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दीपावली के अवसर पर प्रदूषण मुक्त पटाखे-फुलझड़ी का करें उपयोग

दीपावली के अवसर पर प्रदूषण मुक्त पटाखे-फुलझड़ी का करें उपयोग

अनूपपुर /प्रदीप मिश्रा-8770089979


 क्षेत्रीय अधिकारी मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जानकारी दी है कि दीपावली प्रकाश का पर्व है परंतु दीपावली के समय विभिन्न प्रकार के पटाखों का उपयोग बड़ी मात्रा में किया जाता है। ज्वलनशील एवं ध्वनि कारक पटाखों के उपयोग के कारण परिदृश्य वायु में प्रदूषक तत्व एवं ध्वनि स्तर में वृद्धि होकर पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कुछ पटाखों से उत्पन्न ध्वनि की तीव्रता बहुत अधिक होती है। अतः इस प्रकार के प्रदूषण पर नियंत्रण किया जाना अति आवश्यक है। जिससे मानव अंगों पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया कि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जारी अधिसूचना जी0ए0आर0 682 (ई) 5 अक्टूबर 2019 में पटाखों के लिए ध्वनि स्तर मानक तय किए गए हैं।  प्रस्फुटन के बिन्दु से 04 मीटर कह दूरी पर 125 डी0बी0 (ए0आई0) या 145 (सी)पी.कं. अधिक ध्वनि स्तर जनक पटाखो का विनिर्माण विक्रय डी0बी0 (सी) पी.कं. से अधिक ध्वनि स्तर जनक पटाखो का विनिर्माण विक्रय या उपयोग वर्जित है। लड़ी (जुड़े हुए पटाखों) गठित करने वाले अलग-अलग पटाखों के लिए ऊपर वर्णित 5 सवह 10 (छ) क्ठ तक कम किया जा सकेगा, जहां एक-एक साथ जुड़े हुए पटाखों की संख्या। उच्चतम न्यायालय द्वारा रिट पिटिशन (सिविल) क्रमांक 72/1998 ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण के परिपेक्ष में 18 जुलाई 2005 को जारी निर्णय में दिए गए निर्देशानुसार रात्रि 10.00 बजे से प्रातः 6.00 बजे तक ध्वनि कारक पटाखों को चलाया जाना पूर्णतः वर्जित होगा। पटाखों की जलने से उत्पन्न कागज के टुकड़े एवं अधिक जल बारूद बच जाती है तथा इसे कचरे के संपर्क में आने वाले पशुओं के एवं बच्चों को दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना रहती है। आम जनता से अनुरोध है कि पटाखों का उपयोग सीमित मात्रा में करें एवं पटाखों के पश्चात उत्पन्न कचड़े को घरेलू कचरे के साथ न रखें उन्हें अलग स्थान पर रखकर नगरपालिका के कर्मचारियों को सौंप दें। नगर पालिकाओं से यह भी अनुरोध है कि पटाखों का कचरा पृथक संग्रहित करके इसका निष्पादन सुनिश्चित करें तथा पटाखों के जलाने के उपरांत उसमें उत्पन्न कचड़े को ऐसे स्थान पर न फेंके जहां पर प्राकृतिक जल स्रोत एवं पेयजल स्त्रोतों प्रदूषित होने की संभावना है, क्योंकि विस्फोटक सामग्री खतरनाक रसायनों से निर्मित होती है।

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