जेएनयू छात्र का स्मृति को खत, मैं बच्चा नहीं...
नई दिल्ली। जेएनयू के राजद्रोह के आरोपी छह छात्रों में से एक ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी को लिखे एक खुले पत्र में कहा है कि वह एक बच्चा नहीं है बल्कि उनका राजनीतिक विरोधी है। संसद में स्मृति ने हैदराबाद विवि के दलित शोधार्थी रोहित वेमुला के लिए ‘बच्चा’ शब्द का उपयोग किया था। रोहित ने संस्थान के छात्रावास में अपने कक्ष में फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली थी। अनंत प्रकाश ने खुले पत्र में कहा है कि मैंने संसद में दिया गया आपका भाषण सुना। मैं आपको यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह पत्र एक बच्चे की ओर से ‘मां स्वरूप’ मंत्री को नहीं बल्कि एक राजनीतिक व्यक्ति की ओर से दूसरे राजनीतिक व्यक्ति को है।
प्रकाश ने आगे कहा है कि मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं किसी व्यक्ति की गुणवत्ता को उसकी शैक्षिक योग्यता से नहीं आंकता। बल्कि मैं तो गुणवत्ता की अवधारणा को खारिज करता हूं। प्रकाश ने कहा कि मंत्री अपनी पहचान एक महिला के तौर पर बताती हैं लेकिन वह वेमुला की मां के साथ खड़ी होने में नाकाम रहीं। वेमुला की मां एक दलित महिला हैं और पितृसत्तात्मक समाज में उन्होंने अपने बच्चों को बड़ा किया और उन्हें पहचान दी। लेकिन आपकी सरकार क्यों उनके बच्चों के साथ उनके पिता की पहचान जोड़ती है। साथ ही प्रकाश ने स्मृति से मनुस्मृति पढ़ने को कहा और उम्मीद जताई कि एक महिला के तौर पर इसे पढ़ने के बाद वह बीजेपी छोड़ देंगी।
प्रकाश ने कहा कि आपने अपने भाषण में कहा है कि रोहित की हत्या को लेकर राजनीति हो रही है। लेकिन आप इतनी नौसिखुआ नहीं हैं कि यह न समझ सकें कि उसकी जान भगवा राजनीति के कारण गई। पत्र में आगे कहा गया है कि क्या आप स्वाभाविक न्याय की प्रक्रिया नहीं जानतीं कि संबद्ध पक्ष को सुने बिना कोई फैसला नहीं किया जा सकता। एक जांच समिति ने हमारा पक्ष सुने बिना ही हमें रोक दिया। क्या संसद में सर्वाधिक असंवैधानिक तरीके से हमारे नामों की घोषणा करते समय आपको सावधानी नहीं बरतनी चाहिए थी। छात्रों और शिक्षकों का आरोप है कि स्मृति ने संसद में उस आधी अधूरी रिपोर्ट का हवाला दिया जो विश्वविद्यालय ने बिना जांच के सौंपी है।
अनंत प्रकाश ने पत्र में आगे लिखा है कि रोहित की मां आपसे न्याय की भीख नहीं मांग रही है। मेरी मां भी मेरे लिए नहीं रो रही है। वह, जो कुछ हो रहा है उससे चिंतित है लेकिन वह मुझे फासीवादी ताकतों के खिलाफ लड़ने के लिए प्रोत्साहित कर रही है और सलाह दे रही है कि मैं डरूं नहीं। जेएनयू छात्र संघ के पूर्व उपाध्यक्ष अनंत उन पांच छात्रों में से है जिनकी पुलिस को राजद्रोह के एक मामले में तलाश है।
