-->

Breaking News

Surgical strike का एक साल पूरा, आज ही के दिन अमावस की रात सेना ने LoC पार बोला था धावा


नई दिल्ली: सर्जिकल स्ट्राइक के तहत एक साल पहले आज ही के दिन पाकिस्तान में घुस कर आतंकियों के कैंप को भारतीय सेना ने ध्वस्त कर दिया था. पठानकोट, पुंछ और उरी में पाकिस्तान ने जब हद पार कर दी तो भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक कर इसका कड़ा जवाब दिया. पिछले साल 28-29 सितंबर की दरमियानी रात को भारतीय सेना ने एलओसी पार करके आतंकी लॉन्च पैड पर हमले किए थे. सर्जिकल स्ट्राइक में करीब 50 आतंकी मारे गए थे और कई आतंकी कैंप पूरी तरह से तबाह भी हुए थे. सरकार ने बाद में पैरा कमांडोज की सर्जिकल स्ट्राइक के ऑपरेशन की कहानी शेयर की थी. 

सर्जिकल स्ट्राइक में पैरा रेजिमेंट के 4th और 9th बटालियान के एक कर्नल, पांच मेजर, दो कैप्टन, एक सूबेदार, दो नायब सूबेदार, तीन हवलदार, एक लांस नायक और चार पैराट्रूपर्स ने सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था. मेजर रोहित सूरी के नेतृत्व में 28-29 सितंबर की रात को आठ कमांडोज की टीम पाक अधिकृत कश्मीर के लिए रवाना हुई थी. सर्जिकल स्ट्राइक से पहले मेजर सूरी ने पूरे इलाके की रेकी की और जवानों को इंतजार करने को कहा. सुबह छह बजे होते ही भारतीय सेना आतंकियों पर टूट पड़े. इस दौरान मेजर सूरी ने जान की परवाह किए बिना दो आतंकियों का पीछा कर उन्हें नजदीक जाकर मार गिराया. 

नायब सूबेदार विजय कुमार को आतंकवादियों पर नजर बनाए रखने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक से एक दिन पहले ही पाक अधिकृत कश्मीर में भेज दिया गया था. सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान विजय कुमार ने जान की परवाह किए बैगर दो आतंकियों को मार गिराया और उनकी मशीनगनों को तबाह कर दिया. इसके बाद भी एक आतंकी ताबड़तोड़ फायरिंग कर रहा था जिसे विजय कुमार ने बड़ी बहादुरी के साथ मार गिराया. 

वहीं मेजर रजत चंद्रा की टीम सर्जिकल स्ट्राइक से दो दिन पहले 27 सितंबर को पाक अधिकृत कश्मीर के लिए रवाना हो गए थे. यहां उनकी टीम दो दिनों तक आतंकवादियों के लॉन्चपैड्स पर नजर बनाए हुए थे. जैसे ही मेजर सूरी की टीम ने जब पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकियों पर हमला बोला तो उससे कुछ देर पहले ही मेजर रजत की टीम ने आतंकियों के हथियारों के भंडार को नष्ट कर दिया. इस दौरान एक आतंकी जब फायरिंग कर रहा था तो मेजर रजत ने जमीन पर रेंगते हुए आतंकी के पास पहुंचे और उसे मार गिराया. 

इस ऑपरेशन के दौरान कोई भी भारतीय जवान शहीद नहीं हुआ लेकिन एक पैराट्रूपर घायल हुआ. सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान पैराट्रूपर ने देखा कि दो आतंकी एक टीम पर हमला करने वाले है तो उसने उनका पीछा किया और इस दौरान उसका पैर एक माइन पर पड़ गया. इसके बाद हुए धमाके में उसके दायां पंजा उड़ गया. इसके बाद भी उस पैराट्रूपर ने जान की परवाह न करते हुए एक आतंकी को मार गिराया. 


