4 कैबिनेट, 14 राज्य मंत्री व 3 को स्वतंत्र प्रभार: जानिए, कौन क्यों बना मंत्री
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट का पहला विस्तार हो गया है। रविवार के कार्यक्रम में शिवसेना की ओर से किसी नेता ने शपथ नहीं ली। शिवसेना से तनातनी इस स्तर पर पहुंच गई है कि पार्टी के कोटे से केंद्र में मंत्री अनंत गीते रविवार शाम तक इस्तीफा दे सकते हैं। इससे पहले आज के कैबिनेट विस्तार में चार कैबिनेट, 14 राज्य मंत्री और तीन स्वतंत्र प्रभार के मंत्री बनाए गए हैं। सबसे पहले मनोहर पर्रिकर ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। सुरेश प्रभु, जेपी नड्डा और फिर बीरेंद्र सिंह ने शपथ ली। इसके बाद मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में बंडारू दत्तात्रेय, राजीव प्रताप रूडी और महेश शर्मा ने शपथ ली। मुख्तार अब्बास नकवी, रामकृपाल यादव, हरिभाई चौधरी, सांवरलाल जाट, मोहन कुंदारिया, गिरिराज सिंह, हंसराज अहीर, रामशंकर कठेरिया, वाईएस चौधरी और जयंत सिन्हा, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, बाबुल सुप्रियो, साध्वी निरंज ज्योति, विजय सांपला ने राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
क्यों बनाए गए मंत्री
मनोहर पर्रिकर
ईमानदार छवि और लो प्रोफाइल रखने वाले नेता। आईआईटी बैकग्राउंड वाले पर्रिकर बड़े मंत्रालय संभालने के योग्य उम्मीदवार हैं। इसके अलावा, पीएम के धुर समर्थक। मोदी के लिए आडवाणी को भी खरी खोटी सुना सुके हैं।
सुरेश प्रभु
अच्छी छवि। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान इंडस्ट्री ,पयार्वरण, और ऊर्जा मंत्रालयों में मंत्री के रूप में काम का तजुर्बा। आर्थिक विषयों के एक्सपर्ट। ऊर्जा मंत्री रहते हुए प्रभु उर्जा क्षेत्र के निजीकरण के हिमायती रहे हैं।
जेपी नड्डा
मोदी और अमित शाह के बेहद करीबी। पार्टी महासचिव के तौर पर अध्यक्ष अमित शाह के रणनीतिकारों में गिने जाते हैं। संघ के काफी नजदीक हैं।
चौधरी बीरेंद्र सिंह
इनको मंत्री बनाए जाने को हरियाणा में किसी जाट नेता को सीएम न बनाने के मुआवजे के तौर पर देखा जा रहा है। इसके अलावा, दिल्ली विधानसभा चुनावों के मद्देनजर जाट वोटों को आकर्षित करने के लिए भी उन्हें मंत्री बनाया गया है।
बंडारु दत्तात्रेय
नए बने राज्य तेलंगाना में बीजेपी को जमाने की कोशिश।
राजीव प्रताप रूडी
बिहार के सारण से 16 वीं लोकसभा में भाजपा के युवा सांसद राजीव प्रताप रूडी को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। रूडी ने सारण सीट से लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी को हराया था। मंत्री बनाकर बीजेपी ने उन्हें राबड़ी देवी को हराने का ईनाम दिया है। उनके पास वाजपेयी सरकार में भी नागरिक उड्डयन मंत्री के तौर पर काम करने का अनुभव है।
महेश शर्मा
नोएडा से डॉक्टर हैं। युवा और ब्राह्मण होने का फायदा मिला। यूपी में ब्राह्मणों वोटों को साधने की कोशिश की गई है। इसके अलावा, महेश के पिता की जड़ें राजस्थान से जुड़ी हैं। ऐसे में दोनों राज्यों में राजनीतिक फायदा मिल सकता है।
मुख्तार अब्बास नकवी
बीजेपी का अल्पसंख्यक चेहरा हैं। इसके अलावा, सार्वजनिक मंचों पर पार्टी को मजबूती से रखते हैं। बेहतर काम का इनाम मिला। हालांकि, माना जाता है कि पहले मंत्रिमंडल में इसलिए जगह नहीं दी गई क्योंकि मोदी उनसे नाराज थे। यह नाराजगी जेडीयू के साबिर अली को पार्टी में शामिल करने की संभावनाओं पर नकवी की एक टिप्पणी को लेकर था।
हरिभाई चौधरी
हरिभाई चौधरी गुजरात के बनासकंठा से सांसद हैं और साफ छवि के नेता माने जाते हैं। माना जा रहा है कि केंद्रीय कैबिनेट में गुजरात की भागेदारी सुनिश्चित करने के लिए उन्हें मंत्री बनाया गया है।
रामकृपाल यादव
