सपाक्स का गठन पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ किया गया था किंतु...
आदरणीय स्वजन एवं युवा शक्ति,
वंदे मातरम , जय सपाक्स
आइए कृपया थोड़ा सा समय दीजिए आपको सपाक्स एवं इसके महत्व के बारे में अवगत कराते हैं ।
सपाक्स का गठन पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ किया गया था किंतु सपाक्स इतना लोकप्रिय हो गया और संगठन को लगातार इस बात का एहसास हुआ कि हमारा दायित्व केवल पदोन्नति में आरक्षण समाप्त करना नहीं है ,बल्कि वोट बैंक की घिनौनी राजनीति के कारण सामान्य पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों के साथ साथ साथ इस वर्ग के युवा का नौकरियों में, रोजगार के अवसरों में, स्वरोजगार की वित्तीय ऋण की योजनाओं में, स्कूल कॉलेजों के एडमिशन से लेकर फीस , हॉस्टल सुविधा तथा स्कॉलरशिप के मुद्दे में भेदभाव एवं अहित हो रहा है ,निज स्वार्थ ,आपसी रंजिश तथा ब्लैक मेल कर पैसा कमाने के लिए एट्रोसिटी एक्ट का दुरूपयोग हो रहा है ,इन सब के खिलाफ अगर नहीं बोला गया तो यह स्वार्थपरता होगी ।
आज आरक्षण केवल नौकरियों में नहीं रह गया हर क्षेत्र में आरक्षण लगाया जा रहा है जहां संवैधानिक प्रावधान है और जहां संवैधानिक प्रावधान नहीं है वहां भी आरक्षण जबरजस्ती वोट बैंक के कारण लगाया जा रहा है और आरक्षण की व्यवस्था का लाभ आरक्षित वर्ग का एक अभिजात्य वर्ग ले रहा है गांव में बैठा व्यक्ति अभी भी वही का वही है एक ही परिवार के चार चार पांच पांच लोग नौकरी कर रहे हैं और संपन्नता की कोई कमी नहीं लेकिन वह अपना आरक्षण छोड़कर अपने ही लोगों का भला नहीं करना चाहते जब तक यह छोड़ेंगे नहीं तो अगले पायदान तक पहुंचेगा कैसे ऐसे तो आरक्षण हजारों वर्ष तक चलता रहेगा और आरक्षित वर्ग कभी भी राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल नहीं होगा क्योंकि जिसे वास्तविक आरक्षण की आवश्यकता है वहां तक तो पहुंच ही नहीं रहा इसके अतिरिक्त अन्य वर्गों में भी ऐसे हजारों लोग हैं जो आर्थिक तथा सामाजिक रुप से बहुत पीछे हैं लेकिन आरक्षण की व्यवस्था के कारण ना तो उन्हें कुछ मिल रहा है एवं ना उन पर ध्यान दिया जा रहा है वह विपन्नता और अभाव के चरम पर जी रहे हैं ।
वंदे मातरम , जय सपाक्स
आइए कृपया थोड़ा सा समय दीजिए आपको सपाक्स एवं इसके महत्व के बारे में अवगत कराते हैं ।
सपाक्स का गठन पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ किया गया था किंतु सपाक्स इतना लोकप्रिय हो गया और संगठन को लगातार इस बात का एहसास हुआ कि हमारा दायित्व केवल पदोन्नति में आरक्षण समाप्त करना नहीं है ,बल्कि वोट बैंक की घिनौनी राजनीति के कारण सामान्य पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों के साथ साथ साथ इस वर्ग के युवा का नौकरियों में, रोजगार के अवसरों में, स्वरोजगार की वित्तीय ऋण की योजनाओं में, स्कूल कॉलेजों के एडमिशन से लेकर फीस , हॉस्टल सुविधा तथा स्कॉलरशिप के मुद्दे में भेदभाव एवं अहित हो रहा है ,निज स्वार्थ ,आपसी रंजिश तथा ब्लैक मेल कर पैसा कमाने के लिए एट्रोसिटी एक्ट का दुरूपयोग हो रहा है ,इन सब के खिलाफ अगर नहीं बोला गया तो यह स्वार्थपरता होगी ।
