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एक बार फिर कांग्रेस ने शिवराज सरकार को घेरा, देश की सांस्कृतिक राजधानी मप्र को 'मामा' ने बना दिया अपराधियों का गढ़



भोपाल। सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद महिला अपराधों में कोई खासी कमी नही आ रही है। आए दिन मासूम बच्चियों और औरतों को हवस का शिकास बनाया जा रहा है। पुलिस अब भी अपराधियों को पकड़ने औऱ सजा देने में नाकाम है।इसी को लेकर एक बार कांग्रेस ने शिवराज सरकार को घेरा है। कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर महिला अपराधों और कुपोषण को लेकर कई आरोप लगाए है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने मुख्यमंत्री शिवराज पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा है कि  पौराणिक काल में दो मामा प्रसिद्ध हुए हैं, कंस और शकुनि, और आज के युग में भी एक मामा मध्यप्रदेश में हैं। पौराणिक काल के मामाओं की कथा सबको पता है, मध्यप्रदेश  के मामा की हम सुनाते हैं।

 यादव ने कहा कि  मध्यप्रदेश की पहचान पहले देश की कला, संस्कृति और संस्कार की राजधानी के रूप में हुआ करती थी।आज हालात यह हैं कि सत्ता की सरपरस्ती में निरंकुश अपराधी मप्र में राज कर रहे हैं । मप्र लगातार 2004 से अपराधों में अव्वल दर्जे में दर्ज़ किया जा रहा है । महिलाओं से दुष्कर्म में हाल यह है कि अब तक 2004 से 2016 तक 46308 बलात्कार हुए हैं,जो देश मे सर्वाधिक हैं। जहाँ 2004 में 2875 बलात्कार की नृशंस घटनाएं हुईं, वे आज बढ़कर 4909 प्रतिवर्ष होने लगे हैं ।  बच्चियों, महिलाओं के अपहरण के हालात यह हैं कि जहाँ 2004 में 584 अपहरण होते थे, वे आज 4904 अपहरण प्रति वर्ष पर पहुँच गए हैं । अर्थात लगभग 10 गुना बढ़ गए ।

उन्होंने कहा कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2016 की रिपोर्ट बताती है कि देश में सबसे ज्यादा 42.8% बच्चे कुपोषण का शिकार मप्र में हैं,अर्थात 4708000 बच्चे , मोदी सरकार की SRS - 2017 की रिपोर्ट बताती है कि मध्यप्रदेश में नवजात शिशु मृत्यु दर 32 है, जो कि देश में सबसे ज़्यादा है।इस मान से मध्यप्रदेश में 61 हज़ार बच्चों की जन्म के पहले 28 दिनों में ही मृत्यु हो जाती है। इसी तरह शिशु मृत्यु दर भी देश में सबसे ज़्यादा 47 है।यानी लगभग 90 हज़ार बच्चे अपना पहला जन्म दिन भी नहीं मना पाते हैं ।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय की हाल ही में आई रिपोर्ट यह बताती है कि भारत में सबसे ज़्यादा बच्चे मध्यप्रदेश में गायब होते हैं।एक वर्ष में मध्यप्रदेश में 8503 बच्चे गायब हुए , इसमें से 6037 लड़कियाँ और 2466 लड़के हैं।  मामा जी ने मध्यप्रदेश का यह हाल किया है कि केंद्रीय मानवसंसाधन मंत्रालय की हाल ही में भारत में स्कूली शिक्षा की रिपोर्ट बताती है कि मप्र में 150762 स्कूलों में से मात्र 28.60 % स्कूलों में बिजली है और मात्र 14.58% स्कूलों में कंप्यूटर की शिक्षा दी जाती है और यह आंकड़ा पूरे देश मे सबसे बदतर है। उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि मप्र के सामाजिक सरोकारों को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा कर मामा सत्ता के मजे लूट रहे हैं।






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