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मोदी जी तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं लेकिन…( राकेश अग्निहोत्री) "सवाल दर सवाल"

प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने कुछ घंटों के अल्टीमेटम के साथ 500 और 1000 के नोटों को प्रतिबंधित कर काले धन के खिलाफ जो बड़ी मुहिम छेड़ी देश में उसका स्वागत, अभिनंदन  आलोचकों पर भारी साबित हुआ लेकिन जिस तरह समस्याएं सामने आई और माहौल बिगड़ने के साथ अराजकता की स्थिति देखने को मिल रही है उसने नए सिरे से यह सोचने को मजबूर किया है कि क्रियान्वन में कही न कही कमी जरूर रह गई। इस बात को किसी और ने नहीं जापान से लौटने के बाद स्वयं नरेंद्र मोदी ने महसूस किया और उन्होंने 50 दिन यह कहकर मांगे कि इसके  बाद देश की तस्वीर बदल कर दिखाऊंगा। ऐसे में सवाल खड़ा होना लाजमी है कि मोदी के सख्त फैसले से आम आदमी इत्तफाक रखता है तो किस हद तक। क्या वह राष्ट्रहित में सब कुछ सहने का मानस बना चुका है तो बड़ा सवाल यह भी खड़ा होता है कि देश , शहर से लेकर कस्बा गांव तो चौक-चौराहों से लेकर गली और चौपाल पर जिस तरह बैंक के सामने लगी लाइन का दुखड़ा आम आदमी रो रहा है वह सरकार को नए सिरे से सोचने को मजबूर करेंगी कि कुछ रियायत आम जनता को सुविधाओं के नाम पर उसे जरूर मिलना चाहिए वह भी तब जब न्यूज़ चैनलों से लेकर प्रिंट मीडिया ने यह माहौल बनाया है मोदी के फैसले से सब संतुष्ट और खुश है। चुनावी सभाओं से दूर इस नई लड़ाई के लिए मानों वो यह कह रहे है मोदी तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं लेकिन साथ में  यह गुहार भी  लगाई जा रही है  कि लाइन, भीड़, मारपीट से दूर उन्हें उनके द्वारा कमाए गए नोट का स्वामित्व और उसे खर्च करने में अड़चन नहीं आना चाहिए।।              

 नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद  कई योजनाएं और कार्यक्रम  शुरू किए लेकिन कुछ घंटों के अल्टीमेटम के बाद 500 1000 के नोट बंद करने को लेकर  जो फरमान सुनाया वह एक  बड़ा चुनावी मुद्दा बनने जा रहा है इस फैसले  ने काले धन को लेकर एक नई बहस  छेड़ी है  जिसके लक्ष्य उद्देश्य  पर  एतराज जाहिर करना विरोधियों के लिए भी आसान नहीं  लेकिन क्रियान्वन में  सवाल जरूर खड़े किए जा रहे जिससे यह संदेश जा रहा है  कि राष्ट्र हित में  मोदी अधिक किसी भी हद तक जा सकते हैं  तो वह क्या  इस नए फैसले को लेकर  संघर्ष को मजबूर हैं  तो फिर उसकी वजह क्या है  ।जापान से लौटने के बाद गोवा से लेकर कर्नाटक तक नरेंद्र मोदी ने काले धन के खिलाफ एक बार फिर हुंकार भरते हुए जो कुछ कहा वह गौर करने लायक है तो उससे ज्यादा उनका अंदाज ए बयां और बॉडी लैंग्वेज भी बहुत कुछ मायने रखती है मोदी चुनावी मंच से दूर जिस तरह जोश में नजर आए वह उन्हें अभी तक के दूसरे कार्यक्रमों से कुछ अलग खड़ा दिखाई दिया जोश के साथ होश में रहते हुए यदि उन्होंने चेतावनी मशवरा और सलाह के  साथ इस मुहिम पर सवाल खड़े करने वालों को यह क्या कर डराया कि जो मोदी को नहीं जान पाए वो समझ ले कि उनके दिमाग में अभी बहुत कुछ चल रहा है और वह इस तरह के कुछ और फैसले राष्ट्र के हित में लेने में हिचकिचाएंगे नहीं।यानि आत्मविश्वास से लबरेज तो भाव-भंगिमाएं भी बहुत कुछ कह गई अपने जाने पहचाने अंदाज में चाहे वह हाथ उठाकर हो या एक हाथ की गद्दी पर दूसरे की ताली बजाकर या फिर सामने बैठे लोगों से संवाद का तौर तरीका संदेश यही दे रहा था कि जो किया है बहुत सोच समझ कर किया है और अब यदि आगे बढ़ चुके हैं तो बैकफुट पढ़ाने का सवाल ही खड़ा नहीं होता है। मोदी ने आजादी से लेकर अभी तक का काला चिट्ठा खोल देने धौंस दिखा कर मानो अपने विरोधी दलों की नींद उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी ।