प्राइवेट कॉलेजों में परीक्षाओं के साथ होंगे छात्रसंघ चुनाव
जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश के निजी महाविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव का दूसरा चरण संचालित किए जाने पर रोक से इनकार कर दिया। हालांकि दूसरे चरण में प्रोफेशनल-टेक्निकल इंजीनियरिंग-मेडिकल कॉलेजों में चुनाव न कराए जाने के रवैये पर राज्य शासन से जवाब-तलब कर लिया। इसके लिए आगामी सुनवाई तिथि 27 नवंबर तक का समय दिया गया है। इस मामले में राज्य शासन, मुख्य सचिव, अतिरिक्त सचिव उच्च शिक्षा, आयुक्त उच्च शिक्षा, अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा को पक्षकार बनाया गया है।
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता व जस्टिस राजीव कुमार दुबे की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता जबलपुर के ज्ञानगंगा इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के बीई स्टूडेंट वरुण दुबे, नचिकेता कॉलेज के बीएएसी स्टूडेंट कान्हा पटैल और मेडिकल कॉलेज जबलपुर के एमबीबीएस स्टूडेंट शुभम जैन की ओर से अधिवक्ता वेदप्रकाश तिवारी ने पक्ष रखा।
कोर्ट रूम लाइव:
वकील- छात्रसंघ चुनाव का दूसरा चरण ऐसे समय आयोजित किया जा रहा है, जो कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में परीक्षाओं का समय है। इस वजह से विद्यार्थियों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ना स्वाभाविक है। कैट के एग्जाम 26 नवंबर से हैं। वहीं सभी बीए, बीएससी और बीकॉम की भी परीक्षाएं भी चल रही हैं। ऐसे में छात्रसंघ चुनाव फिलहाल टाल देना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो स्टूडेंट्स के निर्बाध शिक्षा संबंधी फंडामेंटल राइट का वॉयलेशन होगा।
कोर्ट- चूंकि छात्रसंघ चुनाव के दूसरे चरण की विधिवत अधिसूचना जारी हो चुकी है, अतः चुनाव पर रोक नहीं लगाई जा सकती। ऐसे में जिन छात्रों को चुनाव में भाग लेना है, वे भाग लें और जिन्हें परीक्षा में शामिल होना है, वे परीक्षा में शामिल हों। साथ ही जिन्हें दोनों गतिविधियों में एक साथ शामिल होना है, वे ऐसा करने स्वतंत्र हैं।
वकील- जेएम लिंगदोह कमेटी ने छात्रसंघ चुनाव सुधार के सिलसिले में जो महत्वपूर्ण अनुशंसा की थी, उसके अनुसार शिक्षण सत्र के शुभारंभ के साथ ही 6 से 8 सप्ताह के भीतर छात्रसंघ चुनाव सम्पन्न करा लिए जाने चाहिए। इससे एकेडमिक सेशन पर कोई बुरा असर पड़ने का खतरा टल जाएगा। लेकिन ऐसा न करते हुए बेहद विलंब से चुनाव कराए जा रहे हैं। साथ ही दूसरे चरण के छात्रसंघ चुनाव में हाईकोर्ट के पूर्व आदेश की भी अवहेलना हो रही है।
कोर्ट- ऐसा कतई नहीं हो रहा क्योंकि हाईकोर्ट ने पूर्व में छात्रसंघ चुनाव को लेकर जो दिशा-निर्देश दिए थे, उन्हीं के अनुरूप दूसरे चरण का छात्रसंघ चुनाव विधिवत अधिसूचना जारी करके सम्पन्न कराया जा रहा है।
वकील- छात्रसंघ चुनाव के दूसरे चरण में प्रोफेशनल-टेक्निकल इंजीनियरिंग-मेडिकल कॉलेजों को शामिल नहीं किया गया है। जबकि प्रदेश के निजी कॉलेजों को छात्रसंघ चुनाव के दूसरे चरण में शामिल किया गया है। यह भेदभाव क्यों?
