शक्ति पर्व पर उत्तराधिकार की श्रंृखला में गायन एवं नृत्य प्रस्तुति
भोपाल। संस्कृति विभाग द्वारा स्थापित उत्तराधिकार का रविवार शाम का आयोजन इस बार शक्ति पर्व पर केन्द्रित किया गया था। इस आयोजन में गायन के साथ ही कथक शैली में शक्ति की वन्दना को लगभग 25 नृत्यांगनाओं के साथ शहर की सुपरिचित कलाकार कथक नृत्यांगना सुश्री व्ही. अनुराधा सिंह ने संयोजित किया था।
कार्यक्रम की शुरूआत गायन से हुई। गायन के लिए धार की युवा गायिकी सुश्री श्वेता जोशी को निमंत्रित किया गया था। उन्होंने लगभग एक घंटे के गायन में ऐसे भजनों का चयन किया, जो देवी आराधना और भक्ति परम्परा का हिस्सा थे। उन्होंने अपनी प्रस्तुति की शुरूआत गणेश वन्दना ‘जयति विनायक, जय गणनायक‘ से की। इसके बाद ‘नमो-नमो दुर्गे सुखकर्णी‘ राग मालकोस में, ‘शिव स्तुति‘, ‘थाल भरी ने कुमकुल लाल को, म्हारी माता ने चढ़ावा‘, ‘प्रेममुदित मन से कहे‘ राग दरबारी में तथा ‘ईश्वर को जान दे, मालिक तेरा वही है‘ राग भटियार में प्रस्तुत किया। उनके साथ संगतकारों में तबले पर हरिओम, हारमोनियम पर लालूराम चैहान, वायोलियन पर बाबूलाल झंवर और साइड रिदम पर उमंग सोलंकी शामिल थे।
इसी प्रकार सुपरिचित कथक नृत्यांगना तथा रायगढ़ घराने की वरिष्ठ कलाकार सुश्री व्ही. अनुराधा सिंह ने इस अवसर के लिए विशेष रूप से 20 से भी अधिक अपनी शिष्य परम्परा में छोटी उम्र की कलाकारों के साथ लगभग एक घंटे का शक्ति केन्द्रित विशेष प्रदर्शन तैयार किया था। उनकी विविध प्रस्तुतियों में ‘शिव वन्दना‘ राग पूरियां धानाश्री व एकताल में, ‘दुर्गा वन्दना‘ राग अहीर भैरव व ताल अद्दा में, ‘शिवरंजनी दुर्गा चलन‘ राग शिवरंजनी व तीन ताल में, ‘मोरी चुनरिया‘ राग मेघ व ताल अद्दा में, ‘द्रुत तीन ताल‘ राग मांड में तथा दुर्गा वन्दना ‘या देवी सर्वभूतेषू‘ राग पूर्या व तीन ताल में रचनाएँ शामिल थीं, जिनमें प्रतिभागी नृत्यांगनाओं ने बहुत कुशलता के साथ प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में स्वयं सुश्री व्ही. अनुराधा सिंह ने भी अपने परिपक्व एवं आश्वस्त प्रदर्शन से उपस्थित कला प्रेमियों को प्रभावित किया।
कार्यक्रम की शुरूआत गायन से हुई। गायन के लिए धार की युवा गायिकी सुश्री श्वेता जोशी को निमंत्रित किया गया था। उन्होंने लगभग एक घंटे के गायन में ऐसे भजनों का चयन किया, जो देवी आराधना और भक्ति परम्परा का हिस्सा थे। उन्होंने अपनी प्रस्तुति की शुरूआत गणेश वन्दना ‘जयति विनायक, जय गणनायक‘ से की। इसके बाद ‘नमो-नमो दुर्गे सुखकर्णी‘ राग मालकोस में, ‘शिव स्तुति‘, ‘थाल भरी ने कुमकुल लाल को, म्हारी माता ने चढ़ावा‘, ‘प्रेममुदित मन से कहे‘ राग दरबारी में तथा ‘ईश्वर को जान दे, मालिक तेरा वही है‘ राग भटियार में प्रस्तुत किया। उनके साथ संगतकारों में तबले पर हरिओम, हारमोनियम पर लालूराम चैहान, वायोलियन पर बाबूलाल झंवर और साइड रिदम पर उमंग सोलंकी शामिल थे।
इसी प्रकार सुपरिचित कथक नृत्यांगना तथा रायगढ़ घराने की वरिष्ठ कलाकार सुश्री व्ही. अनुराधा सिंह ने इस अवसर के लिए विशेष रूप से 20 से भी अधिक अपनी शिष्य परम्परा में छोटी उम्र की कलाकारों के साथ लगभग एक घंटे का शक्ति केन्द्रित विशेष प्रदर्शन तैयार किया था। उनकी विविध प्रस्तुतियों में ‘शिव वन्दना‘ राग पूरियां धानाश्री व एकताल में, ‘दुर्गा वन्दना‘ राग अहीर भैरव व ताल अद्दा में, ‘शिवरंजनी दुर्गा चलन‘ राग शिवरंजनी व तीन ताल में, ‘मोरी चुनरिया‘ राग मेघ व ताल अद्दा में, ‘द्रुत तीन ताल‘ राग मांड में तथा दुर्गा वन्दना ‘या देवी सर्वभूतेषू‘ राग पूर्या व तीन ताल में रचनाएँ शामिल थीं, जिनमें प्रतिभागी नृत्यांगनाओं ने बहुत कुशलता के साथ प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में स्वयं सुश्री व्ही. अनुराधा सिंह ने भी अपने परिपक्व एवं आश्वस्त प्रदर्शन से उपस्थित कला प्रेमियों को प्रभावित किया।
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