-->

Breaking News

प्रधानमंत्री मोदी को मध्यप्रदेश के एक एंकर का खुला खत



देश मे आरक्षण और SC/ST एक्ट को लेकर मचे वबाल के बीच भोपाल के एक न्यूज़ एंकर सचिन श्रीवास्तव ने पीएम मोदी को खुला खत लिखा है…जिसमें सचिन ने वर्तमान परिदृश्य में आरक्षण को लेकर कई सवाल खड़े किए है और आशा की है कि देश के प्रधान सेवक उनके इस खुले खत का जवाब देगें….

देश के प्रधानमंत्री को खुला खत...

आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी नमस्कार...मैं सचिन श्रीवास्तव पेशे से एक चैनल में एंकर पद पर कार्यरत हूँ लेकिन ये खुला पत्र मैं एक सवर्ण समाज का होने के नाते लिख रहा हूँ, यूँ तो आजकल टेक्नोलॉजी का जमाना है और हमारी युवा पीढ़ी ये पत्र के चक्कर में नहीं पड़ती है पर चिट्ठी परंपरा को आगे बढ़ाना भी जरूरी है और मैंने आजतक कभी किसी को चिट्टी भी नहीं लिखी है तो सोचा क्यों न आपसे ही चिठ्ठी लिखने की लुप्त होती जा रही परम्परा की शुरुआत करूँ...

आदरणीय प्रधानमंत्री जी मैं फेसबुक पर पिछले आठ साल से सक्रीय हूँ जब आप गुजरात के सीएम हुआ करते थे तबसे आपकी तारीफों के पुल सोशल मीडिया पर बाँधा करता था और आपको जबसे ही प्रधानमंत्री के पद पर देखना चाहता था, छात्र जीवन में अपने नगर डबरा का अखिल भारतीय विधार्थी परिषद का नगर अध्यक्ष था और संघ का स्वयंसेवक भी हुआ करता था चूँकि संघ का स्वयंसेवक साउम्र रहते है लेकिन मैं अपने आप को भूतपूर्व स्वयंसेवक कहता हूँ क्योकि पत्रकारिता में आपने के बाद सबको एक ही नज़र से देखना पड़ता है और आजकल लोग निष्पक्षता पर भी सवाल उठाते है इसलिए मैं अपने आपको भूतपूर्व स्वयंसेवक कहता हूँ, बांकि मेरा भी मन था आपकी तरह संघ का प्रचारक बनूँ परन्तु इकलौती सन्तान होने के नाते ये इच्छा अपने मन में ही मार ली | लेकिन स्व. अटल बिहारी जी की तरह मेरा भी सपना है हमारा देश पुन अखंड हो और विश्वगुरु बने ये विचारधारा मेरी तब भी थी और अब भी है और मरते दम तक रहेगी| आदरणीय मोदी जी मैं आपका वो सिपाही था जिसने सोशल मीडिया के सहारे 2010 से लेकर जब तक आप प्रधानमंत्री नही बने तब तक आपका खूब बखान किया है और करवाया है, जिस प्रकार रामसेतु बनने के समय जो गिलहरी का योगदान था ठीक उसी प्रकार या फिर उससे कम कह सकते है लोगो के दिमाग में खासकर अपने आसपास ऐसा माहौल बना दिया था कि हर व्यक्ति मोदी-मोदी करने लगा था| मैं बीजेपी का पदाधिकारी नहीं रहा हूँ लेकिन फिर भी मैंने 2013 के मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में “फिर भाजपा-फिर शिवराज” का नारा बुलंद किया था और वहीँ 2014 में हर-हर मोदी घर-घर मोदी का नारा बुलंद कर बिना किसी चाहत के आपके और आपकी भाजपा के लिए काम किया था क्योकि हमें आपसे उम्मीद थी और शिवराज जी से भी उम्मीद थी लेकिन वो उम्मीद अब ध्वस्त हो गई है...

