MSME ने हर साल 10 करोड़ लोगों को दिया रोजगार : केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह
भोपाल। भोपाल में शुक्रवार से दो दिवसीय सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) स्व-रोजगार सम्मेलन शुरू हुआ। सम्मेलन का शुभारंभ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय एमएसएमई राज्यमंत्री गिरिराज सिंह ने किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथियों ने प्रदेश की एमएसएमई प्रोत्साहन नीति, ऑनलाइन ईडीपी मॉडयूल और एमएसएमई परियोजना पुस्तिका और कृषि उद्यमी योजना पुस्तिका का विमोचन किया। इसके अलावा उद्योग लगाने के लिए सिंगल ई विंडो का भी शुभारंभ किया गया। इससे गवर्मेन्ट ई मार्केट की जानकारी नए उद्यमियों को मिल सकेगी।
केंद्रीय MSME मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि देश में MSME ने हर साल 10 करोड़ लोगों को रोजगार दिया है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को बढ़ने के लिए पर्याप्त अवसर दिए जा रहे हैं। सिंह ने कहा कि जो विदेश जाकर झूठ बोल रहे हैं, वो सुन लें मैं दावे से कह रहा हूं कि देश में MSME ने हर साल 10 करोड़ लोगों को रोजगार दिया है। उन्होंने भावांतर भुगतान योजना को किसानों के लिए अब तक की सबसे उम्दा योजना बताया। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में सिर्फ स्मॉल और मीडियम उद्योग हैं लेकिन भारत ही ऐसा देश है, जहां MSME है। सिंह ने कहा कि प्रदेश के काम को देखते हुए कई राज्य ने प्रदेश की तर्ज पर चलना शुरू कर दिया है। केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस पर वार करते हुए कहा कि कुछ लोगों को काम नही दिखता, बावजूद इसके एमपी ने एग्रीकल्चर की ग्रोथ रेट 20 से ऊपर है, इतना ही नहीं पंजाब के एमपी का गेंहू खाते हैं। पूरे देश मे 80 प्रतिशत रोजगार एमएसएमई विभाग दे रहा है। जिला उद्योग केंद्र में 15 साल पहले जब उद्यमी जाता था तो फूल की माला लेकर जाता था। गिरिराज सिंह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जीएसटी गब्बर नहीं, बल्कि कांग्रेस की भाषा गब्बर सिंह की हो गई है। जीएसटी देश के लिए कानून के रूप में रहेगा।
बैंकर्स की कार्यशैली पर बोला हमला
केंद्रीय सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग मंत्री गिरिराज सिंह ने बैंकर्स की कार्यशैली पर हमला बोलते हुए कहा है कि उद्यमियों के लिए बैंकों की ब्रांच टार्चर रूम बन गई हैं। उद्यम स्थापित करने के लिए बैंक जाने वाले बेरोजगारों को बैंक के ब्रांच मैनेजर इतना टार्चर करते हैं कि वह उद्योग लगाने के पहले की परेशान हो जाता है। कई बार तो बैंक से परेशान होकर बेरोजगार युवा उद्यम लगाने का फैसला ही बदल देते हैं।
तीन दिन के प्रवास पर भोपाल आए केंद्रीय मंत्री गिरिराज ने यह तल्ख टिप्पणी गुरुवार को तब की जब वे प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा बैठक ले रहे थे। उनके इतना कहते ही जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र के महाप्रबंधकों, बैंकर्स, उद्यमियों के बीच कुछ देर के लिए सनाका खिंच गया। मंत्री सिंह यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि बैंकों की ब्रांच गरीबों की सबसे बड़ी दुश्मन है। इसलिए हमें कोई ऐसे माडल चाहिए जिससे उद्यमी को राहत मिले। उसे आसानी से लोन मिल सके। उसे गारंटी के नाम पर परेशान न किया जाए। बैंकर्स लोन मांगने आने वालों के साथ परिवार की तरह पेश आएं। लोन मांगने वाला भी उन्हीं के परिवार का सदस्य हो सकता है। जो आज लोन देने में आनाकानी कर रहे हैं, उन्हें कल खुद मांगने जाना पड़ सकता है। एमएसएमई तो हिन्दुस्तान की रीढ़ है।
दुनिया में सिर्फ एसएमई है और भारत एमएसएमई को लेकर चल रहा है जो अपने आप बड़ा उदाहरण है। खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड की एमडी मधु खरे की मौजूदगी में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बैंकर्स से इमोशनल बैंकिंग भी चाहते हैं। बैंकों में रुपया भरा पड़ा है तो उसे देने में क्या दिक्कत है? खासतौर पर जरूरतमंद को उद्योग लगाने के लिए लोन देने के मामले में बैंकर्स को खुद आगे आना चाहिए क्योंकि ये न सिर्फ अपना बल्कि दूसरों को रोजगार देकर भरण पोषण का काम करते हैं। मप्र खादी एवं ग्रामोद्योग के अध्यक्ष ने भी बैंकर्स पर सवाल उठाए और कहा कि अगर बैंक गारंटी न मांगें तो उद्यमी और अच्छा परफार्मेंस दे सकते हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा...
