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सामान्य कर्मचारियों के Promotion में Supreme Court का आरक्षण वाला स्टे लागू नहीं: हाई कोर्ट

 


जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कर्मचारियों के प्रमोशन से जुड़े एक मामले का निपटारा करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का स्टे अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों पर लागू नहीं होता। सरकार उन्हें प्रमोशन दे सकती है। याद दिला दें कि मध्यप्रदेश में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ शिवराज सिंह सरकार ने ना केवल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की बल्कि सभी वर्ग के कर्मचारियों के प्रमोशन सुप्रीम कोर्ट के स्टे के नाम पर रोक दिए गए हैं।

श्री जगदीश प्रसाद दुबे, सहायक शिक्षक, टीकमगढ़ जिले मे पदस्थ से, कई जूनियर सहायक शिक्षकों की पद्दोन्नति वर्ष 2013 में कर दी गई थी। परन्तु, श्री जगदीश दुबे का नाम छोड़ दिया गया था। उपरोक्त विसंगति के विरुद्ध अभ्यावेदन देने पर विभाग द्वारा कर्मचारी को पेपर वरिष्ठता 15/02/2013 से देने का निर्णय लिया गया था परंतु, पत्र दिनाँक 20/05/2019 द्वारा श्री दुबे को सूचित किया गया था कि, प्रमोशन प्रकरण पर विचार सुप्रीम कोर्ट में पद्दोन्नति पर आरक्षण से संबंधित मामले के बाद ही किया जा सकेगा। कर्मचारी शिक्षक द्वारा, आदेश दिनांक 20/05/19 को हाईकोर्ट, जबलपुर के समक्ष चुनौती देकर उच्च श्रेणी शिक्षक के पद पर, पद्दोन्नति की मांग की गई थी।

कर्मचारी शिक्षक के हाई कोर्ट के अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी से प्राप्त जानकारी के अनुसार, उच्च न्यायालय जबलपुर के समक्ष पूर्व में भी समान प्रकरण में सुनवाई के  दौरान यह विषय आया था। कोर्ट के अनुसार, आरबी राय के केस में प्रमोशन के संबंध दिए गए यथा स्थिति के आदेश का उद्देश्य सभी श्रेणियों के कर्मचारियों के प्रमोशन पर रोक लगाना नही था। सम्पूर्ण पद्दोन्नति नियम के विरुद्ध कोई अन्तरिम आदेश नही है। अनारक्षित वर्ग के प्रमोशन में उच्चतम न्यायालय की यथास्थिति बाधक नही है। अन्य शर्तें पूरी होने पर, विभागीय पद्दोन्नति समिति की अनुशंसा पर पद्दोन्नति आदेश जारी किए जा सकते हैं।  

अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी द्वारा कोर्ट को बताया गया कि कर्मचारी तकनीकी रूप से विभाग द्वारा पद्दोन्नति का पात्र  माना गया है, अतः कर्मचारी के प्रमोशन में कोई बाधा नही है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा दिनांक 01/09/2020 हुई सुनवाई में पूर्व निर्णय एवं सिद्धान्तों के आधार पर, श्री जगदीश दुबे के प्रमोशन की कार्यवाही पर निर्णय करने के निर्देश स्कूल शिक्षा विभाग को दिये गए हैं। कोर्ट के निर्णय का पालन निर्धारित समय के अन्दर किया जाना है। तर्को के दौरान कोर्ट द्वारा माना गया है कि अनारक्षित वर्ग पर, सुप्रीम कोर्ट का स्टे लागू नही है।

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