उपज का कम दाम मिलने पर किसानों ने किया हंगामा
नायब तहसीलदार के पहुंचने पर हुई पुन: खरीद शुरू
करैरा : शासन-प्रशासन द्वारा खेती को फायदे का धंधा बनाने एवं किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए भले ही कितने भी प्रयास किए जा रहे हों, लेकिन हकीकत में आज भी मंडियों में किसानों का शोषण जारी है। इसी कड़ी में कृषि उपज मंडी, करैरा में जब व्यापारियों द्वारा किसानों को उनकी उपज का कम दाम आंका गया, तो किसानों ने हंगामा कर दिया, बाद में नायब तहसीलदार के पहुंचने के बाद ही पुन: खरीदी शुरू हो सकी।
किसानों का कहना है कि कृषि उपज मंडी, करैरा के व्यापारियों की मनमानी के चलते प्रतिदिन हमारे साथ लूट हो रही है, लेकिन हमारी व्यथा सुनने को कोई भी तैयार नहीं है। करैरा कृषि उपज मंडी के सुबह खुलते ही सैकड़ों किसान अपनी फसल बेचने को कतार में थे, लेकिन न ही तो व्यापारियों ने किसानों द्वारा लाई गई उपज का सही दाम लगया और न ही मंडी प्रशासन ने किसानों को राहत देने के लिए कोई व्यवस्था की। आलम यह था कि जो मूंगफली बाजार में 3500 से लेकर 4 हजारी रुपए प्रति क्विंटल से भी अधिक के दाम पर बिक रही थी, उसी मूंगफली का मंडी के अंदर व्यापारियों द्वारा योजनाबद्ध तरीके से महज 1600 से 2 हजार रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदी जा रही थी, जिससे किसान अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे थे। तभी कुछ जागरूक किसानों ने इसका विरोध किया और तहसीलदार के पास पहुंचकर अपनी आपबीती सुनाई।
इनका कहना है
तहसीलदार को मंडी भिजवाकर किसानों की समस्या का निदान करवाया गया है, आगे भी किसी तरह से किसानों के साथ ठगी नहीं होने दी जाएगी।
तरुण राठी, कलेक्टर शिवपुरी
अधिकारियों को खोजते फिरे किसान
कृषि उपज मंडी में जब किसानों की समस्या किसी ने नहीं सुनी, तो वे सैकड़ों की संख्या में किसान अपनी शिकायत लेकर तहसील मुख्यालय जा पहुंचे, जिस पर तहसीलदार ने मंडी आने का आश्वासन देकर किसानों को वापस मंडी पहुंचा दिया, लेकिन किसानों के कई घंटे इंतजार करने के बाद भी तहसीलदार नहीं पहुंचे, तो किसानों ने अपनी समस्या से कलेक्टर को अवगत कराया। किसानों की समस्या जानकर कलेक्टर ने हस्तक्षेप करते हुए नायब तहसीलदार महेंद्र कोरकू को मंडी भेजा। दोपहर बाद मंडी पहुंचे नायब तहसीलदार श्री कोरके ने मध्यस्थता करते हुए किसानों व व्यापारियों को समझाया, तब कहीं जाकर मंडी में पुन: खरीदी शुरू हो सकी। यहां बताना गौरतलब होगा कि मंडी में माल खरीदने हेतु कुल 106 व्यापारी पंजीकृत हैं, लेकिन मंडी के अंदर माल खरीदने सिर्फ 5-10 व्यापारी ही पहुंचते हैं। जिससे वे अपने मनमाने भाव पर माल खरीदकर किसानों के साथ ठगी करने में जुटे हुए हैं।
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