पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन, शोक में डूबा देश
नई दिल्ली : भारत रत्न, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) का निधन हो गया है. देश की राजनीति के सबसे करिश्माई और लोकप्रिय चेहरों में से एक वाजपेयी ने 93 साल की उम्र में दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में अंतिम सांसें लीं. वे पिछले दो महीने से ज्यादा समय से एम्स के बिस्तर पर थे और मौत से उनकी ‘ठनी’ हुई थी, हालांकि आज शाम 5 बजकर 5 मिनट बजे उन्होंने अलग रास्ता चुना और ‘काल के कपाल पर लिखकर’ वे इस दुनिया से कूच कर गए. उनके खुद के शब्दों में ‘मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं, लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं’.
तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे वाजपेयी अस्वस्थता के चलते लंबे समय से सार्वजनिक जीवन से दूर थे. वे डिमेंशिया नाम की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे. 2009 से ही वे व्हीलचेयर पर थे, देशवासियों ने उन्हें अंतिम बार 2015 में 27 मार्च को देखा जब तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भारत माता के इस सच्चे सपूत को भारत रत्न से सम्मानित करने उनके आवास पर पहुंचे.
दो महीने पहले वाजपेयी की तबीयत और ज्यादा खराब हो गई. यूरीन में इन्फेक्शन के चलते 11 जून को उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित बीजेपी और देश की अलग-अलग पार्टियों के नेता और अनेक गण्यमान हस्तियां उनका हालचाल जानने पहुंचीं. उनके समर्थक लगातार उनकी सलामती की दुआ कर रहे थे, हालांकि कुदरत को शायद कुछ और मंजूर था.
वाजपेयी के निधन से देश की राजनीति के एक सुनहरे दौर का अंत हो गया है. ऐसा दौर जिसमें राजनीतिक मतभेद को मनभेद में बदलने की इजाजत नहीं होती. वाजपेयी लंबे समय तक नेता विपक्ष रहे, तीन बार प्रधानमंत्री रहे लेकिन उनकी लोकप्रियता किसी पद पर उनके होने या न होने की मोहताज नहीं रही. उनकी स्वीकार्यता जितनी पार्टी के भीतर थी, उतना ही वे दूसरी पार्टियों में भी लोकप्रिय थे. यही वजह रही कि एम्स में उनकी भर्ती की खबर सुन सबसे पहले उनका हालचाल जानने पहुंचने वालों में पीएम नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के साथ-साथ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी थे. आज भी जब उनके निधन की खबर आई तो पूरा देश शोक में डूब गया.
अटल बिहारी वाजपेयी देश की सक्रिय राजनीति में पांच दशक से ज्यादा समय तक रहे. वे देश के पहले गैरकांग्रेसी प्रधानमंत्री थे. उन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव 1952 में लड़ा, हालांकि पहली जीत उन्हें 1957 में मिली. तब से 2009 तक वे लगातार संसदीय राजनीति में बने रहे. 1977 में वे पहली बार मंत्री बने जबकि 1996 में वे 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री भी रहे.
हालांकि 1998 में उन्हें एक बार फिर पीएम बनने का मौका मिला. उनकी ये सरकार भी सिर्फ 13 महीने चली लेकिन इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन के बहुमत वाली सरकार बनी और वाजपेयी ने पीएम के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया. 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में वे लखनऊ से लोकसभा सदस्य चुने गए.
तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे वाजपेयी अस्वस्थता के चलते लंबे समय से सार्वजनिक जीवन से दूर थे. वे डिमेंशिया नाम की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे. 2009 से ही वे व्हीलचेयर पर थे, देशवासियों ने उन्हें अंतिम बार 2015 में 27 मार्च को देखा जब तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भारत माता के इस सच्चे सपूत को भारत रत्न से सम्मानित करने उनके आवास पर पहुंचे.
दो महीने पहले वाजपेयी की तबीयत और ज्यादा खराब हो गई. यूरीन में इन्फेक्शन के चलते 11 जून को उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित बीजेपी और देश की अलग-अलग पार्टियों के नेता और अनेक गण्यमान हस्तियां उनका हालचाल जानने पहुंचीं. उनके समर्थक लगातार उनकी सलामती की दुआ कर रहे थे, हालांकि कुदरत को शायद कुछ और मंजूर था.