आइये जानते हैं सेना के जवानों ने उस रात चार घंटे में क्या किया था:-
1. अमावस की रात घुप अंधेरा और भारतीय सेना ने शुरू की सर्जिकल स्ट्राइक। सेना की एलीट कमांडो टीमें पीओके में घुसीं और अंधेरे में गायब हो गईं। पाकिस्तान की सेना या वहां की लोकल पुलिस को भी इनके आने की भनक भी नहीं लगी।

उसी समय 30 पैरा कमांडोज़ को 35,000 फुट की ऊंचाई से पैराशूट्स से उतारा गया। जीपीएस गैजेट्स और अन्य आधुनिक उपकरणों से लैस ये कमांडोज़ ठीक उस जगह उतरे जहां ऑपरेशन किया जाना था।
इनके आने की भी किसी को कोई खबर नहीं लगी। पैरा ट्रूपर कमांडोज़ टेवर-21 और एके-47 असाल्ट राइफल्स के साथ ही रॉकेट प्रोपेल्ड गन्स और रूसी थर्मोबियरिक हथियारों से लैस थे। ये कार्रवाई रात साढ़े चार घंटे 12 बजे से 4:30 बजे तक चली।

2. सर्जिकल सट्राइक करने वाली टीम का नेतृत्व मेजर रोहित सूरी कर रहे थे। 28-29 सितंबर की रात को कमांडोज की टीम पीओके के लिये रवाना हुई।

3. सर्जिकल स्ट्राइक में गए जवानों को साफ निर्देश था की किसी भी सैनिक या दुर्घटना होने पर किसी की बॉडी वहां छोड़ के नहीं आनी है।

4. भारतीय सेना के जवान ऑपरेशन में आतंकियों के 7 ठिकाने ध्वस्त किये गए। ये लॉन्च पैड आतंकियों को भारतीय सीमा में प्रवेश कराने के लिये इस्तेमाल किये जाते थे। इन पर पिछले एक सप्ताह से निगरानी रखी जा रही थी।

5. कार्रवाई के दौरान नायब सूबेदार विजय कुमार को पहले ही आतंकवादियों पर नजर बनाए रखने के कहा गया था। उन्होंने जान की परवाह किए बैगर दो आतंकियों को मार गिराया।

6. इस ऑपरेशन में कोई भी भारतीय जवान शहीद नहीं हुआ लेकिन एक पैराट्रूपर घायल हुआ था। कार्रवाई के दौरान पैराट्रूपर ने देखा कि दो आतंकी भारतीय सेना की एक टीम पर हमला करने वाले है तो उनका पीछा कर आतंकियों को मार गिराया। लेकिन पीछा करने के दौरान उनका पांव माइन पर पड़ गया जिसके कारण उनका दायां पंजा उड़ गया। लेकिन जान की परवाह किये बगैर ही पैराट्रूपर ने आतंकियों की कोशिश को नाकाम कर दिया।

7. इधर दिल्ली में आधी रात को सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग सहित कई वरिष्ठ अधिकारी पूरी कार्रवाई को मॉनिटर कर रहे थे।

8. इस पूरे ऑपरेशन की निगरानी रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और डीजीएमओ रणवीर सिंह रात भर जागकर की।

9. भारतीय सेना के जवानों की रणनीति से पाकिस्तान सरकार, पाक सेना और उसकी खुफिया एजेंसी बेखबर रही और सेना के जवान कार्रवाई को अंजाम देकर लौट आए।

10. इसकी जानकारी राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री को भी इस सर्जिकल स्ट्राइक की जानकारी दी गयी।

11. डीजीएमओ रणबीर सिंह ने इसकी जानकारी पूरे देश को दी।

सर्जिकल स्ट्राइक से पहले बनी रणनीति:-

उरी हमले के बाद ही भारत में कार्रवाई की रणनीति बनने लगी थी। भारत के तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह सुहाग और डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनएसए अजीत डोभाल को भारतीय सेना की तरफ से किये जा सकने वाले विकल्पों की जानकारी दी गई।

