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सुहागिनों ने पति की लंबी उम्र की कामना के साथ की चौथ माता की पूजा



हिमांशु श्रीवास्तव
गैरतगंज : कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर करवा चौथ के अवसर पर सुहागन महिलाओं ने अपने पति की दीर्घायु के लिए कठिन व्रत किया। रात में चांद देखने के बाद महिलाओं ने समूह में चांद की पूजा की। इसके बाद छलनी से चांद और पति के दर्शन किए। इसके बाद पति के हाथ से जल पीकर ही व्रत का पारणा किया।


विवाहिता महिलाओं में सुबह से ही व्रत लेकर काफी उत्साह का माहौल देर शाम को जब चांद के दर्शन हुए तब पूजन कर अपने पति के हाथ से जल ग्रहण किया तथा व्रत खोला दोपहर के समय बाजार में करवा चौथ की पूजन सामग्रियां खरीदने वाली महिलाओं की भीड़ लगी हुई थी। करवा सींक तथा अन्य पूजन सामग्री खरीदी जा रही थी।


करवा चौथ के पर्व पर महिलाओं ने भगवान शिव एवं माता पार्वती को आराधना की। भगवान भोलेनाथ को विल्प पत्र एवं पुष्पों से सजाया गया। वहीं माता पार्वती को सुहाग की संपूर्ण सामग्री अर्पित कर अखंड सौभाग्य की कामनाएं की गई। करवा चौथ व्रत के दौरान महिलाओं ने संपूर्ण सुहाग सामग्री से स्वयं को सजाकर भोलेनाथ एवं माता पार्वती की पूजा की गई। चंद्रदेव के दर्शन करने के बाद व्रत धारी महिलाओं ने अपने पति की भी पूजा की। व्रतधारी महिलाओ ने बताया कि पति की दीघायु एवं उनकी रक्षा के लिए किए जाने वाले करवा चौथ पर्व पर व्रत एवं संपूर्ण सामग्री धारण करने का विशेष महत्व होता है। उन्होंने बताया कि सुहाग सामग्री धारण करने से पति की दीर्घायु होती है। इसलिए इन सामग्रियों को महिलाएं हमेशा धारण करें। छलनी की आड़ से चंद्रदेव के दर्शन कर महिलाओं ने अपने पति के हाथों से जलग्रहण कर व्रत खोला। महिलाओं ने दिन भर जल की एक बूंद तक ग्रहण नहीं की थी। रात में पूजा करने के बाद सुहागिनों ने एक दूसरे को श्रृंगार सामग्री भी बांटी।
  
करवाचौथ हिंदू विवाहित महिलाओं का प्रमुख त्योहार होता है, इस दिन महिलाएं भूखे-प्यासे रहकर अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं। करवाचौथ हिंदू पंचाग के अनुसार कार्तिक माह के चौथे दिन होता है। पंरपराओं के अनुसार इस दिन शादीशुदा महिलाएं या जिनकी शादी होने वाली हैं वो अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत करती हैं। ये व्रत सुबह सूरज उगने से पहले से लेकर और रात्रि में चंद्रमा निकलने तक रहता है। ये एकदिवसीय त्योहार होता है।


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