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नर्मदा में शराब बहाने वाले अफसरों को कमिश्नर ने दी क्लीनचिट

धार। नर्मदा में शराब बहाए जाने वाले आबकारी विभाग के अधिकारियों को कमिश्नर ने बिना जांच किए सभी को क्लीन चिट दे दी है। इतना ही नही उन्होंने इस घटनाक्रम को भी सामान्य बताया है।वही उन्होंने शराब को नर्मदा में बहाए जाने की बात से इंकार किया है।वही इस मामले को लेकर विपक्ष भी हमलावर हो गया है।

दरअसल , धार के मनावर क्षेत्र के नर्मदा किनारे के गाँवों मे पिछले कई दिनों से आबकारी विभाग को अवैध शराब का कारोबार होने की सूचना मिल रही थी ,जिस पर मनावर , गंधवानी , कुक्षी और धरमपुरी की आबकारी विभाग की संयुक्त टीम ने गुरूवार को ग्राम पेड़खड़ , सेमल्दा , बड़दा सहित आसपास के गाँवों में छापामार कार्रवाई की, जिसमे विभाग ने बडी मात्रा मे अवैध कच्ची शराब सहित शराब बनाने की सामग्री जब्त की।इसके साथ ही मौके से 54 ड्रम भी बरामद किये।जब्त अवैध शराब और सामग्री की कीमत लाखों मे बताई जा रही है। आबकारी विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने कच्ची शराब और शराब बनाने की सामग्री को जब्त करने के बाद इसे नर्मदा नदी में ही बहा दिया।इसमें देशी और विदेशी दौनों शराबे शामिल थी। धार के सहायक आयुक्त आबकारी विभाग विक्रम दीप सांगर के निर्देश पर ये कार्रवाई की गई।इसके साथ ही उनके साथ सहायक जिला आबकारी अधिकारी राजेश जैन,प्रशांत मंडलोई, आबकारी उपनिरिक्षक योगेश टाटवाड़े, राजकुमार शुक्ला, राजेन्द्र चौहान और अन्य स्टॉफ मौजूद था।

कमिश्नर ने दी सभी अधिकारियों को क्लीनचिट

आबकारी कमिश्नर रजनीश श्रीवास्तव ने इस पूरे घटनाक्रम की जांच किए बिना सभी अधिकारियों को क्लीनचिट दे दी है।उन्होंने इस घटनाक्रम को सामान्य बताया है ।उन्होंने कहा है कि धार,झाबुआ और खरगोन में शराब बनाने वाले द्वारा नर्मदा नदी में ड्रमों में शराब भरकर दबाकर रखी जाती है।यही शराब आबकारी विभाग ने निकाली है और नदी में नही बल्कि कुछ दूरी पर इसे बहाया है।कमिश्नर ने नदी में शराब बहाने वाली बात से साफ इंकार किया है।

आबकारी विभाग के सहायक आयुक्त का विवादों से नाता

इस कार्रवाई को अंजाम देने वाले आबकारी विभाग के सहायक आयुक्त विक्रम दीप सांगर पहले भी विवादों में घिर चुके है।इसके पहले भी उनकी कार्यशैली को लेकर सावल उठे है, जिसके कारण उनका तबादला भी कर दिया गया था।दरअसल, झाबुआ में पदस्थापना के दौरान उनका एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वे ट्रक छोड़ने की बात कर रहे थे, इसके बाद उन्हें वहां से हटा दिया गया था। इस पर भी खूब विवाद हुआ था।

कांग्रेस ने भी उठाए सवाल

मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता केके मिश्रा ने भी इस कारनामे पर सवाल उठाए है। उन्होंने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा है कि नर्मदा को साफ- स्वच्छ बनाने, 6 करोड़ 67 लाख पौधे लगाने (पौधे कहाँ गए...नहीं मालूम) के साथ पिछले वर्ष  "नर्मदा सेवा यात्रा" निकाली, साथ ही नर्मदा किनारों के पाँच किलोमीटर तक के गाँवों में शराबबंदी भी लागू कर दी, लेकिन धार जिले के आबकारी विभाग ने जब्त की गई। अवैध शराब नर्मदा नदी मे बहाकर इसे प्रदुषित करने के साथ ही मुख्यमंत्री की नमामि देवी और नर्मदा सेवा यात्रा के उद्देश्य को पलीता लगा दिया है।  यह घोर आपत्तिजनक है, शायद ख़ौफ़ इसलिए भी नहीं है कि जब उक्त सरकार प्रायोजित यात्राओं - पौधारोपण के नाम पर करीब 1200 करोड़  और 14 सालों में अरबों की रेत डकार जाने वालों का  आज तक कुछ नहीं बिगड़ा तो इन आबकारी  अधिकारियों का कोई क्या बिगाड़ सकता है। "एक नर्मदा का कथित पुत्र है,तो दूसरे कमाऊ (आबकारी)पुत्र)"

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