पाकिस्तान को आशंका थी कि भारत में सरकार पर इस हमले की बदला लेने के लिये दबाव बन रहा है। ऐसे में पाकिस्तान ने भी अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर रडार सिस्टम को सक्रिय कर दिया और 23 सितंबर की रात प्रधानमंत्री मोदी साउथ ब्लॉक में भारतीय सेना के वॉर रूम में पहुंचे। सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों और एनएसए डोवाल ने भारत की तरफ से की जाने वाली कार्रवाई का ब्लूप्रिंट की जानकारी दी।

इस बैठक में रॉ के सेक्रेटरी राजेंदर खन्ना, इंटेलीजेंस ब्यूरो निदेशक दिनेश्वर शर्मा और एनटीआरओ चीफ आलोक जोशी भी मौजूद थे। बैठक के बाद इसरो को पीओके पर सैटेलाइट से नज़र रखने के लिये कहा गया। भारतीय सेना के ड्रोन से आतंकी ठिकानों और आतंकियों की हरकत पर नज़र रखा जाने लगा।

उधर पाकिस्तान में भी रॉ ने अपने एजेंट्स को सक्रिय कर दिया और रॉ ने निर्देश दिया था कि वो पाक सेना प्रमुख और मुख्यलय पर नजर रखे और उनके मूवमेंट की जानकारी दे। साथ ही नॉर्थन एरिया के फोर्स कमांडर पर भी नज़र रखे।

इधर भारत में सभी बैठकें सीक्रेट रखी जाने लगीं और बैठकों में मोबाइल फोन आदि ले जाने पर मनाही हो गई। दिल्ली से दूर हो रही इन बैठकों की किसी को भी खबर नहीं लगी।

सेना ने एमआई-17 ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर्स से भारतीय सेना के कमांडोज़ और सैन्य उपकरणों को एलओसी के पास फॉरवर्ड पोस्ट्स के पास भेज दिया। इसके अलावा नॉर्थन आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डी एस हुड्डा ने 6 बिहार और 10 डोगरा बटालियन्स के घातक कमांडोज़ को तौयार रहने को कहा। उरी हमले में इन्ही बटालियन्स के जवान शहीद हुए थे।

26 सितंबर को सेना की इस कार्रवाई को फाइनट्यून किया गया। एनएसए डोवाल ने सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों और इंटेलीजेंस प्रमुखों के साथ बैठक हुई। इसमें तय किया गया कि 250 किलोमीटर के दायरे में आठ ठिकानों पर एक साथ हमला किया जाए।

No comments

सोशल मीडिया पर सर्वाधिक लोकप्रियता प्राप्त करते हुए एमपी ऑनलाइन न्यूज़ मप्र का सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला रीजनल हिन्दी न्यूज पोर्टल बना हुआ है। अपने मजबूत नेटवर्क के अलावा मप्र के कई स्वतंत्र पत्रकार एवं जागरुक नागरिक भी एमपी ऑनलाइन न्यूज़ से सीधे जुड़े हुए हैं। एमपी ऑनलाइन न्यूज़ एक ऐसा न्यूज पोर्टल है जो अपनी ही खबरों का खंडन भी आमंत्रित करता है एवं किसी भी विषय पर सभी पक्षों को सादर आमंत्रित करते हुए प्रमुखता के साथ प्रकाशित करता है। एमपी ऑनलाइन न्यूज़ की अपनी कोई समाचार नीति नहीं है। जो भी मप्र के हित में हो, प्रकाशन हेतु स्वीकार्य है। सूचनाएँ, समाचार, आरोप, प्रत्यारोप, लेख, विचार एवं हमारे संपादक से संपर्क करने के लिए कृपया मेल करें Email- editor@mponlinenews.com/ mponlinenews2013@gmail.com