मोदी जी जैसा कि मैंने पत्र में पहले ही लिख दिया है कि ये पत्र मैं सवर्ण समाज के होने के नाते लिख रहा हूँ तो आपको बता देना चाहता हूँ कि हमने सभी लोगो की तरह कक्षा 6 में नागरिक शास्त्र की किताब में मौलिक अधिकार पढ़े थे तो आज तक याद है उनमे से एक था #समनाता_का_अधिकार इसके बारे में हमारे शिक्षक के द्वारा बताया गया इसका मतलब होता है हमारे देश में हम सब नागरिक समान है ये जान कर अच्छा लगता था लेकिन जब वजीफा की बारी आती तो पता चलता कि कुछ लोगो को वजीफा मिलता है तब उस उम्र में मुझे ये नहीं पता था कि ये वजीफा क्या बला है जानकारी ली तो पता चला SC-ST वालो को वजीफा यानि की सरकार की तरफ से रूपये दिए जाते है घर जाकर पता किया कि ये SC-ST और OBC क्या होता है तो घर में बताया कि ये कैडेगरी होती है और हम जनरल में आते है इसलिए हमें कुछ नहीं मिलता है तब मौलिक अधिकार ध्यान में आया था संविधान में तो समानता का अधिकार है तो फिर ये कैडेगरी क्यों ? लेकिन जब इतना दिमाग नहीं था कि इस बात की जड़ तक जाऊँ, वो समय बीतता गया और बहुत सी चीजे ऐसी देखी जिसे देख कर लगने लगा था कि संविधान में जो हमें समनता का अधिकार मिला है वो केवल लिखने पढने के लिए है जमीनी स्तर पर इसका कोई लेना देना नहीं है, जब मैं डबरा से भोपाल आया पत्रकारिता की पढाई करने के लिए तो माखनलाल पत्रकारिता विश्वविधालय में एंट्रेस पेपर दिया और इस एंट्रेस पेपर के 400 से अधिक रूपये लिए गए जनरल होने के नाते जबकि और लोगो को इससे कम फीस में उनका पेपर हुआ , वहीँ पेपर देने के बाद रिजल्ट आया जिसमे कि मेरे सत्तर नंबर आये लेकिन फिर भी मुझे जनरल होने के नाते सीट न मिली लेकिन 38 नंबर वालो को सीट मिल गई थी, मोदीजी ये देख अंदर ही अंदर से टूट गया था मैं और ऐसा हर बार मेरे जैसे न जाने कितने लोगो के साथ ऐसा हुआ होगा और अभी भी होता है पूछना चाहता हूँ आपसे आदरणीय प्रधानमंत्री जी क्या सवर्ण होना हमारी गलती है ? आखिर क्यों हमारे नंबर ज्यादा आने के वावजूद एडमिशन नहीं मिल पाता है और जबकि सवर्ण होने के नाते हमारी फीस भी ज्यादा रहती है क्या इस देश में सभी सवर्ण अमीर है क्या और क्या यहीं समानता का अधिकार है?

जब सरकारी नौकरी के फॉर्म आते है तब भी हमें यहीं भुगतना पड़ता है कि फॉर्म के लिए रकम भी ज्यादा चुकाओ और नंबर भी ज्यादा लाओ लेकिन फिर भी हमारा सिलेक्सन नहीं होता| आखिर जब समनाता का अधिकार का है इस देश में तो फिर जाति के नाम पर भेदभाव क्यों ?

मेरा कईयों दोस्त है जो कि SC से आते है जिसमे से एक मेरा खास मित्र है मित्र क्या भाई है मेरा एक थाली में खाते है एक साथ रह चुके है और हमारे बीच कभी जातिगत भेदभाव नहीं आया लेकिन एक मजे लेना हो तो एक दूसरे के मजे लेने के लिए आरक्षण की व्यवस्था पर चुटकी लेते है लेकिन आपस में मिल जुल कर रहते है और हमेशा रहेंगे...

