सपाक्स अधिकारी कर्मचारी संस्था ने पंचायत मंत्री को ज्ञापन सौपा। Sidhi News
सीधी : हाइकोर्ट के निर्देश अनुसार पदोन्नति में आरक्षण समाप्त करते हुए सामान्य पिछड़ा अल्पसंख्यक अधिकारी कर्मचारी को पदोन्नति प्रदान किया जाना, राज्य शासन द्वारा 2016 से रुकी हुई पदोंन्नतियों को प्रारम्भ किए जाने के संबंध मे प्रदेश के पंचायत मंत्री को ज्ञापन सौपा है।
सपाक्स संस्था ने ज्ञापन में स्पष्ट किया है कि मान। उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने डी.ए. 16.04.2019 को अवधि क्र। डब्ल्यू.पी। 13241/2017, धीरेन्द्र चतुर्वेदी के खिलाफ म.प्र.शासन से म.प्र। उच्च न्यायालय के प्रकरण क्र। डब्ल्यू.पी। 1942/2011, आर.बी.राय के खिलाफ म.प्र.शासन, जिस पर वर्तमान में मान। सर्वोच्च न्यायालय ने नोड क्र। एस.एल.पी. 13954/2016 में अवधि पर "यथास्थिति" बनाए रखने के अंतरिम आदेश दिए गए थे, की व्याख्या देकर यह स्पष्ट कर दिया है कि उक्त अंतरिम आदेश के कारण सामान्य, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग की गतिविधियों के लिए रोकी जा सकती हैं।
महाकाव्य के संबंध में निम्नलिखित तथ्य विचारणीय हैं-
1 मध्यप्रदेश में वितरण, लोक सेवा संवर्धन नियम 2002 के अंतर्गत की जा रही थी। इन नियमों में अनुसूचित जाति / जनजाति वर्ग के शासकीय सेवकों की शिक्षाओं के प्रावधान भी समाहित हैं।
2 उक्त नियमों में अनुसूचित जाति / जनजाति वर्ग की शिक्षाओं के लिए किए गए प्रावधानों को मान लिया गया। उच्च न्यायालय जबलपुर ने संविधान के विपरीत पाया और दिनांक 30.04.2016 के अपने निर्णय में आदेशित किया कि उन सभी अनु. प्रकृति / जनजाति वर्ग के सेवकों को पदावनत् किया जाएगा, जिन्हें लोक सेवा पदोन्नति नियम 2002 के तहत असंवैधानिक प्रावधानों का लाभ / लाभ दिया जाएगा। गया है।
3. मध्यप्रदेश शासन की मान्यता। सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय के खिलाफ की गई अपील पर मान। सर्वोच्च न्यायालय ने “यथास्थिति” बनाए रखने के अंतरिम आदेश दिनांक 12.05.2016 को पारित किया। उक्त प्रकरण में अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।
4. महाकाव्य में "यथास्थिति" के आदेश के बाद से विगत 3 वर्ष से अधिक समय से प्रदेश के सभी विभागों में व्यावसायिक दृष्टिकोण बाधित होते हैं, जबकि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में एक प्रकरण क्र। 19935/2014 में माना जाता है। उच्च न्यायालय जबलपुर के अंतरिम आदेश से दिनांक 05.01.2015 से ही पदोन्नति प्रक्रिया रुकी हुई है।
5. मान। उच्च न्यायालय की जबलपुर के दिनांक 16.04.2019 को अवधि क्र। डब्ल्यू.पी। 13241/2017, धीरेन्द्र चतुर्वेदी के खिलाफ म.प्र.शासन में पारित निर्णय के पैरा 10 में सभी पहलुओं की अनुच्छेद व्याख्या की गई हैं और यह स्पष्ट किया गया है कि जहां आरक्षण का विषय न हो, वहाँ माननीय सर्वोच्च न्यायालय के एसएसपी क्र। 13954/2016 में पारित यथास्थिति के अंतरिम आदेश बाबर नहीं है। अतः उपरोक्त निर्णय से यह स्पष्ट है कि "यथास्थिति" के अंतरिम आदेश केवल अनुसूचित जाति / जनजाति वर्ग के लिए हैं। सामान्य / पिछड़ा वर्ग के शासकीय सेवकों की पदोन्नति पर उक्त आदेश से कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
अतः स्पष्ट है कि अवधि पर यथास्थिति के आदेश की गलत व्याख्या कर शासन ने आज दिनांक तक सामान्य / पिछड़ा वर्ग के सेवकों की बेचैनियों को बाधित कर अन्याय किया है। शासन का पदोन्नति देने के संबंध में निर्णय स्वागत योग्य और विधि सम्मत है किउ यदि अनुसूचित जाति / जनजाति वर्ग के शासकीय सेवक को किसी भी प्रकार से पदोन्नति देने के प्रयास किए जाते है जो पूर्व से ही 2/3 पदोन्नति प्राप्त कर चुका है राज्य शासन के आकड़ो के आधार पदोन्नति के पदों में आरक्षित वर्गों का प्रतिनिधित्व उनकी जनसंख्या से कही ज्यादा हो गया है तो यह सामान्य / पिछड़ा वर्ग के सेवकों के साथ है। ऊठ घोर अन्याय होगा और माननीय उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों की अवमानना होगी।
साहब, अनुसूचित जाति / जनजाति वर्ग के शासकीय सेवक, जिन्हें वास्तव में पदावनत किया जाना है, को अलग रखना वरिष्ठता के अनुसार खाली उच्च पदों पर नियमानुसार पदोन्नति की प्रक्रिया कर तत्काल कार्यवाही किए जाने का अनुरोध है। पूछना है कि सभी शासकीय सेवको की मूल वरिष्ठता के आधार पर ही पदोन्नति की जाएगी।
सरकार द्वारा विधि विरुद्ध माननीय न्यायालय की अवमानना करते हुए यदि कोई भी कार्यवाही की जाती है तो SPx इसका प्रखर विरोध करेगा और माननीय न्यायालय में ऐसे किसी भी निर्णय के विरोध में जावेगा।
पूछो कि मान है। न्यायालय के ताजा निर्णय के अनुरूप ही न्यायालयन्नितैँ किया गया न्याय किया जाय।
ज्ञापन सौपते समय प्रमुख रूप से आशुतोष तिवारी अध्यक्ष एसपी क्स, के के पांडेय नोडल, (डीडीए) के के पांडेय (ट्राइवल), डॉ के एम द्विवेदी, डॉ अरन सिंह चौहान नोडल, श्री मती माधुरी सिंह, अनुराग पाठक, अखिलेश गौतम, दिनेश सिंह चौहान, विनय मिश्र, विनोद कुमार दुबे नोडल, राममोहन द्विवेदी, प्रमोद द्विवेदी सामिल रहे।
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