6 साल की बेटी के शव को हाथों में लेकर 6KM पैदल चला पिता
मलकानगिरी : एक बार फिर से इंसानियत शर्मसार हुई हैं. इस बार ओडि़सा में सिस्टम का एक शर्मसार करने वाला चेहरा देखने को मिला है. एक पिता को अपनी छह साल की बच्ची का शव केवल इसलिए हाथों में लेकर पैदल चलना पड़ा कि बच्ची ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया था. मुकुंद की बेटी वर्षा बीमार थी और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उसका इलाज करवा रहा था. बच्ची की हालत ज्यादा खराब होने के बाद उसे बेहतर इलाज के लिए मलकानगिरी अस्पताल ले जाया जा रहा था. एक एंबुलेंस से बेटी को लेकर माता और पिता मलकानगिरी के लिए रवाना हुए. इस बीच रास्ते में ही बेटी वर्षा की मृत्यु हो गयी. ऐसे में एंबुलेंस वाले से शव को उसके घर पहुंचाने से इनकार कर दिया.
अपनी बच्ची का शव हाथों में उठाए पिता 6 किलोमीटर जक रोड पर चलता रहा. रास्ते में कुछ लोग मिले तो उनको मुकुंद ने पूरी बात बताई. फिर जाकर लोगों ने एक निजी गाड़ी का इंतजाम किया और वर्षा के शव को गांव पहुंचाया गया. मीडिया में मामला सामने आने के बाद कलेक्टर ने पूरे मामले की जांच के आदेश दिये हैं. जबकि एंबुलेंस में मौजूद स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.
मुकुंद भी आदिवासी है और इससे पहले पिछले हफ्ते ही एंबुलेंस नहीं मिलने की वजह से आदिवासी दाना मांझी को भी अपनी पत्नी के शव को गठरी बनाकर उठाना पड़ा था. दिल दहलाने वाले दोनों घटनाएं उस ओडिशा की है जहां पिछले सोलह साल से नवीन पटनायक की सरकार है. फिलहाल दाना मांझी वाले मामले में केंद्र ने ओडिशा सरकार से पूरी रिपोर्ट मांगी है.
PMO ने मांगी रिपोर्ट
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने आदिवासी दाना मांझी के बारे में ओडिशा सरकार से पूरा ब्योरा मांगा है. कालाहांडी में मांझी अपनी पत्नी का शव अपने कंधों पर ले गये थे. बीजू जनता दल (बीजद) के प्रवक्ता प्रताप केशारी देब ने आज कहा, ‘यह पत्र कल मिला. उन्होंने (पीएमओ) उन परिस्थितियों समेत पूरा ब्योरा मांगा है जिसमें यह आदिवासी व्यक्ति अपनी पत्नी का शव मीलों तक कंधे पर ले गये.'
कालाहांडी जिले के भवानीपटना की इस घटना को ‘दुर्भाग्यपूर्ण' करार देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस घटना के बारे में कुछ भी नहीं छिपाएगी. देब ने कहा, ‘कालाहांडी के जिलाधिकारी ने अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से इस घटना की जांच करायी है और सरकार शीघ्र ही अपने निष्कर्षों से पीएमओ को अवगत कराएगी.' उन्होंने कहा कि राज्य सरकार महसूस करती है कि ओडिशा में इस प्रकार की घटना बिल्कुल नहीं होनी चाहिए.
अपनी बच्ची का शव हाथों में उठाए पिता 6 किलोमीटर जक रोड पर चलता रहा. रास्ते में कुछ लोग मिले तो उनको मुकुंद ने पूरी बात बताई. फिर जाकर लोगों ने एक निजी गाड़ी का इंतजाम किया और वर्षा के शव को गांव पहुंचाया गया. मीडिया में मामला सामने आने के बाद कलेक्टर ने पूरे मामले की जांच के आदेश दिये हैं. जबकि एंबुलेंस में मौजूद स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.
मुकुंद भी आदिवासी है और इससे पहले पिछले हफ्ते ही एंबुलेंस नहीं मिलने की वजह से आदिवासी दाना मांझी को भी अपनी पत्नी के शव को गठरी बनाकर उठाना पड़ा था. दिल दहलाने वाले दोनों घटनाएं उस ओडिशा की है जहां पिछले सोलह साल से नवीन पटनायक की सरकार है. फिलहाल दाना मांझी वाले मामले में केंद्र ने ओडिशा सरकार से पूरी रिपोर्ट मांगी है.
PMO ने मांगी रिपोर्ट
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने आदिवासी दाना मांझी के बारे में ओडिशा सरकार से पूरा ब्योरा मांगा है. कालाहांडी में मांझी अपनी पत्नी का शव अपने कंधों पर ले गये थे. बीजू जनता दल (बीजद) के प्रवक्ता प्रताप केशारी देब ने आज कहा, ‘यह पत्र कल मिला. उन्होंने (पीएमओ) उन परिस्थितियों समेत पूरा ब्योरा मांगा है जिसमें यह आदिवासी व्यक्ति अपनी पत्नी का शव मीलों तक कंधे पर ले गये.'
कालाहांडी जिले के भवानीपटना की इस घटना को ‘दुर्भाग्यपूर्ण' करार देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस घटना के बारे में कुछ भी नहीं छिपाएगी. देब ने कहा, ‘कालाहांडी के जिलाधिकारी ने अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से इस घटना की जांच करायी है और सरकार शीघ्र ही अपने निष्कर्षों से पीएमओ को अवगत कराएगी.' उन्होंने कहा कि राज्य सरकार महसूस करती है कि ओडिशा में इस प्रकार की घटना बिल्कुल नहीं होनी चाहिए.
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