तो आम जनता को हो रहे कष्ट को उनका सहयोग और भरोसा बताने के साथ बैंक कर्मचारियों की हौसलाफजाई भी करना वह नहीं भूले ।इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रभक्ति प्रदेश के सुनहरे भविष्य का हवाला दिया हमेशा की तरह देश पर सबसे ज्यादा समय शासन में रहने वाली सरकार यानी कांग्रेस से ज्यादा  बिना नाम लिए राहुल गांधी पर भी खूब तंज कसा आमतौर पर नरेंद्र मोदी तर्क और तथ्यों के साथ अपनी सरकार का रोडमैप अपना विजन सार्वजनिक मंच पर सामने रखते हैं ।लेकिन जापान से लौटने के बाद गोआ और कर्नाटक के मंच का उपयोग उन्होंने पूरी तरह  नोट बदलने  को काले धन के खिलाफ मुहिमऔर उसकी जरूरत पर फोकस किया ।अपनी रणनीति और दूरदर्शिता का यह कहकर खुलासा किया कि छोटी टोली बनाकर उन्होंने इस काम को अंजाम तक पहुंचाया है और अगले 50 दिन में उनका उद्देश्य पूरा होगा जिसके बाद देश खुद को गौरवान्वित महसूस करेगा।कुछ समय के लिए वह मोदी एक बार फिर भावुक नजर आये जो हमेशा फ्रंट फुट पर आकर आक्रमक इरादों के साथ अपनी बात रखता रहे है। लेकिन जिस तरह उन्होंने जिस अंदाज के साथ देश की जनता से 50 दिन का संयम बरतने की अपील की उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि जिस मोदी ने 8 नवंबर की रात 8:00 बजे और 500 के नोट बंद करने और नए नोट सामने लाने का ऐलान यह कहकर किया की खास हो या आम लोग 30 दिसंबर तक इस योजना का फायदा उठा ले जापान से लौटने के बाद उनके स्वर बदले हुए थे ।अल्टीमेटम उसी 30 दिसंबर का लेकिन अपने पुराने अंदाज दे दनादन के साथ एक निवेदन ,आवेदन  भी उसमें नजर आया ।जो देश की खातिर आम जनता से यह कहकर 50 दिन मांगने को मजबूर था कि यदि इस दौरान बात बिगड़ गई तो चौराहे पर खड़ा होकर कोई भी सजा भुगतने को तैयार हूं। यानि मोदी खुद भावुक हुए तो जनता को भी भावनाओं में खूब लपेटा। मोदी ने मंच के सामने मौजूद लोगों से तालियां बजाकर उनकी हौसला अफजाई करने का भी आग्रह किया यानि प्रधानमंत्री की रणनीति दृढ़ संकल्प के बाबजूद जनता को भरोसे में लेने की रही। जो बदलते परिदृश्य में खासतौर से  मोदी के जापान से लौटने के बाद उन्हें जो फीडबैक मिला उसने जनता का सड़क पर नए नोट के लिए संघर्ष कहीं ना कहीं उनकी चिंता में इजाफा करता हुआ नजर आया। वह बात और है कि उनके इरादों को वह प्रभावित करता हुआ महसूस नहीं हुआ ।यहीं पर कुछ सवाल जरूर खड़े होते हैं क्योंकि मोदी का जल्द ही अगला पड़ाव उत्तर प्रदेश है जहां चुनावी सरगर्मियां परवान चढ़ चुकी है चाहे फिर समाजवादी पार्टी हो या बहुजन समाज पार्टी मोदी के इस फैसले पर सवाल खड़ा कर चुकी है तो कांग्रेस चौकन्नी है इस पेज इस तरह से काले धन के खिलाफ मोदी के साथ खड़े नजर आने वाले बाबा रामदेव ने 1000 और 500 के नोट पर प्रतिबंध कुछ जायज और सही ठहराते हुए 2000 के नए नोट पर यह कहकर आपत्ति दर्ज कराई है किसके सियासी नफा नुकसान भी भुगतने पड़ सकते हैं शायद टीम मोदी को कुछ सोचने को जरूर मजबूर करें देखना दिलचस्प होगा की पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक से देश में नए सिरे से राष्ट्रवाद और राष्ट्रभक्ति का अलख जगाने वाली बीजेपी को नरेंद्र मोदी पर नाज है की आजादी के बाद उन्होंने एक बड़ा फैसला लेकर एक बड़ी क्रांति लाई है वह आखिर जब ज्वलंत मुद्दे पीछे छूट गए हैं तब मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को आगामी विधानसभा चुनाव में सफलता की कितनी और पायदान आगे ले जाती है। जहां तक बात सर्जिकल स्ट्राइक की है तो मोदी जी तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं लेकिन……..                         

