केजरीवाल के साथियों के जेल जाने से ‘दुखी’ हैं अन्ना
रालेगण सिद्धि (महाराष्ट्र): अन्ना हजारे ने कहा कि वह ‘‘यह देखकर बहुत दुखी हैं’’ कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कुछ सहयोगी जेल जा रहे हैं जबकि कुछ अन्य ‘‘धोखाधड़ी में लिप्त हैं।’’ हजारे ने कहा, ‘‘मुझे बहुत पीड़ा पहुंची है...केजरीवाल जब मेरे साथ थे तो उन्होंने ग्राम स्वराज पर एक पुस्तक लिखी थी...क्या हम इसे ग्राम स्वराज कहेंगे? इस कारण मैं बहुत दुखी हूं। मैं जिस आशा के साथ केजरीवाल को देख रहा था, वह समाप्त हो गई।’’ उनका यह बयान आप विधायक संदीप कुमार की गिरफ्तारी के बाद आया है जिनपर एक महिला ने बलात्कार का आरोप लगाया है।
बता दें अन्ना ने इसके पहले भी केजरीवाल की राजनीति को लेकर खुलकर नसीहत दी थी। उसके बावजूद दिल्ली सरकार के कई मंत्री और आम आदमी पार्टी के विधायक भ्रष्टाचार, घरेलू हिंसा, फर्जी सर्टिफिकेट, लोगों से दुर्व्यवहार जैसे कई अपराधिक गतिविधियों के आरोप में कानूनी कार्रवाई के दायरे में आए। गौरतलब है कि अन्ना आंदोलन में अरविंद केजरीवाल, किरन बेदी, योगेंद्र यादव, कुमार विश्वास, जनरल वी के सिंह, मनीष सिसोदिया, प्रशांत भूषण के अलावा ढेर सारे लोग सक्रिय थे।
आंदोलन के बाद राजनीतिक पार्टी बनाने और चुनाव लड़ने को लेकर भी अन्ना ने सार्वजनिक तौर पर अपने मतभेद दर्ज कराए थे। इसके बावजूद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी बना ली और चुनाव लड़े। इसके बाद कांग्रेस के साथ मिलकर दिल्ली में सरकार बनाई. अन्ना ने दोनों ही बार खुद को इससे दूर बताया। केजरीवाल ने अन्ना के पास जाकर उन्हें मनाने की कोशिश भी की। अन्ना ने केजरीवाल को काफी समझाया लेकिन उन्होंने उनकी किसी बात पर अमल नहीं किया और राजनीति में आकर उसी के रंग में रंगते चले गए।
बता दें अन्ना ने इसके पहले भी केजरीवाल की राजनीति को लेकर खुलकर नसीहत दी थी। उसके बावजूद दिल्ली सरकार के कई मंत्री और आम आदमी पार्टी के विधायक भ्रष्टाचार, घरेलू हिंसा, फर्जी सर्टिफिकेट, लोगों से दुर्व्यवहार जैसे कई अपराधिक गतिविधियों के आरोप में कानूनी कार्रवाई के दायरे में आए। गौरतलब है कि अन्ना आंदोलन में अरविंद केजरीवाल, किरन बेदी, योगेंद्र यादव, कुमार विश्वास, जनरल वी के सिंह, मनीष सिसोदिया, प्रशांत भूषण के अलावा ढेर सारे लोग सक्रिय थे।
आंदोलन के बाद राजनीतिक पार्टी बनाने और चुनाव लड़ने को लेकर भी अन्ना ने सार्वजनिक तौर पर अपने मतभेद दर्ज कराए थे। इसके बावजूद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी बना ली और चुनाव लड़े। इसके बाद कांग्रेस के साथ मिलकर दिल्ली में सरकार बनाई. अन्ना ने दोनों ही बार खुद को इससे दूर बताया। केजरीवाल ने अन्ना के पास जाकर उन्हें मनाने की कोशिश भी की। अन्ना ने केजरीवाल को काफी समझाया लेकिन उन्होंने उनकी किसी बात पर अमल नहीं किया और राजनीति में आकर उसी के रंग में रंगते चले गए।

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