बिजली की अघोषित कटौती से तराई वासी त्रस्त
कहाँ गई अटल ज्योति ? * क्या भूल गये अंधियार न होने के वायदेदार* कहाँ गया जितनी बिजली उतना दाम का नारा ?
एमपी ऑनलाइन न्यूज़ रिपोर्टर राहुल तिवारी
जवा / गढ़ी(रीवा)। - बिजली पानी सड़क की जर्जर व्यवस्था को नारा बनाकर भाजपा ने दस वर्षों की कांग्रेस की सत्ता का अंत कर सत्ता पर काबिज हुई थी।जनता को व्यवस्था परिवर्तन की बहुत उम्मीदें थी।सत्ता प्राप्ति के साथ परिवर्तन का अहसास दिलाने का भाजपा सरकार ने प्रयास किया ।लोगों को उम्मीद जगी अब कुछ सुधार होगा ।सरकार ने संवेदनशीलता का प्यारा सुहाना राग सुनाना तो तराई वासियों को लगा अब हमारे भी अच्छे दिन आने वाले है।अटल ज्योति का वादा तो जनता को ऐसा भाया कि उम्मीदवारों की परख छोड़ लोग कमल को सीने से लगा लिया।परन्तु मिली निराशा और धोखा ।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़कों के उखड़ने के साथ जहाँ सड़कों का ख्वाब टूटा वहीं बिजली बिल के नाम पर अघोषित लूट सा भय उपभोक्ताओं में छा गया।पीड़ित जनता को अघोषित बिजली कटौती तो कोढ में खाज की कहावत चरितार्थ करती है।बिजली कब कटेगी और फिर कब आयेगी कोई ठिकाना नहीं है।उपभोक्ताओं के पूॅछने पर पहले तो बिजली महकमा बात नहीं करता और अगर बात कर भी लिया तो जबाब होता है परमिट में है मेंटेनेंस चल रहा है।
अब सवाल उठता है की जब अटल ज्योति शुरू हुई तो चली कहाँ गई ? आखिर मेंटेनेंस का कार्य क्या तब होता है जब किसानों के पेट पर्दे के आधार रूपी फसलें खेत में उम्मीदें जगा रही हों ? जब मेंटेनेंस नही हुआ था तो अटल शब्द का चीर हरण क्यों किया गया ? इसका जबाब शायद किसी अटल ज्योति के महारथी के पास नहीं ।क्या भाजपा सरकार में हर विभाग की अपनी सरकारें है ? क्या भाजपा सरकार के नेता मंत्री सब नौकरशाही के सामने गौण हो चुके हैं ? या जनता के प्रतिनिधित्व का दायित्व मन से त्याग कर नौकरशाही की स्तुति को आत्मसात कर लिय
ट्रांसफार्मर बदलने मे गाइड लाइन की हत्त्या
विजली विभाग की चौतरफा हिटलर शाही बदस्तूर जारी है जहां एक ओर फर्जी मनमानी बिलिंग जिसको विभाग ने एवरेज बिल का नाम दिया है उससे आम उपभोक्ता की न सिर्फ जेब ढीली हो रही बल्कि वहीं दूसरी ओर शाशन द्वारा तय गाइड लाइन व समय सीमा के अनुरूप ट्रांसफार्मर नही लगाये जाने से किशानो की खून पसीने से तैयार होने वाली फसले भी सूख रही हैं जिससे अन्नदाता चिंतित ओर ब्याकुल है जन चर्चा पर यकीन करें तो ट्रांसफार्मर बदलने मे विभाग मे सक्रिय दलाल अपने लिए चांदी कूट कर विभाग को बदनाम करने पर बरबस तुले है जिसका इलाज अधिकारियो के पास या तो नही है या फिर उनकी भी मिलीभगत है मे सच क्या है आला अधिकारी ही जाने नेताओ की सिफारिस ,दलालो की सक्रियता या अधिकारियों की खुद की मेहरवानी मे से कारण चाहे जो भी हो लेकिन इन दिनों ट्रांसफार्मर बदलने मे शाशनिक मानकों को ताक पर रख कर काम किये जाने के अनेको मामले ओर उदाहरण जमीनी स्तर पर मौजूद है जो सबका साथ सबका विकास के दावो की पोल खोल रहे है आखिर इस जन व नियम विरोधी कारनामो का जिम्मेवार कौन ? बड़ा सवाल है जिसका जवाव पीड़ित उपभोक्ताओं व आम जनता को ढूंढे नही मिल रहा चर्चा तो यह भी है की त्योंथर मे विपक्ष के एक नेता के इसारे पर गाइड लाइन के विरुद्ध ट्रांसफार्मर लगा कर उनके लोगों को उपकृत करने व भाजपा सरकार की छवि को सत्यानाश करने का एक साथ खेल खेला जा रहा जिसमे एक विभागीय अधिकारी की सहयोगीभूमिका की चर्चा भी लोग दबी जुबान से कर रहे हैं हलाकि जनता के इस दावों मे कितनी सच्चाई व दम है न केवल कहना मुश्किल है बल्कि विभागीय जांच का विषय है।
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