प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने कुछ घंटों के अल्टीमेटम के साथ 500 और 1000 के नोटों को प्रतिबंधित कर काले धन के खिलाफ जो बड़ी मुहिम छेड़ी देश में उसका स्वागत, अभिनंदन  आलोचकों पर भारी साबित हुआ लेकिन जिस तरह समस्याएं सामने आई और माहौल बिगड़ने के साथ अराजकता की स्थिति देखने को मिल रही है उसने नए सिरे से यह सोचने को मजबूर किया है कि क्रियान्वन में कही न कही कमी जरूर रह गई। इस बात को किसी और ने नहीं जापान से लौटने के बाद स्वयं नरेंद्र मोदी ने महसूस किया और उन्होंने 50 दिन यह कहकर मांगे कि इसके  बाद देश की तस्वीर बदल कर दिखाऊंगा। ऐसे में सवाल खड़ा होना लाजमी है कि मोदी के सख्त फैसले से आम आदमी इत्तफाक रखता है और वह राष्ट्रहित में सब कुछ सहने का मानस बना चुका है तो बड़ा सवाल यह तीखा होता है किस देश , शहर से लेकर कस्बा गांव तो चौक-चौराहों से लेकर गली और चौपाल पर जिस तरह बैंक के सामने लगी लाइन का दुखड़ा आम आदमी रो रहा है वह सरकार को नए सिरे से सोचने को मजबूर करेंगी कि कुछ रियायत आम जनता को सुविधाओं के नाम पर उसे जरूर मिलना चाहिए वह भी तब जब न्यूज़ चैनलों से लेकर प्रिंट मीडिया ने यह माहौल बनाया है मोदी के फैसले से सब संतुष्ट और खुश है। चुनावी सभाओं से दूर इस नई लड़ाई के लिए मानों वो यह कह रहे है मोदी तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं लेकिन गुहार भी यह लगाई जा रही है की लाइन, भीड़, मारपीट से दूर उन्हें उनके द्वारा कमाए गए नोट का स्वामित्व और उसे खर्च करने में अड़चन नहीं आना चाहिए।।               

जापान से लौटने के बाद गोवा से लेकर कर्नाटक तक नरेंद्र मोदी ने काले धन के खिलाफ एक बार फिर हुंकार भरते हुए जो कुछ कहा वह गौर करने लायक है तो उससे ज्यादा उनका अंदाज ए बयां और बॉडी लैंग्वेज भी बहुत कुछ मायने रखती है मोदी चुनावी मंच से दूर जिस तरह जोश में नजर आए वह उन्हें अभी तक के दूसरे कार्यक्रमों से कुछ अलग खड़ा दिखाई दिया जोश के साथ होश में रहते हुए यदि उन्होंने चेतावनी मशवरा और सलाई क्या हाल है एक साथ इस मुहिम पर सवाल खड़े करने वालों को यह क्या कर डराया कि जो मोदी को नहीं जान पाए वो समझ ले कि उनके दिमाग में अभी बहुत कुछ चल रहा है और वह इस तरह के कुछ और फैसले राष्ट्र के हित में लेने में हिचकिचाएंगे नहीं आत्मविश्वास से लबरेज तो भाव-भंगिमाएं भी बहुत कुछ कह गई अपने जाने पहचाने अंदाज में चाहे वह हाथ उठाकर हो या एक हाथ की गद्दी पर दूसरे की ताली बजाकर या फिर सामने बैठे लोगों से संवाद का तौर तरीका संदेश यही दे रहा था कि जो किया है बहुत सोच समझ कर किया है और अब यदि आगे बढ़ चुके हैं तो बैकफुट पढ़ाने का सवाल ही खड़ा नहीं होता है मोदी ने आजादी से लेकर अभी तक का काला चिट्ठा खोल कर मानव अपने विरोधी दलों की नींद उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी तो आम जनता को हो रहे कष्ट को उनका सहयोग