आज आरक्षण केवल नौकरियों में नहीं रह गया हर क्षेत्र में आरक्षण लगाया जा रहा है जहां संवैधानिक प्रावधान है और जहां संवैधानिक प्रावधान नहीं है वहां भी आरक्षण जबरजस्ती वोट बैंक के कारण लगाया जा रहा है और आरक्षण की व्यवस्था का लाभ आरक्षित वर्ग का एक अभिजात्य वर्ग ले रहा है गांव में बैठा व्यक्ति अभी भी वही का वही है एक ही परिवार के चार चार पांच पांच लोग नौकरी कर रहे हैं और संपन्नता की कोई कमी नहीं लेकिन वह अपना आरक्षण छोड़कर अपने ही लोगों का भला नहीं करना चाहते जब तक यह छोड़ेंगे नहीं तो अगले पायदान तक पहुंचेगा कैसे ऐसे तो आरक्षण हजारों वर्ष तक चलता रहेगा और आरक्षित वर्ग कभी भी राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल नहीं होगा क्योंकि जिसे वास्तविक आरक्षण की आवश्यकता है वहां तक तो पहुंच ही नहीं रहा इसके अतिरिक्त अन्य वर्गों में भी ऐसे हजारों लोग हैं जो आर्थिक तथा सामाजिक रुप से बहुत पीछे हैं लेकिन आरक्षण की व्यवस्था के कारण ना तो उन्हें कुछ मिल रहा है एवं ना उन पर ध्यान दिया जा रहा है वह विपन्नता और अभाव के चरम पर जी रहे हैं ।
वोट बैंक की कुत्सित राजनीति तथा एससी एसटी वर्ग द्वारा अपने आरक्षण को बचाए रखने का षड्यंत्र मंडल कमीशन के रूप में सामने आया तथा बचे हुए समाज को दो वर्गों में तोड़कर ओबीसी तथा सामान्य कर दिया गया एवं 45% ओबीसी को 14% का आरक्षण दिया गया यदि न्याय संगत व्यवस्था करनी ही थी तो आरक्षण की 50% की सीमा के अंतर्गत सभी को आबादी के मान से उनकी आबादी का 50% अर्थात SC को 16% का 8%, ST को 20% का 10%, ओबीसी को 45% का 22.5% तथा सामान्य को 19% का 9.5% आरक्षण दिया जाता तो न्याय संगत व्यवस्था होती है लेकिन ओबीसी को थोड़ा सा आरक्षण का टुकड़ा देकर SC ST के साथ इसलिए जोड़ा गया कि उनका आरक्षण बचा रह सके ।
सपाक्स तुष्टिकरण का विरोधी है तथा हर उस क्षेत्र में आवाज उठाने का प्रयास करता है जहां सपाक्स वर्ग के लोगों के साथ अन्याय हो रहा है । सपाक्स पदोन्नति में आरक्षण के साथ-साथ जातिगत आरक्षण का विरोधी है सपाक्स यह मानता है कि आरक्षण जरूरतमंद को मिलना चाहिए ना कि जाति के आधार पर सपाक्स मौलिक अधिकारों के विरुद्ध चलाए जा रहे एट्रोसिटी एक्ट का भी विरोधी है सपाक्स युवा वर्ग के साथ हो रहे जातिगत भेदभाव का विरोधी है तथा सपाक्स समस्त युवाओं के साथ एक समान व्यवहार किए जाने का समर्थन करता है चाहे वह स्कूल शिक्षा कॉलेज शिक्षा रोजगार या अन्य कोई भी व्यवस्था हो ।
आज सपाक्स पूरे मध्यप्रदेश में अपनी पहचान बना चुका है और सभी जिलों में हमारे पदाधिकारी तथा सदस्य अपने हक की लड़ाई के लिए संघर्ष कर रहे हैं । सपाक्स अधिकारी कर्मचारियों की संस्था के साथ साथ प्रथक सपाक्स समाज कल्याण संस्था का भी गठन किया गया है, जिसकी अनुषांगिक इकाई सपाक्स युवा संगठन है जिनसे समाज का हर वर्ग जुड़ सकता है अब यह केवल अधिकारियों-कर्मचारियों का संगठन ना होकर समस्त नागरिकों का संगठन हो गया है ।कोई भी नागरिक इसका सदस्य हो सकता है ।
हम आपको इस मुहिम में इस लड़ाई को और मजबूती देने के लिए शामिल कर रहे हैं आप की सहमति एवं आप की सक्रियता दोनों की अपेक्षा है।
सादर ,
सपाक्स, सपाक्स समाज एवं सपाक्स युवा वर्ग की ओर से शुभकामनाएं
राजीव कुमार खरे
ये लेखक के निजी विचार हैं। लेखक मध्यप्रदेश शासन में संचालनालय महिला बाल विकास विभाग में सहायक संचालक के पद पर पदस्त है।
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