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के भरोसेमंद साथियों में शामिल रहे रामकृपाल यादव ने भी आम चुनाव से पहले बीजेपी का दामन थामा था। रामकृपाल 16 वीं लोकसभा में बिहार की पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से सांसद हैं। उन्होंने लालू प्रसाद यादव के बड़ी बेटी मीसा भारती को चुनाव मैदान में शिकस्त दी। उन्हें मंत्री बनाए जाने को उनकी जीत के ही ईनाम के तौर पर देखा जा रहा है। रामकृपाल को मंत्री बनाकर बीजेपी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पिछड़ी जातियों खासकर यादव समाज को अपने पाले में करना चाहती है। रामकृपाल लंबे समय से आरजेडी से जुडे रहे और आरजेडी टिकट पर पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र से चौदहवीं लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं।
मोहनभाई कुंडारिया
कुंडारिया राजकोट के टंकारा से पांच बार एमएलए रह चुके हैं। मोदी के गुजरात में सीएम रहने के दौरान मंत्री भी रह चुके हैं। मोदी के नजदीकी माने जाते हैं। वह राज्य के शक्तिशाली पटेल समुदाय का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। केशुभाई पटेल के अलग होने के बावजूद इस समुदाय को बीजेपी से जोड़े रखने का बहुत कुछ श्रेय कुंडारिया को जाता है। कुंडारिया के आने से अब केंद्रीय कैबिनेट में गुजरात के कई प्रतिनिधि हो गए हैं। ये हैं-अरुण जेटली व स्मृति ईरानी (गुजरात से राज्यमंत्री), हरिभाई चौधरी और मोहनभाई।
सांवरलाल जाट
राजस्थान कोटे से एक और मंत्री। जिस तरीके से राज्यवर्धन सिंह के साथ राजपूत वोटों को साधा गया है, ठीक उसी तरह से जाट वोटों को ध्यान में रखते हुए सांवरलाल को मंत्री बनाया गया है।
गिरिराज सिंह
बिहार में विधानसभा चुनाव 2015 के मद्देनजर राज्य का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए कैबिनेट में शामिल। नवादा से सांसद गिरिराज मोदी के धुर समर्थक और नीतीश के जबर्दस्त आलोचक हैं। लोकसभा चुनावों के प्रचार के दौरान गिरिराज सिंह ने मोदी के पक्ष में बेहद गर्मजोशी से प्रचार किया था। वह अपने हिंदूवादी रुख के कारण भी जाने जाते हैं।
रामशंकर कठेरिया
दलित समाज का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए आगे लाए गए। उत्तर प्रदेश से आने वाले नेता। आगरा के सांसद। पंजाब के प्रभारी।
वाईएस चौधरी
आंध्र प्रदेश से टीडीपी कोटे के राज्यसभा सांसद वाईएस चौधरी को भी केंद्रीय मंत्रीमंडल में शामिल किया गया है। चौधरी को मंत्री बनाकर बीजेपी टीडीपी को खुश करना चाहती है और आंध्र प्रदेश का प्रतिनिधित्व बढ़ाना चाहती है। वाईएस चौधरी टीडीपी प्रमुख एन.चंद्रबाबू नायडू के करीबी माने जाते हैं।
जयंत सिन्हा
झारखंड के हजारीबाग से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री वरिष्ठ बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा भी मोदी कैबिनेट में शामिल किए गए हैं। सिन्हा युवा हैं और वे आर्थिक जगत में लंबे समय तक काम कर चुके हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा अब राजनीति में सक्रिय नहीं हैं। ऐसे में जयंत के तजुर्बे का फायदा उठाने के मकसद से उन्हें मंत्री बनाया गया है।
राज्यवर्धन सिंह राठौड़
युवाओं को मेसेज देने की कोशिश। राजस्थान कोटे से मंत्री, जानकार मानते हैं कि राज्य से कम मंत्री बनाए जाने से नाराज सीएम वसुंधरा राजे को थोड़ी राहत मिलेगी। जातिगत समीकरण के तहत राजपूत वोटों को साधने की भी कोशिश की गई है। सांवरलाज जाट के साथ भी जानकार यही गणित देख रहे हैं।
बाबुल सुप्रियो
पश्चिम बंगाल से सांसद। राज्य में जड़ें जमाने की कोशिश और 2016 में होने वाले चुनावों के मद्देनजर राज्य के पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने की रणनीति के तहत नाम आया।
साध्वी निरंजन ज्योति