और भरोसा बताने के साथ बैंक कर्मचारियों की हौसलाफजाई भी करना वह नहीं भूले इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रभक्ति प्रदेश के सुनहरे भविष्य का हवाला दिया हमेशा की तरह देश पर सबसे ज्यादा समय शासन में रहने वाली सरकार यानी कांग्रेस से ज्यादा तंग बिना नाम लिए राहुल गांधी पर भी खूब कसा आमतौर पर नरेंद्र मोदी तर्क और तथ्यों के साथ अपनी सरकार का रोडमैप अपना विजन सार्वजनिक मंच पर सामने रखते हैं लेकिन जापान से लौटने के बाद कुआं और कर्नाटक के मंच का उपयोग उन्होंने पूरी तरह नोट बदलने और उसकी जरूरत पर फोकस किया अपनी रणनीति और दूरदर्शिता का यह कहकर खुलासा किया कि छोटी टोली बनाकर उन्होंने इस काम को अंजाम तक पहुंचाया है और अगले 50 दिन में उनका उद्देश्य पूरा होगा जिसके बाद देश खुद को गौरवान्वित महसूस करेगा। मोदी एक बार फिर भावुक नजर आये जो हमेशा फ्रंट फुट पर आकर आक्रमक इरादों के साथ अपनी बात रखता रहा है लेकिन जिस तरह उन्होंने जिस अंदाज के साथ देश की जनता से 50 दिन का संयम बरतने की अपील की उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि जिस मोदी ने 8 नवंबर की रात 8:00 बजे और 500 के नोट बंद करने और नए नोट सामने लाने का ऐलान यह कहकर किया की खास हो या आम लोग 30 दिसंबर तक इस योजना का फायदा उठा ले जापान से लौटने के बाद उनके स्वर बदले हुए थे अल्टीमेटम उसी 30 दिसंबर का लेकिन एक निवेदन आवेदन उसमें नजर आया जो देश की खातिर आम जनता से यह कहकर 50 दिन मांगने को मजबूर था कि यदि इस दौरान बात बिगड़ गई तो चौराहे पर खड़ा होकर कोई भी सजा भुगतने को तैयार हूं या नहीं मोदी खुद भावुक हुए तो जनता को भी भावनाओं में लपेटा। मोदी ने मंच के सामने मौजूद लोगों से तालियां बजाकर उनकी हौसला अफजाई करने का भी आग्रह किया यानि प्रधानमंत्री की रणनीति दृढ़ संकल्प के बाबजूद जनता को भरोसे में लेने की रही। जो बदलते परिदृश्य में या नहीं मोदी के जापान से लौटने के बाद उन्हें जो फीडबैक मिला उसने जनता का सड़क पर नए नोट के लिए संघर्ष कहीं ना कहीं उनकी चिंता में इजाफा करता हुआ नजर आया वह बात और है कि उनके इरादों को वह प्रभावित करता हुआ महसूस नहीं हुआ यहीं पर कुछ सवाल जरूर खड़े होते हैं क्योंकि चुनावी सभा का साफ कर चुके हैं कि उनके दिमाग में अभी बहुत कुछ और है कुछ और बड़े फैसले को जल्द लेंगे जिसके जरिए वह अपने सियासी हित भी खूब साथ रहे देश को कांग्रेस मुक्त लेकिन क्षेत्रीय दलों से संघर्ष को मजबूर मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद पहले ही बीजेपी के अंदर सर्जिकल स्ट्राइक कर आडवाणी और जोशी जैसे नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में पहुंचा चुके हैं।

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Rakesh Agnihotri political editor
स्वराज Express MP/CG
+919893309733

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