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हड़ताल के चलते ठप्प हुई ग्रामीण क्षेत्र में डाक सेवाएं

एमपी ऑनलाइन न्यूज़ रिपोर्टर राज पंत
गुना। जिले के डाकसेवक भी कामकाज बंद कर प्रधान डाकघर के सामने धरने पर बैठ गए। ग्रामीण डाक सेवक संघ के तत्वावधान मे आयोजित तीसरे दिन के इस धरने के साथ ही जिला मुख्यालय के साथ ग्रामीण अंचल में डाकसेवाएं प्रभावित होने लगी हैं। इधर ग्रामीण डाकसेवकों का कहना है कि आठ घंटे काम लेकर उन्हें मात्र 3 घंटे का वेतन दिया जा रहा। इस तरह उनका एक बंधुआ मजदूर की तरह शोषण किया जा रहा, जो अब बर्दाश्त के बाहर है।

हड़ताल पर गए डाकसेवकों का कहना है कि केंद्र सरकार के अधीन होकर भी वर्षों से अल्प वेतन पर काम करने मजबूर हैं। कम वेतन पर अत्यधिक काम लेकर उनका लगातार शोषण भी किया जाता रहा है। इसके अलावा वे सुविधाओं को लेकर भी हमेशा से उपेक्षा का शिकार हैं। उल्लेखनीय होगा कि बीते कई वर्ष से ग्रामीण डाक सेवक हड़ताल पर जात रहे हैं, लेकिन उनकी मांगों पर अब तक कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई है।

नहीं मिला विभागीय कर्मी का दर्जा
ग्रामीण डाक सेवकों का कहना है कि उन्हें आज तक न तो विभागीय कर्मचारी का दर्जा ही दिया जा रहा है, उल्टे डाक विभाग का निजीकरण कर निगम बनाया जा रहा है। इसका विरोध करते हुए चार सूत्रीय मांगों को लेकर ग्रामीण डाक सेवक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए। अपने हक को पाने के लिए इस बार वे आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं।

मनरेगा, स्पीड पोस्ट व पेंशन पर असर
ग्रामीण डाकसेवकों के हड़ताल पर चले जाने से कई योजनाओं पर असर पड़ रहा है। डाक विभाग की 40 फीसदी सेवाएं व कार्य डाक सेवकों पर निर्भर है, जिनके कामकाज पर नहीं होने से कई सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। इनमें महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत मजदूरी भुगतान, ग्रामीण क्षेत्रों में वृद्घा, विधवा, निराश्रित व अन्य पेंशन योजनाओं की राशि अटक जाएगी। इसके अलावा शहर इलाकों को छोड़कर अन्य क्षेत्रों स्पीड पोस्ट व अन्य पत्र सेवाएं भी ठप पड़ गई हैं। राज्य व अंतरराज्य के विभिन्न शहरों से आने वाले डाक पर एक ही स्थान पर जाम हो गए हैं और डाकर्मियों की हड़ताल चलने तक उनका प्रवाह रुक जाने से उन्हें उनके गंतव्य तक नहीं पहुंचाया जा सकेगा। जरूरी डाक नहीं मिलने से लोग परेशान होने मजबूर होंगे।

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