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर से लोकसभा सांसद। उत्तर प्रदेश खासकर मध्य उत्तर प्रदेश का कैबिनेट में प्रतिनिधित्व बढ़ाने की कोशिश के तहत मंत्री बनाया गया। छवि साफ सुथरी।
विजय सांपला
पंजाब चुनाव में दलित कार्ड खेलने की तैयारी में लगी बीजेपी ने दलित चेहरे विजय सांपला को मंत्रिमंडल में शामिल किया है। विजय सांपला पहली बार पंजाब के होशियारपुर से लोकसभा सांसद चुने गए हैं। उन्होंने कांग्रेस के मोहिंदर सिंह केपी को हराया था। सांपला के जरिए बीजेपी पंजाब में दलित समुदाय को अपने साथ जोड़ना चाहती है।
क्यों बनाए गए मंत्री
मनोहर पर्रिकर
ईमानदार छवि और लो प्रोफाइल रखने वाले नेता। आईआईटी बैकग्राउंड वाले पर्रिकर बड़े मंत्रालय संभालने के योग्य उम्मीदवार हैं। इसके अलावा, पीएम के धुर समर्थक। मोदी के लिए आडवाणी को भी खरी खोटी सुना सुके हैं।
सुरेश प्रभु
अच्छी छवि। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान इंडस्ट्री ,पयार्वरण, और ऊर्जा मंत्रालयों में मंत्री के रूप में काम का तजुर्बा। आर्थिक विषयों के एक्सपर्ट। ऊर्जा मंत्री रहते हुए प्रभु उर्जा क्षेत्र के निजीकरण के हिमायती रहे हैं।
जेपी नड्डा
मोदी और अमित शाह के बेहद करीबी। पार्टी महासचिव के तौर पर अध्यक्ष अमित शाह के रणनीतिकारों में गिने जाते हैं। संघ के काफी नजदीक हैं।
चौधरी बीरेंद्र सिंह
इनको मंत्री बनाए जाने को हरियाणा में किसी जाट नेता को सीएम न बनाने के मुआवजे के तौर पर देखा जा रहा है। इसके अलावा, दिल्ली विधानसभा चुनावों के मद्देनजर जाट वोटों को आकर्षित करने के लिए भी उन्हें मंत्री बनाया गया है।
बंडारु दत्तात्रेय
नए बने राज्य तेलंगाना में बीजेपी को जमाने की कोशिश।
राजीव प्रताप रूडी
बिहार के सारण से 16 वीं लोकसभा में भाजपा के युवा सांसद राजीव प्रताप रूडी को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। रूडी ने सारण सीट से लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी को हराया था। मंत्री बनाकर बीजेपी ने उन्हें राबड़ी देवी को हराने का ईनाम दिया है। उनके पास वाजपेयी सरकार में भी नागरिक उड्डयन मंत्री के तौर पर काम करने का अनुभव है।
महेश शर्मा
नोएडा से डॉक्टर हैं। युवा और ब्राह्मण होने का फायदा मिला। यूपी में ब्राह्मणों वोटों को साधने की कोशिश की गई है। इसके अलावा, महेश के पिता की जड़ें राजस्थान से जुड़ी हैं। ऐसे में दोनों राज्यों में राजनीतिक फायदा मिल सकता है।
मुख्तार अब्बास नकवी
बीजेपी का अल्पसंख्यक चेहरा हैं। इसके अलावा, सार्वजनिक मंचों पर पार्टी को मजबूती से रखते हैं। बेहतर काम का इनाम मिला। हालांकि, माना जाता है कि पहले मंत्रिमंडल में इसलिए जगह नहीं दी गई क्योंकि मोदी उनसे नाराज थे। यह नाराजगी जेडीयू के साबिर अली को पार्टी में शामिल करने की संभावनाओं पर नकवी की एक टिप्पणी को लेकर था।
हरिभाई चौधरी
हरिभाई चौधरी गुजरात के बनासकंठा से सांसद हैं और साफ छवि के नेता माने जाते हैं। माना जा रहा है कि केंद्रीय कैबिनेट में गुजरात की भागेदारी सुनिश्चित करने के लिए उन्हें मंत्री बनाया गया है।
रामकृपाल यादव
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के भरोसेमंद साथियों में शामिल रहे रामकृपाल यादव ने भी आम चुनाव से पहले बीजेपी का दामन थामा था। रामकृपाल 16 वीं लोकसभा में बिहार की पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से सांसद हैं। उन्होंने लालू प्रसाद यादव के बड़ी बेटी मीसा भारती को चुनाव मैदान में शिकस्त दी। उन्हें मंत्री बनाए जाने को उनकी जीत के ही ईनाम के तौर पर देखा जा रहा है। रामकृपाल को मंत्री बनाकर बीजेपी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पिछड़ी जातियों खासकर यादव समाज को अपने पाले में करना चाहती है। रामकृपाल लंबे समय से आरजेडी से जुडे रहे और आरजेडी टिकट पर पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र से चौदहवीं लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं।
