नृत्य में दिखी भारतीय संस्कृति की झलक
उमरिया : मध्यप्रदेश स्थापना के दिवस के सांध्यकालीन सांस्कृतिक समारोह में विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने शानदार प्रस्तुति देकर दर्शकों का मन मोह लिया। हंसवाहिनी स्कूल खलेसर ने जय-जय मध्यप्रदेश का गायन किया। उत्कृष्ट छात्रावास की छात्राओं ने आदिवासी लोक कला संस्कृति को बिखेरता शैला नृत्य प्रस्तुत किया। जिसमें बांसुरी की धुन पर ढोल, नगाड़ा, शैला एवं पैर के घुंघरू की खनक ने सबको मोहित किया। इस अवसर पर नेहरू कान्वेंट की छात्राओ ने समूह गान व बांधवगढ बाल कल्याण चपहा ने सोहन के नेतृत्व में बेहतर समूह नृत्य प्रस्तुत किया गया। जिसमें विभिन्न रंग बिरंगें परिधानों में प्रदेश की संस्कृति की झलक दिखाई दी।
उत्कृष्ट विद्यालय के छात्रों ने बेटी बचाओ पर केन्द्रित लघु नाटिका प्रस्तुत किया। जिसमें दादा-दादी जहां दहेज रूपी दानव के कारण बेटी को जन्म से घर में मातम छा जाने और उसे मौत के घाट उतारने का प्लान तैयार करते हैं, वहीं चाचा एवं भाईयों ने बेटियों को वरदान मानकर उसके जन्म की खुशियां मनाते है। नाटिका का उद्देश्य बेटी को मारने की सजा जेल की हवा खाना रहा। नाटक के जरिए संदेश दिया गया कि बेटी के जन्म से लेकर विवाह तक का बंदोबस्त सरकार ने किया है। अब समाज बेटी के जन्म को उत्सव मनाने लगा है।
सेंट जेवियर्स कोयलारी की छात्राओं ने महुआ जडे है, का सामूहिक कर्तव्य दिखाकर खूब तालिया बटोरी। उस समय मप्र की कला, संस्कृति एवं विलुप्त होती पारपंरिक रीति-रिवाज से सबको अभिभूत किया। सेन्ट्रल एकेडमी की छात्राओं ने बेटी बचाओ, जल बचाओ एवं स्वच्छता पर केन्द्रित प्रहसन किया। सारा जमाना मेरा बाबा का दीवाना के माध्यम से ढोंगी बाबा का भी मंचन किया। विकलांगता को दूर भगाने के लिए जिंदगी की दो बूंद दवा पीने, साबुन से हाथ धोने, दहेज प्रथा बंद करने, जल है तो कल है के तहत पानी की एक-एक बूंद को सहेजने का प्रेरक मंचन किया गया। इस अवसर पर कलेक्टर माल सिंह ने समस्त पार्टीसिपेट करने वाले विद्यालयों के नन्हें कलाकारो की सराहना करते हुए शुभकामनाएं दी। उन्होने कहा कि जहां एक ओर विलुप्त होती कला संस्कृति एवं परंपरा को संबल मिलेगा। वही सरकार की महत्वाकांछी योजनाओ को घर-घर पहुंचाने और लाभ लेने का भी प्रेरक संदेश दिया है।
उत्कृष्ट विद्यालय के छात्रों ने बेटी बचाओ पर केन्द्रित लघु नाटिका प्रस्तुत किया। जिसमें दादा-दादी जहां दहेज रूपी दानव के कारण बेटी को जन्म से घर में मातम छा जाने और उसे मौत के घाट उतारने का प्लान तैयार करते हैं, वहीं चाचा एवं भाईयों ने बेटियों को वरदान मानकर उसके जन्म की खुशियां मनाते है। नाटिका का उद्देश्य बेटी को मारने की सजा जेल की हवा खाना रहा। नाटक के जरिए संदेश दिया गया कि बेटी के जन्म से लेकर विवाह तक का बंदोबस्त सरकार ने किया है। अब समाज बेटी के जन्म को उत्सव मनाने लगा है।
सेंट जेवियर्स कोयलारी की छात्राओं ने महुआ जडे है, का सामूहिक कर्तव्य दिखाकर खूब तालिया बटोरी। उस समय मप्र की कला, संस्कृति एवं विलुप्त होती पारपंरिक रीति-रिवाज से सबको अभिभूत किया। सेन्ट्रल एकेडमी की छात्राओं ने बेटी बचाओ, जल बचाओ एवं स्वच्छता पर केन्द्रित प्रहसन किया। सारा जमाना मेरा बाबा का दीवाना के माध्यम से ढोंगी बाबा का भी मंचन किया। विकलांगता को दूर भगाने के लिए जिंदगी की दो बूंद दवा पीने, साबुन से हाथ धोने, दहेज प्रथा बंद करने, जल है तो कल है के तहत पानी की एक-एक बूंद को सहेजने का प्रेरक मंचन किया गया। इस अवसर पर कलेक्टर माल सिंह ने समस्त पार्टीसिपेट करने वाले विद्यालयों के नन्हें कलाकारो की सराहना करते हुए शुभकामनाएं दी। उन्होने कहा कि जहां एक ओर विलुप्त होती कला संस्कृति एवं परंपरा को संबल मिलेगा। वही सरकार की महत्वाकांछी योजनाओ को घर-घर पहुंचाने और लाभ लेने का भी प्रेरक संदेश दिया है।
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