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11 साल बाद बाहुबली शहाबुद्दीन जेल से रिहा, निकला 1300 गाड़ियों का काफिला

बिहार : राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व सांसद मुहम्मद शहाबुद्दीन को शनिवार को विशेष केन्द्रीय कारागार से रिहा कर दिया गया।सीवान के चर्चित तेजाब कांड में हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद शनिवार सुबह वह जेल से रिहा हुए। उन्हें कुछ दिनों पहले पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के आरोपों में घिरने के बाद सीवान से भागलपुर जेल शिफ्ट किया गया था। 11 साल बाद जेल से रिहा हुए शहाबुद्दीन का सिवान जेल से न्यायालय का रिहाई का आदेश शनिवार सुबह ही यहां पहुंचा। शहाबुद्दीन यहां अति सुरक्षित टी-सेल के अस्पताल वार्ड में बंदी थे।

जेल प्रशासन ने भी सुरक्षा कारणों से पूर्व सांसद को रिलीज आर्डर जांच की औपचारिकताएं पूरी करते ही सुबह ही रिहा कर दिया। इस मौके पर बड़ी संख्या में पूर्व सांसद के समर्थक मौजूद थे। शहाबुद्दीन ने गुरुवार को जमानत की शर्त वाले बंध पत्र पर अपने दस्तखत कर दिए थे।

रिहाई के मौके पर पूर्व सांसद ने कहा कि राजद सुप्रीमो लालू यादव ही उनके नेता हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल वे 13 साल बाद अपने गांव जा रहे हैं। फिलहाल वे गांव जाकर समर्थकों और परिजन से मुलाकात करेंगे। उसके बाद आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा। कहा जा रहा है कि शहाबुद्दीन 1500 गाडिय़ों का काफिले के साथ सिवान की ओर रवाना हुए।

पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के जेल से बाहर निकलने के बाद उनके स्वागत के लिए एक सांसद समेत आधा दर्जन से अधिक विधायक और भारी संख्या में राजद कार्यकर्ता और समर्थकों का जत्था शनिवार की सुबह जेल गेट के समीप मौजूद रहा।

इस मौके पर सिवान, वैशाली, पटना, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, भागलपुर, बांका आदि इलाकों से भी समर्थकों के जत्थे गाडिय़ों के काफिल के साथ पहुंचे।

शहाबुद्दीन दो भाइयों की तेजाब से नहलाकर हत्या करने और बाद में हत्याकांड के इकलौते गवाह उनके तीसरे भाई राजीव रौशन की हत्या के मामले में भागलपुर जेल में बंद थे। दोहरे हत्याकांड में उन्हें हाई कोर्ट से फरवरी में ही जमानत मिल चुकी थी। बुधवार को चश्मदीद की गवाह की हत्या के मामले में भी अदालत ने उनकी जमानत मंजूर कर ली, इसके बाद उनकी रिहाई हुई।

10 जुलाई 1967 को जन्मे शहाबुद्दीन 1980 में स्थानीय डीएवी कॉलेज से राजनीति में आए। भाजपा और भाकपा माले के खिलाफ उन्होंने अपनी मौजूदगी का अहसास दिलाया।

उनपर पहला आपराधिक मुकदमा 1986 में सिवान के हुसैनगंज थाने में दर्ज हुआ। इसके बाद तो लगातार मुकदमे दर्ज होते गए। धीरे-धीरे शहाबुद्दीन बिहार में खौफ का दूसरा नाम बन गए।

पत्नी बोली 2003 से ही है इंतजार
मो. शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब ने बताया कि मैं 2003 से ही उनका इंतजार कर रही हूं। 13 साल से ज्यादा हो गए। ऊपर वाले के घर में देर है, अंधेर नहीं। ऊपर वाले पर भरोसा किए बैठे थे कि न्याय होगा ही। सच्चाई एक न एक दिन सामने आ ही जाती है। आखिरकार उन्हें जमानत मिली, इस बात की खुशी है।

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