कमलनाथ बोले- लाखों पद रिक्त फिर भी संविदा कर्मचारियों को नहीं कर रहे नियमित
भोपाल। नियमितिकरण नहीं करने और सेवा से निकाले जाने से नाराज संविदा कर्मचारियों ने रविवार को भोपाल में जुटे। प्रदेश सरकार के इस रवैये से काफी समय से कर्मचारी जगत नाराज है। रविवार को कांग्रेस सांसद कमलनाथ ने संविदा कर्मचारियों के पक्ष में टवीट कर सरकार पर निशाना साधा। कमलनाथ ने टवीट कर कहा कि
एमपी में लाखों नियमित पद रिक्त होने पर भी प्रदेश सरकार संविदा कर्मियों को नियमित क्यों नहीं कर रही है। सरकार जल्द निर्णय ले वरना कांग्रेस सरकार आने पर हम लेंगे निर्णय
गौरतलब है कि राजधानी के आंबेडकर मैदान में सैंकडों कर्मचारियों ने रविवार को सरकार के खिलाफ नारेबाजी व विरोध प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने आंदोलन में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी न्यौता भेजा था। कर्मचारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री को कर्मचारियों के बीच आकर उनकी पीड़ा जाननी चाहिए।
मप्र संविदा अधिकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि 15 साल से संविदाकर्मी विभागों में काम कर रहे हैं। योजना बंद होने के बाद से 36 हजार से अधिक कर्मचारियों को निकाल गया है जो कर्मचारी काम कर रहे हैं उन्हें नियमित नहीं किया जा रहा है। इसके चलते कर्मचारियों को कम वेतन मिलता है। इसको लेकर सरकार को कई बार अवगत कराया गया है, उसके बाद भी समस्याओं का निराकरण नहीं हुआ।
एमपी में लाखों नियमित पद रिक्त होने पर भी प्रदेश सरकार संविदा कर्मियों को नियमित क्यों नहीं कर रही है। सरकार जल्द निर्णय ले वरना कांग्रेस सरकार आने पर हम लेंगे निर्णय
गौरतलब है कि राजधानी के आंबेडकर मैदान में सैंकडों कर्मचारियों ने रविवार को सरकार के खिलाफ नारेबाजी व विरोध प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने आंदोलन में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी न्यौता भेजा था। कर्मचारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री को कर्मचारियों के बीच आकर उनकी पीड़ा जाननी चाहिए।
मप्र संविदा अधिकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि 15 साल से संविदाकर्मी विभागों में काम कर रहे हैं। योजना बंद होने के बाद से 36 हजार से अधिक कर्मचारियों को निकाल गया है जो कर्मचारी काम कर रहे हैं उन्हें नियमित नहीं किया जा रहा है। इसके चलते कर्मचारियों को कम वेतन मिलता है। इसको लेकर सरकार को कई बार अवगत कराया गया है, उसके बाद भी समस्याओं का निराकरण नहीं हुआ।
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