लेकिन न जाने क्यों देश की राजनितिक पार्टियों के द्वारा समाजिक व्यवस्था में दूरी बनाई जा रहीं है जिसमे आपकी भी पार्टी शामिल है आपकी पार्टी के शिवराज जो कि हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री महोदय है वो खुले आम कह चुके है कोई माई का लाल आरक्षण खत्म नहीं कर सकता यानि हम सवर्ण समाज के लोगो को क्या ऐसे ही जिंदगी गुजारनी पड़ेगी? चलिए हम तो गुज़ार लेंगे लेकिन हमारी आने वाली पीढ़ी हमे गालियाँ देगी क्योकि उनके लिए हम जमीन पर ही नर्क बना रहे है जिंदगी जीना आने वाली पीढ़ी का दुस्वार हो जाएगा साहिब आप भी खूब मंच से बोलते है में पिछड़ी जाति का हूँ मैं पिछड़ो के साथ अन्याय नहीं होने दूंगा अरे साहिब आप पिछड़ी जाति के है लेकिन ये मत भूलिए जिसने आपको आगे बढाया है और जिसकी छत्रछाया में आपकी पार्टी फलीफूली है वो अटल जी सवर्ण थे और उनकी वजह से आप मुख्यमंत्री बने गुजरात के और साथ ही देश के प्रधानमंत्री बने वहीँ अगर बात करे संविधान रचियता बाबा साहेब आंबेडकर की तो वो भी एक सवर्ण की वजह से आगे बढे है इसके बारे में और ज्यादा आपको बताने की ज़रुरत नहीं है ये आओ भलीभांति जानते है

हाल ही में जब एट्रोसिटी एक्ट पर माननीय सुप्रीमकोर्ट का फैसला आया तो लगा वाकई में देश समानता की ओर बढ़ रहा है लेकिन उस फैसले को बदल कर आपने सवर्णों को धोखा दे दिया...साहेब हम सवर्ण भी इस देश के ही है तो आखिर आपने भी दूसरो की तरह हमारे साथ अन्याय क्यों किया आखिर क्या हमारी गलती क्या सवर्ण होना है क्या ?

बस अंत में इतना ही कहना चाहता हूँ आदरणीय प्रधानमंत्री जी काबलियत को देखो और जो गलत है उसे गलत बोलने की हिम्मत रखो और सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।

को याद रख काम करो....
'विनीत'
एक छोटे से कस्बे से आ मेहनत कर राजधानी में काबिज होने वाला छोटा सा पत्रकार सचिन श्रीवास्तव (गाँव वाला एंकर)
जय राम जी की...

2 comments

Unknown said...

सचिन जी मैं आपसे सहमत हूँ, साधुवाद

Unknown said...

सच्चाई लिख कर आपने साहसपूर्ण करतवय निभाया है। भारत माता के सपूत अपनी कलम से ही अन्याय के विरुद्ध लड़ाई लड़ने में सक्षम है। बहुत बहुत धन्यवाद।

सोशल मीडिया पर सर्वाधिक लोकप्रियता प्राप्त करते हुए एमपी ऑनलाइन न्यूज़ मप्र का सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला रीजनल हिन्दी न्यूज पोर्टल बना हुआ है। अपने मजबूत नेटवर्क के अलावा मप्र के कई स्वतंत्र पत्रकार एवं जागरुक नागरिक भी एमपी ऑनलाइन न्यूज़ से सीधे जुड़े हुए हैं। एमपी ऑनलाइन न्यूज़ एक ऐसा न्यूज पोर्टल है जो अपनी ही खबरों का खंडन भी आमंत्रित करता है एवं किसी भी विषय पर सभी पक्षों को सादर आमंत्रित करते हुए प्रमुखता के साथ प्रकाशित करता है। एमपी ऑनलाइन न्यूज़ की अपनी कोई समाचार नीति नहीं है। जो भी मप्र के हित में हो, प्रकाशन हेतु स्वीकार्य है। सूचनाएँ, समाचार, आरोप, प्रत्यारोप, लेख, विचार एवं हमारे संपादक से संपर्क करने के लिए कृपया मेल करें Email- editor@mponlinenews.com/ mponlinenews2013@gmail.com