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आधार विधेयक 2016 संसद से पारित, विपक्ष के सभी संशोधनों को लोकसभा ने किया खारिज

नई दिल्ली: आधार बिल 2016 को बुधवार को संसद ने अपनी मंजूरी दे दी। गौरतलब है कि राज्यसभा ने इस बिल को पांच संशोधनों की सिफारिश करते हुए लौटा दिया था। लोकसभा ने पांच संसोधनों को अस्वीकार करते हुए बिल को मंजूरी दे दी। सरकार की तरफ से धन विधयेक के रूप में रखे गए इस विधेयक में राज्यसभा ने पांच संशोधनों के साथ लोकसभा को लौटा दिया था हालांकि निचले सदन ने इन संशोधनों को अस्वीकार कर दिया। इससे पहले लोकसभा आधार विधेयक 2016 को शुक्रवार को पारित कर चुकी थी।

राज्यसभा में जहां सत्तारूढ़ राजग अल्पमत में हैं, वहां आज इस विधेयक पर चर्चा हुई। विधेयक पर कांग्रेस सहित विपक्ष की ओर से पांच संशोधन पेश किये गए जिसे उच्च सदन ने स्वीकार करके लोकसभा को वापस भेज दिया। इसके कुछ ही देर बाद सरकार इस विधेयक को लोकसभा में वापस लेकर आई और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उच्च सदन में विपक्ष के दबाव में एक से लेकर पांच तक के संशोधनों को घातक बताते हुए उन्हें अस्वीकार करने का निचले सदन से आग्रह किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी।

राज्यसभा में विपक्ष ने इन संशोधनों में राष्ट्रीय सुरक्षा की जगह सार्वजनिक आपात स्थिति और सार्वजनिक सुरक्षा शब्दों को समाहित करने सहित मत विभाजन के जरिये पांच संशोधन विधेयक में समाहित कराये थे। इन संशोधन में आधार को स्वीकार करने की बाध्यता को भी हटा दिया गया था। इसमें यह भी समाहित किया गया था कि किसी व्यक्ति के बारे में जानकारी साझा करने की जानकारी देने वाले पैनल में सीएजी, सीवीसी को भी शामिल किया जाए।

लोकसभा में जेटली ने इन संशोधनों पर कहा कि 2010 में संप्रग द्वारा लाये गए ऐसे ही विधेयक में ये प्रावधान नहीं थे और अब कांग्रेस इन्हीं चीजों पर जोर दे रही है तथा लोक व्यवस्था, लोक सुरक्षा, सार्वजनिक आपात स्थिति जैसी जटिल मुहावरे गढ़ रही हैोजिसकी परिभाषा विस्तृत है और इसका गलत इस्तेमाल हो सकता है। उन्होंने कहा कि लोक सुरक्षा और सार्वजनिक आपात स्थिति तो कहीं कानून व्यवस्था की स्थिति बनने या कहीं कोई आपदा आने पर भी किसी व्यक्ति की जानकारी का दुरूपयोग हो सकता है। इस विधेयक के लोकसभा में आने पर सदन में कांग्रेस का कोई सदस्य मौजूद नहीं था। 

जेटली ने इस विधयेक को धन विधेयक के रूप में लाने की विपक्ष की आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा कि इस विधेयक का मकसद सब्सिडी के जरिये सरकार द्वारा प्रदत्त राशि को उसके सही हकदारों तक पहुंचाना है। केवल इसलिए कि सरकारी आदेश को चुनौती दी गई और मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है, इसलिए कानून बनाने के संसद के अधिकार को स्थगित नहीं किया जा सकता।  उल्लेखनीय है कि सरकार अगर इसे धन विधेयक के रूप में नहीं लाई होती तब उच्च सदन द्वारा नामंजूर किये जाने पर वह इसे आगे नहीं बढा पाती। वित्त मंत्री ने कहा कि यह उस पुराने विधेयक से भिन्न है क्योंकि इसमें लोगों से जुड़े आंकड़ों की गोपनीयता के प्रावधानों को काफी सख्त बनाया गया है। उन्होंने कहा कि संप्रग के अनुभवों से सीख लेते हुए हमने गोपनीयता के प्रावधानों को सख्त बनाया है। सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामला होने पर ही किसी व्यक्ति के आंकड़े साझा किए जा सकेंगे।

राज्यसभा में कई सदस्यों ने इस विधेयक के कानून बनने की स्थिति में निजता की सुरक्षा को लेकर चिंता जतायी। जेटली ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामले में ही बायोमीट्रिक आंकड़े साझा किए जा सकते हैं। आंकड़े साझा करने का फैसला संयुक्त सचिव रैंक से ऊपर के अधिकारी कर सकेंगे और कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली एक समिति इसकी समीक्षा करेगी। राज्यसभा में चर्चा के दौरान टोकाटोकी के बीच जेटली ने कांग्रेस के जयराम रमेश पर आरोप लगाया कि वह ऐसे विधेयक की राह में व्यवधान डाल रहे हैं जो मूल रूप से संप्रग सरकार की परिकल्पना था। जेटली ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा संविधान में परिभाषित शब्द है जिसके अपने मायने हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा के संबंध में व्यवहारिक होने पर ही कुछ जानकारी साझा की जा सकती है। उन्होंने कहा कि एलपीजी का मामला एक उदाहरण है कि जब इसमें प्रत्यक्ष नकद अंतर की व्यवस्था जोड़ी गई थी तब किसी किसी घर में 20.20 गैस कनेक्शन थे और सरकार की सब्सिडी का पैसा, उन लोगों  को मिल रहा था जो इसके हकदार नहीं थे। गैस कनेक्शन के मामले में हमने धनाढ्य लोगों को सब्सिडी के दायरे से हटाने और गरीबों को इसके दायरे में लाना सुनिश्चित किया है।

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