कोर्ट- निःसंदेह आपत्ति का यह बिन्दु विचारणीय है। इस संबंध में राज्य शासन को जवाब देना होगा। इसके लिए नोटिस जारी किए जा सकते हैं।
शासकीय अधिवक्ता अमित सेठ- इस आपत्ति के सिलसिले में राज्य शासन से निर्देश हासिल करने के लिए मोहलत अपेक्षित है।
कोर्ट- प्रार्थना मंजूर करते हुए 27 नवंबर तक का समय दिया जाता है। इस बीच राज्य के जवाब की प्रस्तुति सुनिश्चित कराई जाए।
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता व जस्टिस राजीव कुमार दुबे की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता जबलपुर के ज्ञानगंगा इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के बीई स्टूडेंट वरुण दुबे, नचिकेता कॉलेज के बीएएसी स्टूडेंट कान्हा पटैल और मेडिकल कॉलेज जबलपुर के एमबीबीएस स्टूडेंट शुभम जैन की ओर से अधिवक्ता वेदप्रकाश तिवारी ने पक्ष रखा।
कोर्ट रूम लाइव:
वकील- छात्रसंघ चुनाव का दूसरा चरण ऐसे समय आयोजित किया जा रहा है, जो कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में परीक्षाओं का समय है। इस वजह से विद्यार्थियों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ना स्वाभाविक है। कैट के एग्जाम 26 नवंबर से हैं। वहीं सभी बीए, बीएससी और बीकॉम की भी परीक्षाएं भी चल रही हैं। ऐसे में छात्रसंघ चुनाव फिलहाल टाल देना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो स्टूडेंट्स के निर्बाध शिक्षा संबंधी फंडामेंटल राइट का वॉयलेशन होगा।
कोर्ट- चूंकि छात्रसंघ चुनाव के दूसरे चरण की विधिवत अधिसूचना जारी हो चुकी है, अतः चुनाव पर रोक नहीं लगाई जा सकती। ऐसे में जिन छात्रों को चुनाव में भाग लेना है, वे भाग लें और जिन्हें परीक्षा में शामिल होना है, वे परीक्षा में शामिल हों। साथ ही जिन्हें दोनों गतिविधियों में एक साथ शामिल होना है, वे ऐसा करने स्वतंत्र हैं।
वकील- जेएम लिंगदोह कमेटी ने छात्रसंघ चुनाव सुधार के सिलसिले में जो महत्वपूर्ण अनुशंसा की थी, उसके अनुसार शिक्षण सत्र के शुभारंभ के साथ ही 6 से 8 सप्ताह के भीतर छात्रसंघ चुनाव सम्पन्न करा लिए जाने चाहिए। इससे एकेडमिक सेशन पर कोई बुरा असर पड़ने का खतरा टल जाएगा। लेकिन ऐसा न करते हुए बेहद विलंब से चुनाव कराए जा रहे हैं। साथ ही दूसरे चरण के छात्रसंघ चुनाव में हाईकोर्ट के पूर्व आदेश की भी अवहेलना हो रही है।
कोर्ट- ऐसा कतई नहीं हो रहा क्योंकि हाईकोर्ट ने पूर्व में छात्रसंघ चुनाव को लेकर जो दिशा-निर्देश दिए थे, उन्हीं के अनुरूप दूसरे चरण का छात्रसंघ चुनाव विधिवत अधिसूचना जारी करके सम्पन्न कराया जा रहा है।
वकील- छात्रसंघ चुनाव के दूसरे चरण में प्रोफेशनल-टेक्निकल इंजीनियरिंग-मेडिकल कॉलेजों को शामिल नहीं किया गया है। जबकि प्रदेश के निजी कॉलेजों को छात्रसंघ चुनाव के दूसरे चरण में शामिल किया गया है। यह भेदभाव क्यों?
कोर्ट- निःसंदेह आपत्ति का यह बिन्दु विचारणीय है। इस संबंध में राज्य शासन को जवाब देना होगा। इसके लिए नोटिस जारी किए जा सकते हैं।
शासकीय अधिवक्ता अमित सेठ- इस आपत्ति के सिलसिले में राज्य शासन से निर्देश हासिल करने के लिए मोहलत अपेक्षित है।
कोर्ट- प्रार्थना मंजूर करते हुए 27 नवंबर तक का समय दिया जाता है। इस बीच राज्य के जवाब की प्रस्तुति सुनिश्चित कराई जाए।
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