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पर्रिकर का जनरल बिपिन रावत को पूरा समर्थन, बोले- आतंकियों के मददगार कश्‍मीरियों से सेना जैसे चाहेगी, वैसे निपटेगी

एमपी ऑनलाइन न्यूज़
जनरल रावत ने कहा था कि जम्मू कश्मीर में स्थानीय लोग जिस तरह से सुरक्षा बलों को अभियान संचालित करने में रोक रहे हैं, उससे अधिक संख्या में जवान हताहत हो रहे हैं।

सेना प्रमुख बिपिन रावत की ओर से कश्मीरियों दी गई कड़ी चेतावनी के पक्ष में रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर भी आ गए हैं। सेना प्रमुख ने कश्मीरियों को चेतावनी दी थी कि सेना के आतंक विरोध अभियानों में बाधा डालने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक पर्रिकर ने कहा है कि आतंकियों की मदद करने वाले स्थानीय लोगों से निपटने के लिए सेना आजाद है। साथ ही पर्रिकर ने यह भी स्पष्ट किया कि सेना हर एक कश्मीरी को आतंकियों से सहानुभूति रखने वाला नहीं मानती।

सेना प्रमुख रावत की ओर से यह कड़ा संदेश उस घटना के बाद आया जिसमें उत्तर कश्मीर में बांदीपोरा स्थित पारे मोहल्ला में छुपे हुए आतंकवादियों के खिलाफ अभियान शुरू होने से पहले तीन सैनिकों को भारी पथराव का सामना करना पड़ा। पथराव करने वालों के कारण सावधान होकर आतंकवादियों को आगे बढ़ रहे सैनिकों पर हथगोला फेंकने और एके राइफल से भारी गोलीबारी करने का मौका मिल गया। इसमें तीन जवान शहीद हो गए और सीआरपीएफ के कमांडिंग आफिसर सहित कुछ अन्य घायल हो गए। एक आतंकवादी मौके से फरार होने में सफल रहा।

जनरल रावत ने कहा था कि जम्मू कश्मीर में स्थानीय लोग जिस तरह से सुरक्षा बलों को अभियान संचालित करने में रोक रहे हैं उससे अधिक संख्या में जवान हताहत हो रहे हैं तथा ‘कई बार तो वे आतंकवादियों को भागने में सहयोग करते हैं।’ साथ ही उन्होंने कहा था, ‘हम स्थानीय लोगों से अपील करते हैं कि अगर किसी ने हथियार उठा लिए हैं और वह स्थानीय लड़के हैं। अगर वे आतंकी गतिविधियों में लिप्ट रहना चाहते हैं, आईएसआईएस और पाकिस्तान के झंडे लहराते हैं तो हम लोग उन्हें राष्ट्र विरोधी तत्व मानेंगे और उनके खिलाफ एक्शन लेंगे।’

सेना प्रमुख का यह बयान आने के बाद जहां केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने उनका बचाव किया वहीं कश्मीर की मुख्य विपक्षी पार्टी नेशनल कान्फ्रेंस ने अलगाववादियों की तरह ही इस रूख की आलोचना की। नेशनल कान्फ्रेंस के प्रवक्ता जुनैद अजीम मट्टू ने सेना प्रमुख के बयान को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया और कहा कि सरकार को इसके बजाय आतंकवाद प्रभावित कश्मीर घाटी के युवाओं तक पहुंच बनाकर उनसे बातचीत करनी चाहिए।

उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, ‘मुठभेड़ स्थलों पर लोगों की भीड़ पहुंचने से हमें चिंतित होना चाहिए और हमें रचनात्मक राजनीतिक कदम में लगना चाहिए, कोई दया नहीं दिखाने की धमकी नहीं देनी चाहिए। सरकार को कश्मीर के भटके हुए युवाओं से राजनीतिक रूप से बातचीत करनी चाहिए। धमकी और चेतावनी से उनका विरोध ही बढ़ेगा। दुर्भाग्यपूर्ण है कि नई दिल्ली कश्मीर के भटके हुए युवाओं को सेना प्रमुख के जरिये चेतावनी दे रही है।’

वहीं केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा ‘पथराव करने वालों और उन सभी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए जो राष्ट्रीय हित के खिलाफ काम करते हैं क्योंकि राष्ट्रीय हित सर्वोपरि है। जनरल रावत ने जो भी कहा है, उन्होंने राष्ट्रीय हित में कहा है। उसकी गलत व्याख्या करने की कोई जरूरत नहीं है। सेना प्रमुख के बयान में कुछ भी गलत नहीं है।’

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