यह मामला संसद हमले के दोषी अफजल गुरू को फांसी के विरोध में एक कार्यक्रम को लेकर है जिसमें कथित तौर पर राष्ट्र विरोधी नारे लगाए गए थे। ये छात्र जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार की 12 फरवरी को गिरफ्तारी के बाद से नदारद हो गए थे और पिछले रविवार को फिर से परिसर में नजर आए। उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य ने पुलिस के समक्ष समर्पण कर दिया और शेष तीन- आशुतोष, अनंत और राम नागा परिसर में रह रहे हैं। इन तीनों ने समर्पण से इंकार कर दिया लेकिन कहा है कि जांच के दौरान अगर पुलिस पूछताछ करना चाहेगी तो वह जवाब देने के लिए तैयार हैं।
प्रकाश ने आगे कहा है कि मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं किसी व्यक्ति की गुणवत्ता को उसकी शैक्षिक योग्यता से नहीं आंकता। बल्कि मैं तो गुणवत्ता की अवधारणा को खारिज करता हूं। प्रकाश ने कहा कि मंत्री अपनी पहचान एक महिला के तौर पर बताती हैं लेकिन वह वेमुला की मां के साथ खड़ी होने में नाकाम रहीं। वेमुला की मां एक दलित महिला हैं और पितृसत्तात्मक समाज में उन्होंने अपने बच्चों को बड़ा किया और उन्हें पहचान दी। लेकिन आपकी सरकार क्यों उनके बच्चों के साथ उनके पिता की पहचान जोड़ती है। साथ ही प्रकाश ने स्मृति से मनुस्मृति पढ़ने को कहा और उम्मीद जताई कि एक महिला के तौर पर इसे पढ़ने के बाद वह बीजेपी छोड़ देंगी।
प्रकाश ने कहा कि आपने अपने भाषण में कहा है कि रोहित की हत्या को लेकर राजनीति हो रही है। लेकिन आप इतनी नौसिखुआ नहीं हैं कि यह न समझ सकें कि उसकी जान भगवा राजनीति के कारण गई। पत्र में आगे कहा गया है कि क्या आप स्वाभाविक न्याय की प्रक्रिया नहीं जानतीं कि संबद्ध पक्ष को सुने बिना कोई फैसला नहीं किया जा सकता। एक जांच समिति ने हमारा पक्ष सुने बिना ही हमें रोक दिया। क्या संसद में सर्वाधिक असंवैधानिक तरीके से हमारे नामों की घोषणा करते समय आपको सावधानी नहीं बरतनी चाहिए थी। छात्रों और शिक्षकों का आरोप है कि स्मृति ने संसद में उस आधी अधूरी रिपोर्ट का हवाला दिया जो विश्वविद्यालय ने बिना जांच के सौंपी है।
अनंत प्रकाश ने पत्र में आगे लिखा है कि रोहित की मां आपसे न्याय की भीख नहीं मांग रही है। मेरी मां भी मेरे लिए नहीं रो रही है। वह, जो कुछ हो रहा है उससे चिंतित है लेकिन वह मुझे फासीवादी ताकतों के खिलाफ लड़ने के लिए प्रोत्साहित कर रही है और सलाह दे रही है कि मैं डरूं नहीं। जेएनयू छात्र संघ के पूर्व उपाध्यक्ष अनंत उन पांच छात्रों में से है जिनकी पुलिस को राजद्रोह के एक मामले में तलाश है।
यह मामला संसद हमले के दोषी अफजल गुरू को फांसी के विरोध में एक कार्यक्रम को लेकर है जिसमें कथित तौर पर राष्ट्र विरोधी नारे लगाए गए थे। ये छात्र जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार की 12 फरवरी को गिरफ्तारी के बाद से नदारद हो गए थे और पिछले रविवार को फिर से परिसर में नजर आए। उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य ने पुलिस के समक्ष समर्पण कर दिया और शेष तीन- आशुतोष, अनंत और राम नागा परिसर में रह रहे हैं। इन तीनों ने समर्पण से इंकार कर दिया लेकिन कहा है कि जांच के दौरान अगर पुलिस पूछताछ करना चाहेगी तो वह जवाब देने के लिए तैयार हैं।
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