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अब Online हो सकती है पुलिस FIR, जानिए कैसे करें

अगर किसी वजह से आप पुलिस स्टेशन नहीं जा पा रही हैं। आपको डर है थाने जाने से अपराधी आपको और नुकसान पहुंचा सकता है तो आप ई-मेल या रजिस्टर्ड डाक के जरिए डिप्टी कमिश्नर या कमिश्नर स्तर के अधिकारी को लिखित में शिकायत भेज सकती हैं। इसके बाद ये अफसर संबंधित थानाधिकारी को मामले की सत्यता की जांच करने और कार्रवाई के निर्देश देते हैं।

कैसे करें शिकायत

ई-शिकायत करने का तरीका काफी आसान है। एक बार आप ऑनलाइन फॉर्म भर देती हैं तो फिर शिकायत की पुष्टि करने के लिए करने के लिए आपको एक एसएमएस प्राप्त होगा। इसके बाद आपको एक ट्रैकिंग नंबर भी मिलेगा। पुलिस एफआईआर दर्ज करने से पहले मामले की प्रारंभिक जांच करेगी।

एफआईआर से पहले मांग सकती हैं डॉक्टर

“फोरेंसिक मेडिकल केयर फॉर विक्टिम्स ऑफ सेक्सुअल असॉल्ट\” के दिशानिर्देशों के अनुसार बलात्कार पीडिता एफआईआर दर्ज कराए बगैर भी डॉक्टरी परीक्षण के लिए डॉक्टर की मांग कर सकती है। इससे पहले बलात्कार पीडिता की मेडिकल जांच पुलिस में मामला दर्ज होने के बाद ही हो सकती थी। यहां तक कि पुलिसकर्मी ही पीडिता को अस्पताल ले जाता था। वहीं पीडिता के \”टू फिंगर टेस्ट\” का प्रावधान था।
अब मेडिकल मुआयना करवाने से पहले डॉक्टर को पीडिता को सारी प्रक्रिया समझानी होगी और उसकी लिखित सहमति लेनी होगी। पीडिता चाहे तो मेडिकल से मना भी कर सकती है। सभी अस्पतालों को पुलिस को सूचित करने से पहले पीडिता को प्राथमिक उपचार देना होगा।

जानकारी के अभाव

महिलाओं को ऎसे बहुत सारे अधिकार प्राप्त हैं, जिनकी जानकारी के अभाव में उन्हें परेशान होना पड़ता है। जानिए कुछ ऎसे कानूनी अधिकार, जिनके बारे में आपका जागरूक रहना बेहद जरूरी है।

शाम 5.30 बजे बाद नहीं रखा जा सकता थाने में

मार्च, 1972 में मथुरा में एक आदिवासी लड़की का पुलिस थाने में दो पुलिसकर्मियों ने कथित बलात्कार किया था। इस मामले में बवाल इसलिए मचा था कि जिन पर लड़की की रक्षा की जिम्मेदारी थी, उन्होंने ही उसको हैवानियत का शिकार बनाया। एशियन सेंटर फॉर ±यूमन राइट्स के मुताबिक साल 2005 से 2010 के बीच पुलिस थानों में बलात्कार के 39 मामले सामने आए हैं। सेंटर का कहना है कि यह आंकड़ा असल मामलों का बहुत कम हिस्सा है, क्योंकि ज्यादातर मामले दर्ज ही नहीं हो पाते हैं।

अब सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार मजिस्ट्रेट की विशेष अनुमति के बिना किसी भी महिला को सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले थाने में नहीं रखा जा सकता। पूछताछ के दौरान भी उसके साथ एक महिला पुलिस अफसर की उपस्थिति अनिवार्य है।

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