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रीवा सहित इन शहरो के बंद होंगे रोजगार कार्यालय

प्रदेश में चल रहे रोजगार कार्यालयों को बंद करने की तैयारी है। इस संबंध में आदेश भी जारी हो चुका है। प्रदेश के 15 जिलों के रोजगार कार्यालयों का प्लेसमेंट सेंटर के रूप में उन्नायन किया जाएगा। पीपीपी मोड पर यह काम किया जाएगा। इन प्लेसमेंट सेंटर्स के माध्यम से शेष जिलों में जॉब प्लेसमेंट व करियर काउंसलिंग गतिविधियां की जाएंगी। जो रोजगार कार्यालय बंद किए जाएंगे वहां के अमले को युक्तियुक्तकरण द्वारा दूसरे विभागों में समायोजित किया जाएगा।

दरअसल प्रदेश के 15 जिलों के रोजगार कार्यालयों को प्लेसमेंट सेंटर बनाने की तैयारी है। पिछले दिनों हुई कैबिनेट की बैठक में इस पर मुहर लगी और मंत्रालय से आदेश जारी हुए। प्लेसमेंट सेंटर में युवाओं को जॉब प्लेसमेंट की सुविधा मुहैया करवाई जाएगी। पीपीपी मॉडल की तर्ज पर इन 15 जिलों के रोजगार कार्यालयों का उन्नायन किया जाएगा। जिन जिलों के रोजगार कार्यालयों को प्लेसमेंट सेंटर के रूप में शामिल किया गया है उनमें देवास के अलावा भोपाल, होशंगाबाद, इंदौर, धार, खरगोन, उज्जैन, जबलपुर, कटनी, ग्वालियर, रीवा, सतना, शहडोल, सिंगरौली व सागर के रोजगार कार्यालय शामिल हैं।

यह लिखा है आदेश में
वाणिज्य, उद्योग एवं रोजगार विभाग मंत्रालय ने पिछले माह इस संबंध में आदेश जारी किया है। इसमें लिखा है कि राज्य शासन द्वारा जन निजी भागीदारी (पीपीपी) के आधार पर प्रदेश के रोजगार कार्यालयों को प्लेसमेंट सेंटर के रूप में उन्नायन एवं आधुनिकीकरण हेतु निर्णय लिया गया है। जिन 15 जिलों का चयन किया है वहां निजी भागीदार द्वारा स्थापित प्लेसमेंट सेंटर के माध्यम से प्रदेश के शेष जिलों में भी करियर काउंसलिंग एवं जॉब फेयर की गतिविधियां की जाएं। इन 15 जिलों में रोजगार कार्यालय की अधौसंरचना निजी भागीदार को उपलब्ध करवाई जाएगी। इन 15 जिलों के अतिरिक्त शेष जिला रोजगार कार्यालयों को समाप्त किया जाए एवं इन रोजगार कार्यालयों के अमले को विभाग के अन्य कार्यालयों में युक्तियुक्तकरण द्वारा समायोजित किया जाए।

पहले उमड़ती भी भीड़
किसी समय रोजगार कार्यालयों में पंजीयन के लिए युवाओं की भीड़ उमड़ती थी। शासकीय व निजी जॉब में भी रोजगार कार्यालय का पंजीयन मांगा जाता था। इसके चलते पंजीयन व नवीनीकरण के लिए लोग पहुंचते थे। धीरे-धीरे यह प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी गई है। हालांकि अब ज्यादातर नौकरियों में रोजगार पंजीयन की अनिवार्यता नहीं होती। खासकर प्राइवेट सेक्टर में इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता। इसके चलते रोजगार कार्यालयों में भीड़ कम होती गई। कर्मचारी भी दबे स्वरों में कहते हैं कि रोजगार कार्यालयों से सरकार को राजस्व की प्राप्ति भी नहीं होती। इस कारण भी यह स्थिति बन रही है।
सिर्फ तीन लोगों का स्टाफ
रोजगार कार्यालय में स्टाफ की समस्या भी बनी हुई है। किसी समय यहां आठ से दस लोग काम करते थे लेकिन अब सिर्फ तीन लोग बचे हैं। इनमें से एक प्रभारी अधिकारी, एक बाबू और एक प्यून है। रोजगार अधिकारी के मुताबिक एलडीसी के चार पद हैं। एक अधिकारी व एक एएसओ का है। चपरासी के भी दो पद हैं, लेकिन एक ही काम कर रहा है। अभी तीन बाबू, एक अधिकारी और एक चपरासी का पद खाली पड़ा है।

किराए के भवन में चल रहा है कार्यालय
वर्तमान में रोजगार कार्यालय एबी रोड पर एक किराए के भवन में चल रहा है। यह स्थिति बरसों से है। स्टेशन रोड चौराहे के समीप एबी रोड पर बने इस भवन के सामने पार्किंग नहीं है। ऐसे में यहां आने वाले युवाओं को काफी परेशान होना पड़ता है। भीड़ की स्थिति में ज्यादा दिक्कत आती है।

कैबिनेट का निर्णय
कैबिनेट की बैठक में इस संबंध में निर्णय हुआ है। अभी 15 जिलों के रोजगार कार्यालयों को प्लेसमेंट सेंटर बनाने की बात सामने आई है। पीपीपी मोड से यह किया जाएगा। प्लेसमेंट सेंटर होने से उच्च तकनीक मिलेगी।
-एके उपाध्याय, प्रभारी जिला रोजगार अधिकारी

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