैसे पहाड़, पेड़, सूर्य इत्यादि हिस्सों को भी प्रदर्शित करते हैं ताकि उनके प्राकृतिक गुणों को समाहित कर सकें।
श्री चाकणकर कहा कि म प्र शासन द्वारा शालेय विद्यार्थयों में सर्वांगीण विकास हेतु चलाये जा रहे समर कैंप का निर्णय मील का पत्थर साबित होंगे । क्योंकि इस शिविर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि बच्चे अनुपयोगी सामग्री से उपयोगी सामग्री बनाना और नृत्य चित्रकला आदि विधाओं में पारंगत होने के साथ सातह साथ पर्यावरण और जल संरक्षण तथा साफ सफाई के प्रति जागरूक हो रहे है,यहाँ तक की रोजाना योगाभ्यास के पूर्व प्रांगण की सफाई भी वे प्रशिक्षकों के साथ ही कर रहे है, साथ ही २१ जून को विश्व योग दिवस के लिए नवोदित प्रशिक्षक भी तैयार हो रहे हैं। समर कैंप में जनशिक्षक श्रीमती अर्चना दीक्षित , खेल प्रशिक्षक संतोष वर्मा , श्रीमती रेखा श्रीवास्तव और ग्रामीक्षा का भी सराहनीय सहयोग मिल रहा है
श्री चाकणकर ने कहा की बढ़ते हुए बच्चों के लिए मूवमेंट बहुत जरूरी है और योग उनके शरीर और दिमाग दोनों के विकास के लिए जांचा-परखा उपाय है। अधिकतर योगासनों की उत्पत्ति प्रकृति से ही हुई है जबकि उनमें से कुछ शेर, बिल्ली और कुत्ते जैसे पशुओं की नकल करते प्रतीत होते हैं। कुछ योगासन पर्यावरण के कुछ जैसे पहाड़, पेड़, सूर्य इत्यादि हिस्सों को भी प्रदर्शित करते हैं ताकि उनके प्राकृतिक गुणों को समाहित कर सकें।
श्री चाकणकर कहा कि म प्र शासन द्वारा शालेय विद्यार्थयों में सर्वांगीण विकास हेतु चलाये जा रहे समर कैंप का निर्णय मील का पत्थर साबित होंगे । क्योंकि इस शिविर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि बच्चे अनुपयोगी सामग्री से उपयोगी सामग्री बनाना और नृत्य चित्रकला आदि विधाओं में पारंगत होने के साथ सातह साथ पर्यावरण और जल संरक्षण तथा साफ सफाई के प्रति जागरूक हो रहे है,यहाँ तक की रोजाना योगाभ्यास के पूर्व प्रांगण की सफाई भी वे प्रशिक्षकों के साथ ही कर रहे है, साथ ही २१ जून को विश्व योग दिवस के लिए नवोदित प्रशिक्षक भी तैयार हो रहे हैं। समर कैंप में जनशिक्षक श्रीमती अर्चना दीक्षित , खेल प्रशिक्षक संतोष वर्मा , श्रीमती रेखा श्रीवास्तव और ग्रामीक्षा का भी सराहनीय सहयोग मिल रहा है
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