मोहनभाई कुंडारिया
कुंडारिया राजकोट के टंकारा से पांच बार एमएलए रह चुके हैं। मोदी के गुजरात में सीएम रहने के दौरान मंत्री भी रह चुके हैं। मोदी के नजदीकी माने जाते हैं। वह राज्य के शक्तिशाली पटेल समुदाय का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। केशुभाई पटेल के अलग होने के बावजूद इस समुदाय को बीजेपी से जोड़े रखने का बहुत कुछ श्रेय कुंडारिया को जाता है। कुंडारिया के आने से अब केंद्रीय कैबिनेट में गुजरात के कई प्रतिनिधि हो गए हैं। ये हैं-अरुण जेटली व स्मृति ईरानी (गुजरात से राज्यमंत्री), हरिभाई चौधरी और मोहनभाई।
सांवरलाल जाट
राजस्थान कोटे से एक और मंत्री। जिस तरीके से राज्यवर्धन सिंह के साथ राजपूत वोटों को साधा गया है, ठीक उसी तरह से जाट वोटों को ध्यान में रखते हुए सांवरलाल को मंत्री बनाया गया है।
गिरिराज सिंह
बिहार में विधानसभा चुनाव 2015 के मद्देनजर राज्य का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए कैबिनेट में शामिल। नवादा से सांसद गिरिराज मोदी के धुर समर्थक और नीतीश के जबर्दस्त आलोचक हैं। लोकसभा चुनावों के प्रचार के दौरान गिरिराज सिंह ने मोदी के पक्ष में बेहद गर्मजोशी से प्रचार किया था। वह अपने हिंदूवादी रुख के कारण भी जाने जाते हैं।
रामशंकर कठेरिया
दलित समाज का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए आगे लाए गए। उत्तर प्रदेश से आने वाले नेता। आगरा के सांसद। पंजाब के प्रभारी।
वाईएस चौधरी
आंध्र प्रदेश से टीडीपी कोटे के राज्यसभा सांसद वाईएस चौधरी को भी केंद्रीय मंत्रीमंडल में शामिल किया गया है। चौधरी को मंत्री बनाकर बीजेपी टीडीपी को खुश करना चाहती है और आंध्र प्रदेश का प्रतिनिधित्व बढ़ाना चाहती है। वाईएस चौधरी टीडीपी प्रमुख एन.चंद्रबाबू नायडू के करीबी माने जाते हैं।
जयंत सिन्हा
झारखंड के हजारीबाग से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री वरिष्ठ बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा भी मोदी कैबिनेट में शामिल किए गए हैं। सिन्हा युवा हैं और वे आर्थिक जगत में लंबे समय तक काम कर चुके हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा अब राजनीति में सक्रिय नहीं हैं। ऐसे में जयंत के तजुर्बे का फायदा उठाने के मकसद से उन्हें मंत्री बनाया गया है।
राज्यवर्धन सिंह राठौड़
युवाओं को मेसेज देने की कोशिश। राजस्थान कोटे से मंत्री, जानकार मानते हैं कि राज्य से कम मंत्री बनाए जाने से नाराज सीएम वसुंधरा राजे को थोड़ी राहत मिलेगी। जातिगत समीकरण के तहत राजपूत वोटों को साधने की भी कोशिश की गई है। सांवरलाज जाट के साथ भी जानकार यही गणित देख रहे हैं।
बाबुल सुप्रियो
पश्चिम बंगाल से सांसद। राज्य में जड़ें जमाने की कोशिश और 2016 में होने वाले चुनावों के मद्देनजर राज्य के पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने की रणनीति के तहत नाम आया।
साध्वी निरंजन ज्योति
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर से लोकसभा सांसद। उत्तर प्रदेश खासकर मध्य उत्तर प्रदेश का कैबिनेट में प्रतिनिधित्व बढ़ाने की कोशिश के तहत मंत्री बनाया गया। छवि साफ सुथरी।
विजय सांपला
पंजाब चुनाव में दलित कार्ड खेलने की तैयारी में लगी बीजेपी ने दलित चेहरे विजय सांपला को मंत्रिमंडल में शामिल किया है। विजय सांपला पहली बार पंजाब के होशियारपुर से लोकसभा सांसद चुने गए हैं। उन्होंने कांग्रेस के मोहिंदर सिंह केपी को हराया था। सांपला के जरिए बीजेपी पंजाब में दलित समुदाय को अपने साथ जोड़ना चाहती है।

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