वाजपेयी के निधन से देश की राजनीति के एक सुनहरे दौर का अंत हो गया है. ऐसा दौर जिसमें राजनीतिक मतभेद को मनभेद में बदलने की इजाजत नहीं होती. वाजपेयी लंबे समय तक नेता विपक्ष रहे, तीन बार प्रधानमंत्री रहे लेकिन उनकी लोकप्रियता किसी पद पर उनके होने या न होने की मोहताज नहीं रही. उनकी स्वीकार्यता जितनी पार्टी के भीतर थी, उतना ही वे दूसरी पार्टियों में भी लोकप्रिय थे. यही वजह रही कि एम्स में उनकी भर्ती की खबर सुन सबसे पहले उनका हालचाल जानने पहुंचने वालों में पीएम नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के साथ-साथ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी थे. आज भी जब उनके निधन की खबर आई तो पूरा देश शोक में डूब गया.
अटल बिहारी वाजपेयी देश की सक्रिय राजनीति में पांच दशक से ज्यादा समय तक रहे. वे देश के पहले गैरकांग्रेसी प्रधानमंत्री थे. उन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव 1952 में लड़ा, हालांकि पहली जीत उन्हें 1957 में मिली. तब से 2009 तक वे लगातार संसदीय राजनीति में बने रहे. 1977 में वे पहली बार मंत्री बने जबकि 1996 में वे 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री भी रहे.
हालांकि 1998 में उन्हें एक बार फिर पीएम बनने का मौका मिला. उनकी ये सरकार भी सिर्फ 13 महीने चली लेकिन इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन के बहुमत वाली सरकार बनी और वाजपेयी ने पीएम के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया. 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में वे लखनऊ से लोकसभा सदस्य चुने गए.
अटल जी आज हमारे बीच में नहीं रहे, लेकिन उनकी प्रेरणा, उनका मार्गदर्शन, हर भारतीय को, हर भाजपा कार्यकर्ता को हमेशा मिलता रहेगा। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके हर स्नेही को ये दुःख सहन करने की शक्ति दे। ओम शांति !— Narendra Modi (@narendramodi) August 16, 2018
लेकिन वो हमें कहकर गए हैं-— Narendra Modi (@narendramodi) August 16, 2018
“मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं,
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूं?”
मैं नि:शब्द हूं, शून्य में हूं, लेकिन भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा है।— Narendra Modi (@narendramodi) August 16, 2018
हम सभी के श्रद्धेय अटल जी हमारे बीच नहीं रहे। अपने जीवन का प्रत्येक पल उन्होंने राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। उनका जाना, एक युग का अंत है।
मैं परम श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। हम सब के लिए ये दुखदायी क्षण है। हमारे सिर से पितृतुल्य ऐसे व्यक्तित्व का साया उठ गया, जिसने हमेशा चुनौतियों से लड़ने का साहस दिया, नई राह दिखाई। आज एक राजनीतिक युग का अंत हो गया।— ShivrajSingh Chouhan (@ChouhanShivraj) August 16, 2018
अपने जीवन का क्षण-क्षण और शरीर का कण-कण देश, संगठन व विचारधारा को पूर्णतः समर्पित कर देना इतना आसान नहीं होता। अटल जी को हम सब ने एक आदर्श स्वयंसेवक, समर्पित कार्यकर्ता, कवि, ओजस्वी वक्ता व अद्भुत राजनेता के रूप में देखा।— Amit Shah (@AmitShah) August 16, 2018
पूर्व प्रधानमंत्री व भारतीय राजनीति की महान विभूति श्री अटल बिहारी वाजपेयी के— President of India (@rashtrapatibhvn) August 16, 2018
देहावसान से मुझे बहुत दुख हुआ है। विलक्षण नेतृत्व, दूरदर्शिता तथा अद्भुत भाषण उन्हें
एक विशाल व्यक्तित्व प्रदान करते थे।उनका विराट व स्नेहिल व्यक्तित्व हमारी स्मृतियों में बसा रहेगा—राष्ट्रपति कोविन्द
🚩अतुल्य अटल🚩— BJP MadhyaPradesh (@BJP4MP) August 16, 2018
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥#PrayForAtalji pic.twitter.com/pFseNGDZVa
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