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इशारों में बोली गीता 'अब मैं इंदौर की बेटी'

इंदौर। पाकिस्तान से सोमवार को दिल्ली पहुंची गीता मंगलवार शाम 6.30 बजे इंदौर एयरपोर्ट पहुंची। एयरपोर्ट से उसे शाम 7 बजे सीधे गुमाश्ता नगर स्थित अपने नए घर मूक-बधिर संगठन भवन ले जाया गया। वहां पहुंचते ही गीता ने इशारों में कहा, अब वह इंदौर की बेटी है। मूक-बधिर बच्चों से मिलकर गीता फूली नहीं समाई। वह बच्चों के साथ घंटों इशारों में बातें करती रही। बच्चे भी उसे अपने बीच पाकर खुशी से झूम उठे। गीता ने बारी-बारी नए घर के सदस्यों से मुलाकात की।

आते से घुल-मिल गई
नए घर पहुंचते ही गीता बच्चों से घुल-मिल गई। बच्चे भी उससे मिलने के लिए उत्साहित नजर आए। कोई उसे बार-बार छू रहा था तो कोई इशारों में अपनी बात बताना चाहता था। गीता भी हर बच्चे से इशारे में अपनी हर बात कहना चाहती थी। कुछ बच्चे गुलदस्ते देकर उससे हाथ मिलाने को उत्सुक नजर आए। महज 5 से 10 मिनट में गीता बच्चों के बीच ऐसे घुल-मिल गई, जैसे वह यहां महीनों से रह रही हो।

सभी ने गीता को दुलारा
पूर्व शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनीस और इंदौर की महापौर मालिनी गौड़ कार्यक्रम के दौरान गीता को दुलारती नजऱ आई। इस दौरान होस्टल के मूक-बधिर बच्चों ने गीता को अपने बीच बैठाकर गौरवांन्वित महसूस भी किया।

इसलिए चुना इंदौर
मूक-बधिर संस्था के अध्यक्ष मुरलीधर खंडेलवाल ने बताया, पूरे देश में इंदौर में एकमात्र मूक-बधिर संगठन है, जो हर लिहाज से बेहतर है, इसलिए गीता के नए घर के लिए इसे चुना गया। इससे पहले केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोद ने एयरपोर्ट पर गीता को महापौर मालिनी गौड़ के सुपुर्द किया। गीता के साथ संगठन की संचालिका मोनिका पंजाबी वर्मा थीं।

स्पेन की मनोवैज्ञानिक गीता को देंगी साइन लैंग्वेज की ट्रेनिंग
गीता मंगलवार शाम मूक बधिर संगठन द्वारा संचालित डेफ बायलिंगुअल एकेडमी पहुंची। एकेडमी में गीता को सबसे पहले साइन लैंग्वेज (सांकेतिक भाषा) की ट्रेनिंग दी जाएगी। खास बात यह है कि ट्रेनिंग मनोवैज्ञानिक (मूकबधिर) अलेसिया सॉट देंगी। अलेसिया दो माह पहले स्पेन से एकेडमी में आई हैं। वे अगले 10 दिनों तक गीता को साइन लैंग्वेज सिखाएंगी। पत्रिका से बातचीत में उन्होंने साइन लैंग्वेज के जरिए ट्रेनिंग से जुड़ी बातें साझा की।

ताकि खुद को प्रजेंट कर सके
अलेसिया ने बताया (इंटरप्रेटर की मदद से), गीता को साइन लैंग्वेज आती है, लेकिन फिर से इसके बेसिक्स बताने होंगे। इससे गीता स्वयं को बेहतर तरीके से प्रजेंट कर सकेगी। गीता को सबसे पहले एकेडमी के बच्चों से मिलाएंगे। फिर उसके एजुकेशनल लेवल पर काम किया जाएगा।

स्पेन की जेल में सिखा चुकी हैं साइन लैंग्वेज : अलेसिया स्पेन के जेल में मूक-बधिरों को साइन लैंग्वेज सीखा चुकी हैं। इसके साथ ही वे यूरोप, अमेरिका और भारत में भी यह कार्य कर चुकी हैं।

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