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अब जिला स्तर पर MSME केंद्र खोले जाएंगे। लघु उद्योगों को बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के युवाओं के पास कोई इनोवेटिव आइडिया हो वो सरकार के पास आए सरकार उन्हें कैपिटल वेंचर फंड से मदद करेगी। उन्होंने ये भी घोषणा की कि प्रदेश में 10 करोड़ तक के निवेश वाली इकाइयों को राज्य सरकार 40 प्रतिशत तक सब्सिडी देगी। वहीं पॉवर लूमों के उन्नयन के लिए उनकी उन्नयन लागत का 25 प्रतिशत व्यय राज्य सरकार वहन करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सूक्ष्म उद्योगों को उनकी आवश्यकतानुसार छोटे-छोटे भूखण्ड विकसित कर उपलब्ध कराए जाएंगे। सीएम ने कहा कि रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए सरकार ने एमएसएमई विभाग बनाया है। एमएसएमई का सम्मलेन हर साल होगा। हर साल 5 लाख बच्चो को स्वरोजगार दिया जाएगा। अमेरिका में भारत के डॉक्टर नही होते तो आधा अमेरिका बीमार होता। वहां भारतीय डॉक्टर छाए हुए हैं। भारत के बच्चों में टेलेंट हैं। बस उन्हें सहयोग की जरूरत है।
सीएम ने कहा कि एमएसएमई उद्योगों को 40 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। लाइसेंस रिन्युअल की बाध्यता को बंद किया जाएगा। इसके अलावा हर जिले में लघु उद्योग के सम्मलेन आयोजित होंगे। सभी जिला लघु निवेश संवर्धन बोर्ड की स्थापना होगी। पंजीयन के लिए 500 रुपए की फीस लगेगी।
इस अवसर पर प्रदेश के एमएसएमई मंत्री संजय पाठक ने कहा कि मुख्य्मंत्री ने जितनी भी घोषणाएं आज तक की है। उसमें से 99.99 पूरी की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि सीएम की सोच के अनुरूप काम करने की कोशिश की जा रही है। पिछले एमएसएमई सम्मलेन की घोषणाओं को पूरा किया गया है। जिला स्तर पर एमएसएमई सुविधा केंद्र खोले गए है। इन केंद्रों में सलाहकार भी नियुक्त किए गए है। इंडस्ट्रियल एरिया के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया।युवाओं को आकर्षित करने वाली योजना मुख्यमंत्री स्व रोजगार योजना है। ऐसी योजना पूरे हिंदुस्तान में नहीं है। पाठक ने दावा किया कि बीते एक साल में प्रदेश के 4000 युवाओं ने सरकार की विभिन्न योजनाओं के जरिए अपना सफल बिजनेस और स्टार्ट अप वेंचर स्थापित किया।
इससे पूर्व अतिथियों ने ग्वालियर, मंडीदीप और देवास के उद्योगों को MSME अवॉर्ड से नवाजा। इसके साथ ही दो इन्क्यूबेशन सेंटर को स्वीकृति दी गई और भोपाल के ऑन लाइन कबाड़ीवाला के अभिनव विचार और स्टार्ट अप को भी स्वीकृति दी गई। कार्यक्रम में प्रदेशभर के सूक्ष्म एवं लघु और मध्यम उद्योग से जुड़े उद्योगपति भी मौजूद हैं जो सम्मेलन के अलग-अलग सत्र में अपनी बात रखेंगे।
सम्मेलन के दूसरे दिन 18 नवंबर को न्यू बिजनेस फॉर एमएसएमई, आंत्रप्रेन्योरशिप एंड इंक्यूबेशन फॉर एमएसएमई पर चर्चा होगी.एमएसएमई कन्वेंशन के मौके पर सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों तथा स्व-रोजगारियों के उत्पादों की प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है। इस प्रदर्शनी में लगभग 220 सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम तथा स्व-रोजगार से जुड़े लोग शामिल हुए है। इसमें लगभग 28 वृहद उद्यम तथा भारत सरकार के उपक्रम भी भाग ले रहे हैं।
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