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प्रमोशन का रास्ता खोलने सपाक्स ने संभाला मोर्चा । SAPAKS NEWS

भोपाल : पदोन्नति का इंतजार करते-करते प्रदेश के हजारों कर्मचारी लगातार सेवानिवृत्त होते जा रहे हैं, इसके बाद भी इस मामले में शिव सरकार कोई कदम उठाते नहीं दिख रही है। इसी तरह के मामले में पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सामान्य वर्ग के अधिकारियों-कर्मचारियों की पदोन्नति का रास्ता खोल दिया गया है। इसके बाद भी प्रदेश सरकार को कोई कदम न उठाते देख अब सपाक्स संगठन (सामान्य, पिछड़ा,अल्पसंख्य वर्ग अधिकारी-कर्मचारी संघ) ने हाईकोर्ट जाने की तैयारी करना शुरू कर दी है। इसके लिए संगठन द्वारा अर्जी तैयार करने का काम शुरू कर दिया गया है। फिलहाल छत्तीसगढ़ सहित अब तक पांच राज्यों में पदोन्नति में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहने
के बाद भी सामान्य वर्ग के कर्मचारियों के लिए पदोन्नति के रास्ते साफ कर दिए गए हैं। इसके पीछे इन सरकारों ने तर्क दिया है कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामला पूरी तरह से आरक्षित वर्ग की पदोन्नति पर रोक का है। इसकी सजा सामान्य वर्ग को क्यों दी जाए। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के फैसले के बाद चार साल से प्रदेश में पदोन्नति पर रोक लगा रखी गई है। इसके चलते प्रदेश में बीते चार सालों में करीब 60 हजार अधिकारी-कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गए। इनमें भी करीब 28 हजार कर्मचारी ऐसे थे, जिनकी पदोन्नति इस अवधि में होनी थी। यह मामला कानूनी पेंच में उलझ जाने से दोनों ही वर्ग (आरक्षित एवं अनारक्षित) के कर्मचारियों का नुकसान कर रहा है। दोनों ही वर्ग के कर्मचारी सरकार से इस मामले में जल्द निर्णय कराने या फिर कोर्ट केफैसले के अधीन सशर्त पदोन्नति देने की मांग कई बार कर चुके हैं, पर सरकारें सुनने को ही तैयार नही हैं। यही वजह है कि अब अपनी मांग मनवाने का नया आधार सपाक्स को मिल गया है।
दरअसल छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इसी साल जनवरी में अनारक्षित वर्ग की पदोन्नति बहाल करने के निर्देश दिए हैं। इसी आधार पर हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने 16 अप्रैल को स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी धीरेंन्द्र चतुर्वेदी को पदोन्नति देने के आदेश दिए थे। इस मामले में उन्हें विभाग ने उन्हें पदोन्नति दे दी। इसी को आधार बनाकर अब सपाक्स संगठन ने हाईकोर्ट जाने की तैयारी शुरू कर दी है। 


उत्तराखंड, हरियाणा में हो चुके आदेश
सपाक्स के नेताओं का कहना है कि इसी तरह के मामले में उत्तराखंड और हरियाणा सरकार भी बीते माह राज्य के कर्मचारियों को पदोन्नति देने का आदेश दे चुकी है। महाराष्ट्र और बिहार राज्य में पहले ही इस संबंध में फैसला हो चुका है। इसमें तर्क यही है कि सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति में आरक्षण का मामला लंबित है, तो तकनीकी तौर पर सामान्य वर्ग के अधिकारियों-कर्मचारियों की पदोन्नति कैसे रोकी जा सकती है।

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